Annapurna Jayanti 2022: इस दिन मनाई जाएगी अन्नपूर्णा जयंती, जानें क्या करें क्या नहीं
Annapurna Jayanti 2022: इस साल अन्नपूर्णा जयंती 8 दिसंबर के दिन मनाई जाएगी. अन्नपूर्णा जयंती के दिन मां अन्नपूर्णा की पूजा की जाती है और इस दिन खासकर दान पुण्य का विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन घर की महिलाएं चूल्हे पर चावल और मिठाई का प्रसाद बना कर घी का दीपक जलाती हैं.
Annapurna Jayanti 2022: अन्नपूर्णा जयंती मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा पर अपने भक्तों को सुखसौभाग्य प्रदान करने वाली देवी अन्नपूर्णा की पूजा हर्ष और उल्लास के साथ की जाती है. इस दिन को माता अन्नपूर्णा को समर्पित किया गया है. इसी दिन मां अन्नपूर्णा का जन्म हुआ था. इस साल अन्नपूर्णा जयंती 8 दिसंबर के दिन मनाई जाएगी.
अन्नपूर्णा जयंती 2022 मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि आरंभ: 7 दिसंबर, प्रातः 08:01 मिनट से
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 8 दिसंबर प्रातः 9.37 पर
अन्नपूर्णा जयंती 8 दिसंबर 2022 को मनाई जाएगी
अन्नपूर्णा जयंती के दिन जरूर करें ये काम
इस दिन खासकर हमें अन्न का अनादर नहीं करना चाहिए. इसके अलावा ऐसी मान्यता है कि इस दिन रसोईघर, गैस, चूल्हे, आदि का पूजन करने से घर में कभी भी धनधान्य की कमी नहीं होती और घर पर हमेशा अन्नपूर्णा देवी की कृपा बनी रहती है.
अन्नपूर्णा जयंती के दिन मां अन्नपूर्णा की पूजा की जाती है और इस दिन खासकर दान पुण्य का विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन घर की महिलाएं चूल्हे पर चावल और मिठाई का प्रसाद बना कर घी का दीपक जलाती हैं. अन्नपूर्णा जयंती के दिन बिना नमक का भोजन ग्रहण करना चाहिए.
अन्नपूर्णा जयंती पर न करें ये काम
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ज्योतिष शास्त्र के अुसार अन्नपूर्णा जयंती पर रसोई घर को गंदा न रखें.
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अन्नपूर्णा मां की पूजा करते समय उन्हें भूलकर भी दुर्वा अर्पित न करें.
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इस दिन नमक वाला भोजन करने की भी मानही है.
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ज्योतिष अनुसार अन्नपूर्णा जयंती पर रसोई में मांसमदिरा या तामसिक भोजन नहीं बनाएं.
इस दिन भूलकर भी अन्न की बर्बादी न करें.
अन्नपूर्णा जयंती पूजन विधि
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इस दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद अपनी रसोई घर की साफ सफाई करें.
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इसके बाद गंगा जल से पूरे घर को और रसोई घर को भी पवित्र करें.
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इसके बाद गैस स्टोव, चूल्हे आदि की पूजा करें और मां अन्नपूर्णा की आराधना करें.
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इस दिन भोजन बनाने वाले चूल्हे को हल्दी, कुमकुम, चावल, पुष्प, धूप, और दीपक से पूजन करें.
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इस दिन की पूजा रसोई घर में ही करनी चाहिए.रसोई घर में ही माता पार्वती और भगवान
शंकर जी की कोई मूर्ति या तस्वीर लाकर उनकी पूजा करें.
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इस दौरान भगवान शिव और मां अन्नपूर्णा से कामना करें कि आपके घर में कभी भी अन्न की कोई कमी ना रहे.
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इसके पश्चात माता के मंत्र का पाठ करें और कथा सुने.
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पूजा के बाद घर में बना हुआ भोजन गरीबों और जरूरतमंदों को खिलाएं.
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अन्नपूर्णा जयंती का मुख्य उद्देश माना जाता है कि इंसानों को अन्न की अहमियत हो.लोग
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अन्न की अहमियत को समझें और उसका आदर करें और खाना बर्बाद ना करें.
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मान्यता के अनुसार जब भगवान शिव काशी में लोगों की आत्मा को मोक्ष प्रदान कर रहे थे
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तब माता पार्वती ने अन्नपूर्णा का रूप धारण कर मृतकों के साथ आए जीवित लोगों के खानपान की व्यवस्था देखी थी.
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आरती से पूजा का समापन करें और प्रसाद लेने के बाद पूजा पूरी करें.