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Annapurna Maa Darshan: धनतेरस से शुरू हुए मां अन्नपूर्णा के दर्शन, खजाने के लिए उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

धनतेरस से अन्नकूट तक स्वर्णमयी अन्नपूर्णा के खजाने से भक्तों पर सुख और सौभाग्य की बरसात होगी. स्वर्णमयी अन्नपूर्णा के इस बार पांच दिवसीय दर्शन के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं. भक्त परिसर में बनी अस्थायी सीढ़ी से होते हुए प्रथम तल पर विराजमान माता का दर्शन कर राम मंदिर से बाहर किए जा रहे हैं.

By Sanjay Singh | November 10, 2023 3:05 PM

Varanasi Annapurna Temple: धनतेरस के साथ ही वाराणसी में श्रद्धालुओं का मां अन्नपूर्णा के दर्शन के लिए सालभर का इंतजार खत्म हो गया. इसके लिए गुरुवार से ही भक्तों की कतार माता के दरबार के बाहर लग गई. मंदिर के बाहर सड़क पर लगी बैरिकेडिंग में श्रद्धालु कतारबद्ध होने लगे. वहीं मंदिर की ओर से श्रद्धालुओं के लिए नाश्ते और पानी का इंतजाम किया गया. भक्तों की कतार बांसफाटक से गोदौलिया और दूसरी ओर विश्वनाथ मंदिर के गेट नंबर चार से आगे तक लगी रही. वहीं शुक्रवार को धनतेरस पर भगवान शिव को अन्न-धन की भिक्षा देने वाली मां अन्नपूर्णा के स्वर्णमयी स्वरूप के दर्शन शुरू हो गए. धनतेरस से अन्नकूट तक स्वर्णमयी अन्नपूर्णा के खजाने से भक्तों पर सुख और सौभाग्य की बरसात होगी. स्वर्णमयी अन्नपूर्णा के इस बार पांच दिवसीय दर्शन के लिए मंदिर प्रबंधन ने विशेष इंतजाम किए हैं. मंदिर आने वाले भक्त परिसर में बनी अस्थायी सीढ़ी से होते हुए प्रथम तल पर विराजमान माता का दर्शन कर राम मंदिर से बाहर किए जा रहे हैं.

वाराणसी में श्रद्धालुओं को पहली बार मां अन्नपूर्णा के दर्शन पांच दिन होंगे. हर बार साल में सिर्फ चार दिन ही ऐसा मौका मिलता है. इस पर मां अन्नपूर्णा के भक्तों को माता के खजाने के रूप में लावा व सिक्के का प्रसाद मिल रहा है. शुक्रवार को माता के दर्शन आरंभ होने के बाद से ही श्रद्धालुओं की भीड़ थमने का नाम नहीं ले रही है. मां अन्नपूर्णा के दरबार में दिव्यांग और बुजुर्गों को सीधे माता के दरबार में प्रवेश दिया जा रहा है. इसके लिए मंदिर के सेवादारों को तैनात किया गया है. भक्तों की भीड़ को देखते हुए मंदिर प्रांगण में चिकित्सक भी तैनात किए गए हैं.

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मंदिर प्रबंधन ने श्रद्धालुओं को वितरित करने के लिए पांच लाख रुपए से अधिक के सिक्के मंगाए हैं. महंत शंकर पुरी ने बताया कि धनतेरस पर लगभग पांच लाख से अधिक सिक्के, जिसे खजाना नाम से संबोधित किया जाता है, और 11 क्विंटल लावा भक्तों में वितरण के लिए मंगवाया गया है. पूजित खजाना सिक्के के रूप में आने वाले प्रत्येक श्रद्धालु को दिया जाता है. इस प्रसाद को घर के भंडार में रखने मात्र से धन धान्य की कमी नहीं होती है. वहीं 14 नवंबर को अन्नकूट महोत्सव के दिन लड्डूओं की झांकी सजेगी. वहीं रात 11.30 बजे माता की महाआरती होगी. इसके बाद एक वर्ष के लिए स्वर्णमयी अन्नपूर्णा का कपाट बंद कर दिया जाएगा.

500 साल पुरानी स्वर्ण मूर्तियां हैं स्थापित

परंपरा के मुताबिक, मां अन्नपूर्णा की स्वर्ण प्रतिमा वाला मंदिर साल में धनतेरस के मौके पर ही चार दिन के लिए खुलता है. दीपावली के दूसरे दिन अन्नकूट महोत्सव के बाद मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं. लेकिन, इस बार दीपावली के दो दिन बाद अन्नकूट महोत्सव पड़ेगा. मंदिर में 500 साल पुरानी स्वर्ण मूर्तियां स्थापित हैं, जो मां अन्नपूर्णा की मूर्ति के साथ ही विराजमान हैं. मां अन्नपूर्णा के सामने खप्पर लिए खड़े भगवान शिव अन्नदान की मुद्रा में है. दाईं ओर मां लक्ष्मी और बाईं तरफ भूदेवी का स्वर्ण विग्रह है.

भगवान शिव ने काशी में मांगी थी मां अन्नपूर्णा से भिक्षा

मंदिर के महंत शंकर पुरी के अनुसार, धनतेरस के दिन मंदिर का अनमोल खजाना खोला जाता है. इसका महत्व मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथाओं से है. माना जाता है कि एक बार काशी में अकाल पड़ा था. तब भगवान शिव ने लोगों का पेट भरने के लिए मां अन्नपूर्णा से भिक्षा मां मां ने भिक्षा के साथ भगवान शिव को यह वचन दिया कि काशी में कभी कोई भूखा नहीं सोएगा. काशी में आने वाले हर किसी को अन्न मां के ही आशीर्वाद से प्राप्त होता है.

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