प्राचीन भारतीय परम्परा के अनुसार प्रत्येक चन्द्र मास में दो बार चतुर्थी तिथि का आगमन होता है. भगवान् गणेश यानी गणपति का जन्म चतुर्थी तिथि वाले दिन होने के कारण इस तिथि को विशेषरूप से भगवान् गणेश को ही समर्पित माना जाता है. मंगलवार, 23 नवंबर 2021 को संकष्टी चतुर्थी पड़ रही है. मार्गशीर्ष (अगहन मास) कृष्ण पक्ष में आने वाली इस चतुर्थी को गणाधिप संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है.
अंगारकी चतुर्थी शुभ मुहूर्त
संकष्टी के दिन चन्द्रोदय- रात 08:29 बजे
चतुर्थी तिथि प्रारंभ- सोमवार, 22 नवंबर को रात 10:27 बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त- मंगलवार, 23 नवंबर को मध्य रात्रि 12:55 बजे
अंगारकी गणेश चतुर्थी व्रत की विधि
इस दिन सबसे पहले प्रात:काल उठकर दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर गंगाजल मिश्रित जल से स्नान करके ‘अद्य अहं सर्व सिद्धिकार्यार्थं अंगारकगणेशचतुर्थी व्रतं करिष्यामि’ इस मंत्र से भगवान् गणेश का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लेना चाहिए. तत्पश्चात् एक निर्धारित और साफ जगह को गंगाजल से पवित्र करके कलश की स्थापना करें.
कलश के अंदर गंगा जल भरकर उसमें दूर्वा, सिक्के और हल्दी डाल दें. इसके बाद कलश के मुख को लाल कपड़े से ढक दें. फिर उस कपड़े पर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें. फिर गणपति का पूजन, अर्चन और स्तवन करें.
और पूरे दिन श्रीगणेशाय नम: का जाप करते हुए शाम को एक बार फिर से स्नान करके भगवान गणेश का पूजन करके उन्हें मोदक आदि भेंट करें. व्रत के बाद सामर्थ्यानुसार निर्धनों को दान आदि देना चाहिए.सके बाद इस मंत्र का जाप करें.
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
या फिर
ॐ श्री गं गणपतये नम: का जाप करें।
करें इस मंत्र का जाप
शिव पुराण के मुताबिक हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी (पूनम के बाद की) के दिन सुबह गणपति का पूजन करें और रात को चन्द्रमा में भगवान की भावना करके अर्घ्य दें और ये मंत्र बोलें-
ॐ गं गणपते नमः.
ॐ सोमाय नमः.
Posted By: Shaurya Punj