Jharkhand News: लातेहार जिला के महुआडांड़ में पत्थलगड़ी (Pathalgadi) की तर्ज पर पांचवीं अनुसूचित क्षेत्र में बाहरी लोगों का प्रवेश वर्जित का लगा बोर्ड प्रशासन द्वारा उखाड़ देने के विरोध हो रहा है. सोमवार को आदिवासी संगठन छेछारी परगना के तीन दर्जन से अधिक आंदोलनकारी जूलूस की शक्ल में नारा लगाते हुए अनुमंडल कार्यालय पहुंचे. यहां पहुंचने के बाद महुआडांड़ अनुमंडल कार्यालय, प्रखंड सह अंचल, कृषि तकनिकी सूचना केंद्र भवन समेत JSLPS कार्यालयों में ताला जड़ दिया. इस दौरान सभी कार्यालयों से अधिकारी समेत कर्मियों को बाहर निकाल कर ताला लगा दिया. इसके बाद सभी आंदोलन कारी धरने पर बैठ गये.
जब तक नहीं लगेगा बोर्ड, तब तक कार्यालयों में लगा रहेगा ताला
इस संबंध में संगठन के बेल मरयानुस कुजूर ने कहा कि प्रशासन द्वारा उखाड़ा गया बोर्ड जब तक नहीं लगाया जायेगा, तब तक कार्यालयों का ताला नहीं खुलेगा. वहीं, बृजमोहन उरांव ने कहा कि हम क्षेत्र में बोर्ड लगाकर आदिवासियों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक कर रहें है, तो इसमे गलत क्या है. उन्होंने कहा कि संविधान अनुसूचित क्षेत्रों व अनुसूचित जनजातियों को प्रशासन एवं शासन में नियंत्रण की स्वतंत्रता प्रदान करता है.
क्षेत्र में पहड़ा परगना का शासन है
वहीं, सरदा उरांव ने कहा कि हमलोग जब अनुसूचित क्षेत्र में प्रवेश वर्जित का बोर्ड लगाए थे. चार दिन के बाद प्रशासन बोर्ड को उखाड़कर ले गया. इसलिए हमलोगों ने सभी कार्यालय में ताला जड़ दिया है. क्रिस्तोफर उरांव ने कहा कि पांचवी अनुसूची के तहत यह विधि अनुसूचित अधिरोपित क्षेत्र है. इस क्षेत्र में पड़हा परगना का शासन है. भारत के राजपत्र में प्रावधान है जिसे हमलोगों ने बोर्ड में लिखा था.
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आदिवासी संगठन के लोग संविधान की कर रहे गलत व्याख्या
इस मौके पर महुआडांड एसडीओ नित निखिल सुरीन ने कहा कि ये लोग संविधान की गलत व्याख्या कर रहे हैं. इन्हें जो भी कहना है संवैधानिक तरीके से अपनी बात रखें. प्रशासन उनकी बातों को गंभीरता पूर्वक विचार करेगा. कहा कि इस तरह से सरकारी कार्यालयों में ताला लगा देना सही नहीं है.
रिपोर्ट : वसीम अख्तर, महुआडांड़, लातेहार.