झारखंड : धनबाद महिला थाना में अब नहीं लिये जायेंगे पुरुषों के आवेदन, जानें क्यों?

धनबाद के महिला थाना में अब पुरुषों के आवेदन नहीं लिये जाएंगे. कारण है कि महिला थाना में पुरुषों की अधिक संख्या में आवेदन आने से महिलाओं की समस्याओं के निबटारा में दिक्कत हो रही है. वहीं, साइकोलॉजिस्ट डॉ आरएस यादव का कहना है कि पति-पत्नी के रिश्ते में दरार की सबसे बड़ी वजह इगो है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 21, 2023 6:04 AM
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Jharkhand News: बिखरते सामाजिक ताना-बाना का सबसे ज्यादा असर परिवार पर पड़ा है. शादी जैसी पवित्र परंपरा भी अब खतरे में है. इसका प्रमाण है जिले के महिला थाना में आ रहे मामले. बता दें कि सबसे ज्यादा मामले पारिवारिक विवाद के हैं. खासकर शादी के चंद दिनों के अंदर पति-पत्नी का विवाद चरम पर आ जा रहा है. पहले जहां इस मामले में महिलाओं के ज्यादा आवेदन आते थे, वहीं अब पुरुषों के आवेदनों की भी झड़ी लग गयी है. इस वजह से महिला थाना के कामकाज पर भी असर पड़ा है. पुलिस के पास समय की कमी हो जा रही है कि वो महिलाओं से संबंधित मामलों का निबटारा करे. इसे देखते हुए निर्णय लिया गया है कि अब महिला थाना में प्रताड़ना से संबंधित पुरुषों के आवेदन नहीं लिये जायेंगे.

तीन माह में आये पुरुषों के 75 आवेदन

महिला थाना की स्थापना पारिवारिक विवाद के मामलों में महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए की गयी थी. यहां दहेज प्रताड़ना, यौन उत्पीड़न, घरेलू हिंसा, प्रेम विवाह आदि से संबंधित महिलाओं के मामले लिये और उस पर कार्रवाई की जाती है, पर कुछ माह से महिला थाना में पुरुष न्याय की गुहार लगाते हुए आवेदन लगा रहे थे.

तीन माह में 75 आवेदन आये

धनबाद महिला थाना प्रभारी के अनुसार, वर्ष 2023 में जनवरी से मार्च तक पुरुषों के 75 आवेदन आ चुके हैं. अधिकतर मामलों में पुरुषों ने लिखा है कि पत्नी घर से अलग रहने या घर जमाई बनने को लेकर तकरार करती है.

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किस माह पुरुषों के कितने आवेदन

जनवरी में 42, फरवरी में 20 व मार्च में अब तक 13 मामले पुरुषों के आये हैं. कई मामले लोकलाज के कारण दब जाते हैं या फिर उनकी चर्चा नहीं होती. 15 मार्च से पुरुषों के आवेदन पर रोक लगा दी गयी है.

कैसे-कैसे मामले : केस-1

प्राइवेट जॉब करनेवाले पाथरडीह निवासी एक व्यक्ति ने महिला थाना में आवेदन देकर समझौता कराने की गुहार लगायी है. उनका विवाह दो साल पहले हुआ था. उनकी पत्नी संयुक्त परिवार में नहीं रहना चाहती है. पति के अनुसार, उनका वेतन बहुत नहीं है. संयुक्त परिवार में काम चल जा रहा है. अब आलम है कि अलग रहने से मना करने पर पत्नी झगड़ा करती है और मायके चली जाती है.

केस- 2

सिंदरी निवासी व्यक्ति ने आवेदन देकर कहा है कि उसकी शादी को एक साल भी नहीं हुआ है. पत्नी मायके में रहना चाहती है. ससुरालवाले घर जमाई बनाना चाहते हैं. वह अपने माता-पिता की इकलौती संतान हैं. मना करने पर पत्नी हाथापाई पर उतर आती है. उसने उनका मुंह भी नोंच लिया है.

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पुरुषों के आवेदन आने में महिलाओं की समस्याओं के निबटारा में आती है परेशानी

इस संबंध में धनबाद की महिला थाना प्रभारी कुमारी विशाखा ने कहा कि महिला थाना में महिलाओं के काफी मामले आते हैं. अब पुरुषों के आवेदन भी काफी बढ़ने लगे थे. इस कारण महिलाओं की समस्याओं के निष्पादन में बाधा आ रही थी. इस कारण पुरुषों के आवेदन पर रोक लगा दी गयी है. जो मामले खुद भी सुलझाये जा सकते हैं, पुरुष उसे भी लेकर थाना आ जाते हैं.

रिश्ते में दरार की सबसे बड़ी वजह इगो है : साइकोलॉजिस्ट

वहीं, बीबीएमकेयू के पूर्व विभागाध्यक्ष, साइकोलॉजी डॉ आरएस यादव का कहना है कि पति-पत्नी के रिश्ते में दरार की सबसे बड़ी वजह इगो है. महिलाएं घर में पति के बराबर निर्णय लेने का अधिकार चाहती हैं. इगो की वजह दोनों पक्ष में से कोई समझौता करने को तैयार नहीं होता है. दूसरी बड़ी वजह है समाज में संयुक्त परिवार की व्यवस्था ध्वस्त होना. पति-पत्नी में अनबन होने के बाद दोनों के बीच समझौता कराने के लिए कोई नहीं होता है.

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