Annapurna Jayanti 2021: 19 दिसंबर को है अन्नपूर्णा जयंती, सुख-समृद्धि के लिए इस विधि से करें पूजा, कथा पढ़ें

Annapurna Jayanti 2021: अन्नपूर्णा जयंती इस साल 19 दिसम्बर को मनाया जायेगा. माता अन्नपूर्णा के जन्म दिन को अन्नपूर्णा जयंती के रूप में मनाया जाता है. जानें इस दिन सुख-समृद्धि के लिए पूजा कैसे करें.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 18, 2021 1:08 PM

Annapurna Jayanti 2021: मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा तिथि को अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाती है. इस दिन घर की रसोई घर में विधि विधान के साथ पूजा की जाती है. अन्नपूर्णा जयंती माता पार्वती को समर्पित है. इस साल अन्नपूर्णा जयंती 19 दिसंबर को मनाया जाएगा. मान्यता के अनुसार एक बार धरती पर अन्न की कमी होने पर प्राणी अन्न के लिए तरसने लगे थे. तब पार्वती माता के अन्नपूर्णा रूप की पूजा की गई थी. माता ने खुश होकर भक्तों के कष्ट को दूर किया था. तब से ही माता अन्नपूर्णा की पूजा किए जाने की परंपरा शुरू हो गई.

लोगों को अन्न का महत्व समझाना है पूजा का उद्देश्य

अन्नपूर्णा जयंती के दिन घर की रसोई को धो कर स्वच्छ किया जाता है. घर के चूल्हे को धोकर उसकी पूजा की जाती है. साफ-सफाई के बाद घर की रसोई घर को गुलाब जल, गंगा जल से शुद्ध किया जाता हैं. इस दिन माता गौरी, माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा की जाती है. इस पूजा का उद्देश्य लोगों को अन्न का महत्व समझाना है.

अन्नपूर्णा जयंती कथा

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार काशी में अकाल पड़ गया और लोग भुख से परेशान हो गए. ऐसे में भगवान शिव ने लोगों का पेट भरने के लिए माता अन्नपूर्णा से मदद मांगी. तब माता ने भगवान शंकर को वचन दिया कि काशी में कभी भी कोई भूखा नहीं सोएगा. ऐसी मान्यता है कि काशी में आने वाले हर किसी को माता के आशीर्वाद से अन्न प्राप्त होता है और कोई भी भुखा नहीं रहता.

अन्नपूर्णा जयंती पूजा विधि

  • .अन्नपूर्णा जयंती के दिन सूर्योदय के समय उठकर स्नान करके पूजा का स्थान और रसोई को अच्छी तरह से साफ कर लें.

  • साफ-सफाई के बाद गंगाजल का छिड़काव करें.

  • अब हल्दी, कुमकुम, अक्षत, पुष्प आदि से रसोई के चूल्हे की पूजा करें.

  • माता अन्नापूर्णा की प्रतिमा को किसी चौकी पर स्थापित करें और एक सूत का धागा लेकर उसमें 17 गांठें लगा दें.

  • अब उस धागे पर चंदन और कुमकुम लगाकर मां अन्नपूर्णा की तस्वीर के सामने रखें और 10 दूर्वा और दस अक्षत अर्पित करें.

  • अन्नपूर्णा देवी की कथा पढ़ें, इसके बाद माता से अपनी भूल की क्षमा याचना करें और परिवार पर अपनी कृपा बनाए रखने की प्रार्थना करें.

  • अब सूत के धागे को घर के पुरुषों के दाएं हाथ में और महिलाओं के बाएं हाथ की कलाई पर बांधे.

  • पूजन के बाद किसी गरीब को अन्न का दान जरूर करें.

Next Article

Exit mobile version