खरसावां गोलीकांड के शहीदों की बेदी पर संकल्प लेने की जरूरत है कि आदिवासी समाज पीछे न छूटे. आदिवासी समाज के लिए केंद्र सरकार जनजाति गौरव दिवस मनाती है. ये बातें केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने रविवार (1 जनवरी 2023) को खरसावां शहीद दिवस पर शहीद बेदी पर श्रद्धांजलि देने के बाद कहीं. खरसावां गोलीकांड में शहीद हुए लोगों को श्रद्धांजलि देने केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा शहीद स्थल पहुंचे थे.
केंद्रीय मंत्री मुंडा ने कहा कि बलिदान देख दुख तो होता है, लेकिन आज शहीदों के प्रति जो सच्ची श्रद्धांजलि देने जनसैलाब उमड़ता है, उसे देख तसल्ली मिलती है. केंद्रीय मंत्री श्री मुंडा ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में रोजगार, स्वास्थ्य, संवैधानिक अधिकार के प्रति जागरूक होकर आदिवासी समाज आगे बढ़े, तभी खरसावां की पावन धरती पर शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि हम दे सकेंगे. श्री मुंडा ने कहा कि डिजिटल युग में नये क्षितिज का निर्माण हो रहा. इसमें आदिम जनजाति का भी विकास हो रहा है.
अर्जुन मुंडा ने कहा कि 75 साल बीतने के बाद भी खरसावां गोलीकांड के शहीदों का चिह्नितीकरण नहीं हो पाया है. राज्य सरकार को इस मुद्दे पर संवेदनशीलता दिखानी चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार में रहते हुए जो कमेटी बनायी, उसमें भी घपले-घोटाले की बातें सामने आयीं, जिससे पता चलता है कि सरकार इन मामलों में गंभीर नहीं है. इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा के साथ पत्नी मीरा मुंडा, पुत्र डॉ अभिषेक मुंडा, जिलाध्यक्ष विजय महतो, वरीय नेता गणेश महाली, जेबी तुबिद, पूर्व विधायक लक्ष्मण टुडू, बड़कुंवर गगराई, मंगल सिंह सोय, उदय सिंह देव, राकेश सिंह समेत बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता मौजूद थे.
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भाजपा आदिवासी मोर्चा के प्रदेश कोषाध्यक्ष गणेश माहली ने कहा है कि खरसावां गोलीकांड में आदिवासी रणबांकुरों ने जीवन की आहुति देकर इतिहास रचा है. एक जनवरी 1948 की घटना हमारे पूर्वजों के संघर्ष की दास्तां बयां करती है. उन्होंने कहा कि खरसावां के शहीद स्थल आज प्रेरणास्थल बन गया है. यहां पहुंच कर शहीदों के सपनों का झारखंड बनाने की प्रेरणा मिलती है. गणेश माहली ने कहा कि केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा की पहल पर खरसावां शहीद पार्क बना है. अब राज्य सरकार को चाहिए कि इसे राजकीय स्मारक के रूप में विकसित करे. उन्होंने राज्य सरकार से खरसावां गोली कांड के शहीदों के आश्रीतों को सम्मानित करने की मांग की है.
रिपोर्ट : शचिंद्र कुमार दाश, खरसावां