Varanasi News: वाराणसी में विदेशी मेहमानों का आगमन, तसवीरों में देखें ‘अद्भुत काशी’ की झलक
साइबेरिया समेत कई देशों में भीषण ठंड से बचने के लिए विदेशी मेहमान भारत के कई राज्यों का रूख करते हैं. इसमें काशी भी एक जगह है जहां पर दिसंबर भर इन पक्षियों की चहलकदमी दिखती है.
Varanasi News: बॉलीवुड फिल्म रिफ्यूजी में एक गाना है- ‘पंछी, नदिया, पवन के झोंके, कोई सरहद ना इन्हें रोके.’ इस समय वाराणसी के घाटों पर ऐसा ही कुछ देखने को मिल रहा है.
इन दिनों वाराणसी के गंगा घाट विदेशी मेहमानों के कलरव से गूंज उठी है. सुबह-सुबह गंगा में तैरते साइबेरिया से आए विदेशी पक्षियों को दाना खिलाने के लिए लोगों को भीड़ उमड़ पड़ती है.
इस समय पक्षियों और लोगों के बीच फर्क मिट जाता है. वो दाना खाते हैं और लोग उन्हें दाना खिलाने में बिजी रहते हैं. काशी में दिसंबर के महीने में भक्ति के साथ ठंड भी चरम पर रहता है.
कई लोग दिसंबर में छुट्टियां मनाने हिल स्टेशन का रूख करते हैं. जिनके दिल में देवाधिदेव शिव विराजते हैं, उनके लिए काशी से बढ़कर कोई स्थान नहीं है. काशी में भक्ति के विविध रूप हैं तो मनोरंजन के सारे साधन भी हैं.
मां गंगा को आस्था का केंद्र माना जाता है. उनकी गोद में सभी को जगह मिलती है. क्या इंसान और क्या पक्षी? किसी के डुबकी लगाने भर से सारे पाप धुल जाते हैं तो पक्षियों के कलरव से मानसिक सुकून भी मिलता है.
स्थानीय लोगों की मानें तो साइबेरिया समेत कई देशों में भीषण ठंड से बचने के लिए विदेशी मेहमान भारत के कई राज्यों का रूख करते हैं. इसमें काशी भी एक जगह है जहां पर दिसंबर भर इन पक्षियों की चहलकदमी दिखती है.
एक तरफ ‘हर-हर महादेव’ के जयकारे और दूसरी तरफ इन पक्षियों की चहचहाहट, यही बातें काशी को ‘अद्भुत काशी, अपनी काशी’ बनाती है. अगर आप भी काशी आते हैं तो गंगा नदी में कलरव करते इन पक्षियों को दाना खिलाने जरूर आएं.
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