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28 सितंबर 2023 को अनंत चतुर्दशी मनाया जाएगा
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इस दिन गणपति बप्पा की मूर्ति के विसर्जन के साथ गणेश उत्सव का समापन होता है
Anant Chaturdashi 2023: अनंत चतुर्दशी का व्रत 28 सितंबर 2023 को मनाया जाएगा. यह भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी को किया जाता है. इस दिन गणपति बप्पा की मूर्ति के विसर्जन के साथ गणेश उत्सव का समापन होता है. जानिए अनंत सूत्र का महत्व, कथा और लाभ….
अनंत चतुर्दशी व्रत का लाभ
अनंत चतुर्दशी का व्रत करके विद्यार्थी जिस भी विषय की पढ़ाई शुरू करेंगे, उन्हें उस विषय का बेहतर ज्ञान अवश्य प्राप्त होगा. जो धन की कामना करेगा उसे प्रचुर धन मिलेगा और जो ईश्वर की कामना करेगा उसे अनंत काल तक ईश्वर का साथ मिलेगा. अनंत चतुर्दशी व्रत सुख और मोक्ष दोनों की प्राप्ति का सर्वोत्तम साधन है. विशेष लाभ पाने के लिए चौदह वर्ष तक अखंड व्रत करें.
अनंत चतुर्दशी व्रत का महत्व
अनंत चतुर्दशी व्रत का महत्व इसी बात से समझा जा सकता है कि जब युधिष्ठिर अपने भाइयों और द्रौपदी के साथ वनवास में कष्ट सह रहे थे, उस समय श्रीकृष्ण ने उनसे कष्टों से मुक्ति पाने और अपना खोया हुआ राज्य और ऐश्वर्य पुनः प्राप्त करने के लिए उन्हें अनंत व्रत रखने की सलाह के साथ ही व्रत का उपदेश दिया
अनंत चतुर्दशी की कथा
प्राचीन काल में सुमन्तु वशिष्ठ कुल के एक ऋषि थे. उनकी बेटी का नाम शीला था. बेटी के गुण उसके नाम के अनुरूप थे. सुमन्तु ने उसका विवाह कौण्डिन्य मुनि से कर दिया. कौंडिन्य मुनि सुमन्तु मुनि की पुत्री से विवाह करके घर लौट रहे थे तो रास्ते में नदी के तट पर स्त्रियों को अनंत व्रत करते देख शीला ने भी अनंत व्रत किया और अपनी भुजा पर अनंत सूत्र बांध लिया, जिसके प्रभाव से कुछ ही दिनों में उनका घर धन-धान्य से परिपूर्ण हो गया.
एक दिन कौंडिन्य मुनि की नजर अपनी पत्नी की बांह पर बंधे धागे पर पड़ी, जिसे देखकर मुनि ने स्त्री से कहा- क्या तुमने मुझे वश में करने के लिए यह धागा बांधा है? तब शीला ने कहा कि नहीं, यह तो सनातन भगवान का सूत्र है लेकिन ऐश्वर्य के नशे में चूर कौंडिन्य मुनि ने इसे तोड़कर अग्नि में डाल दिया. परिणामस्वरूप कुछ ही समय में उनकी स्थिति दयनीय हो गई. अपनी गलती का एहसास होने पर उसका निवारण करने के लिए भगवान से क्षमा मांगने के लिए उन्होंने घर छोड़ दिया और जंगल में चले गए और वहां जाकर भगवान श्री अनंत को प्रसन्न करने के लिए पूजा करने लगे.
कई दिनों तक पूजा करने के बाद भी भगवान का आशीर्वाद न मिलने से निराश होकर वह एक पेड़ की शाखा से लटककर मरने ही वाला था, तभी वहां एक बूढ़े ब्राह्मण ने आकर उसे रोका और कहा, चलो गुफा में चलकर अनंत भगवान के दर्शन करते हैं. बूढ़े व्यक्ति का वेश बनाकर भगवान श्री अनंत उन्हें गुफा में ले गए और अपने चतुर्भुज रूप में प्रकट हुए और कहा- अनंत सूत्र के अनादर की गलती को सुधारने के लिए तुम्हें चौदह वर्ष तक अनंत व्रत करना चाहिए, इससे आपको पुन:प्राप्ति होगी आपकी नष्ट हुई संपत्ति. कौण्डिन्य मुनि ने इसे हृदय से स्वीकार किया. जैसे-जैसे वर्ष बीतते गए, भगवान श्री अनंत की कृपा से कौंडिन्य मुनि को अपनी संपत्ति और ऐश्वर्य पुनः प्राप्त हो गया.
ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847