Animal Vaccination, Garhwa News, गढ़वा (पीयूष तिवारी) : राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत गढ़वा जिले के जिन पशुपालकों के दूधारू पशुओं (गौवंशीय व भैंस प्रजाति) का टीकाकरण किया गया है. उन्हें संतुष्ट होने की जरूरत नहीं है क्योंकि टीकाकरण किये जाने के बावजूद उनके पशु बीमार हो सकते हैं और टीकाकरण बेकार साबित हो सकता है. ऐसी स्थित इसलिये उत्पन्न हुयी है, क्योंकि जो टीका पशुओं को लगाया गया है, उसकी गुणवता सही नहीं है. इस वजह से पल्स पोलियो अभियान की तर्ज पर जिला पशुपालन विभाग द्वारा गढ़वा जिले में शुरू किये गये इस अभियान को शुरूआत के साथ ही बंद कर दिया गया है.
इस कार्यक्रम के तहत गढ़वा जिले के सात लाख गौवंशीय पशुओं का टीकाकरण किया जाना था. इसकी शुरूआत उपायुक्त राजेश कुमार पाठक द्वारा तीन नवंबर को समाहरणालय से की गयी थी. इसके बाद जिले के विभिन्न प्रखंडों में टीकाकरणकर्मियों के माध्यम से 46930 दूधारू पशुओं (गाय, बैल, भैंस) का टीकाकरण कर दिया गया है, लेकिन इस बीच विभाग की ओर से आये एक पत्र के बाद इसे उसी स्थिति में स्थगित कर दिया गया. बताया गया कि जो टीका पशुओं को दिया जा रहा था, उसकी गुणवता काफी खराब पायी गयी. कई स्थानों से यह शिकायत प्राप्त हुयी कि टीका देने के बाद पशु बीमार पड़ रहे हैं. इस अभियान के लिये जिले को प्रथम चरण में करीब 96 हजार वैक्सीन प्राप्त हुयी थी. जो अब विभाग में बेकार पड़े हुये है. विभाग का स्पष्ट निर्देश है कि ये वैक्सीन पशुओं को अब नहीं लगाने हैं.
राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम की शुरूआत यूपी के मथुरा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी. गढ़वा जिले में इसे तीन नवंबर 2020 को शुरू किया गया था. पल्स पोलियो की तरह पांच साल तक लगातार इस अभियान को चलाकर दूधारू पशुओं में होनेवाले खुरपका, मुंहपका (चपका) एवं ब्रूसेलोसिस नामक बीमारी को पूरी तरह जड़ से समाप्त कर देना था़ इसके टीके साल में दो बार छह-छह महीने के अंतराल पर पशुओं को लगाया जाना था़ यह टीका सभी गौ वंशीय पशु के अलावा, भैंस वंशीय प्रजाति को भी लगाना था़ इसका उद्देश्य दूध देनेवाले पशुओं को रोगमुक्त कर दूध उत्पादकता व पशुपालकों की आय को बढ़ाना था.
पशुओं के टीकाकरण के साथ-साथ गढ़वा जिले में टैगिंग करने का काम भी शुरू किया गया था. इसके लिये यहां 72 टीकाकरणकर्मी लगाये गये थे. प्रत्येक पशुओं के टीकाकरण एवं टैगिंग के एवज में उन्हें पांच रूपये दिये जाने का प्रावधान है. इसमें टीकाकरण का तीन रूपये प्रति पशु एवं टैगिंग का दो रूपये प्रति पशु शामिल हैं, लेकिन यहां जैसे ही पशुओं का टीकाकरण अभियान बंद किया गया. उसके साथ टैगिंग का काम भी बंद कर दिया गया. बताया गया कि दो रूपये में पशुपालकों के घर जाकर टैगिंग का काम करने के लिये कर्मी तैयार नहीं है. बताया गया कि अब जब विभाग की ओर से फिर से टीकाकरण अभियान शुरू किया जायेगा, उसी समय टैगिंग भी साथ में चलाया जायेगा.
इस संबंध में जिला पशुपालन पदाधिकारी धनिकलाल मंडल ने बताया कि निर्देश के आलोक में इस अभियान को बंद कर दिया गया है. गढ़वा जिले में इस टीके का दुष्प्रभाव पड़ने जैसी कोई शिकायत नहीं है. सिर्फ गुणवता खराब होने की बात सामने आयी है. अगले आदेश के बाद जब दूसरा टीका उन्हें उपलब्ध हो जायेगा, तब इसे शुरू किया जायेगा.
Posted By : Guru Swarup Mishra