प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएमईएसी) के सदस्य संजीव सान्याल ने कहा कि, भारत कृत्रिम मेधा (एआई) के नियमन के लिये नियम तैयार करेगा और एआई नियामक बाजार नियामक सेबी की तरह से काम कर सकता है. सान्याल ने कहा कि कृत्रिम मेधा क्षेत्र में स्व-नियमन और नौकरशाही के जरिये नियमन मॉडल के काम करने की संभावना नहीं है. उन्होंने सुझाव दिया कि देश एक नियामक के बारे में सोच सकता है, जो प्रौद्योगिकी को समझता हो और इस पर ध्यान दे कि यह कैसे विकसित हो रहा है.
पीएमईएसी सदस्य ने ‘डिजिटल एक्सेलेरेशन एंड ट्रांसफॉर्मेशन एक्सपो’ (डीएटीई) के प्रौद्योगिकी पर आयोजित एक सत्र में यहां कहा, आपको एआई प्रणाली के लिये सेबी की तरह नियामक बनाने की जरूरत है. आपको एक ऐसे नियामक की जरूरत है जो प्रौद्योगिकी को समझता हो और इसपर ध्यान दे सके कि यह कैसे विकसित हो रहा है. उन्होंने कहा कि एआई के नियमन के लिये एक प्रणाली स्थापित करनी होगी, आपको वित्तीय बाजार में ‘सर्किट ब्रेक’ की तरह नियमों की आवश्यकता होगी. सान्याल ने कहा, आपको इसमें सफल होने के लिये इससे पूरी तरह से जुड़ने की जरूरत है. साथ ही इसमें पहले से जवाबदेही तय करने की आवश्यकता है। जैसे आपके पास कंपनी में निदेशक मंडल है जो जवाबदेह है. आपको यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि एआई और उसका व्यवहार जवाबदेह हो आपको नियमित ऑडिट लागू करना होगा.
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जैसे आपको कारोबारी मॉडल और खातों को समझाने की जरूरत है, आपको यह समझाने की जरूरत है कि एआई क्या कर रहा है. इसलिए आपको मानकों की आवश्यकता है. यह पूछे जाने पर कि नियमन कितनी जल्दी लागू हो सकता है, उन्होंने कहा, यह (नियमन मानदंड) विकसित होगा. यह काफी तेजी से होगा. उन्होंने कहा, भारत ने इस क्षेत्र को सूझबूझ के साथ प्रबंधित करने की क्षमता विकसित कर ली है. एक बार जब हम उस दिशा में सोचना शुरू कर देंगे तो हमें एआई नियमन विकसित करने के लिये अच्छे ‘प्रोटोकॉल’ की आवश्यकता होगी. सान्याल ने कहा कि दुनियाभर में लोगों को अब लगता है कि एआई के लिये कुछ नियमन की आवश्यकता है.