आसछे मकर, दू दिन सबुर कर, तुई गुड़ पीठा सब जोगाड़ कर.. गीत इन दिनों सरायकेला-खरसावां के गांव-मुहल्लों में गूंज रहा है. मकर पर्व को दो दिन शेष रह गया है. गांव से शहर तक बाजार की रौनक बढ़ गयी है. क्षेत्र का सबसे बड़ा व साल का पहला त्योहार मकर की तैयारी जोरों पर है. घरों को पारंपरिक लाल व पीला रंग की मिट्टी से रंगने में जुट गये हैं. मकर पर्व पर नये वस्त्र पहनने की प्रथा वर्षों से है. हाट-बाजारों में मकर की खरीदारी के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है. खासकर कपड़ों की दुकानों में लोग पहुंच रहे है. मकर पर्व पर घरों में गुड़ पीठा बनाने का प्रचलन है. खरसावां व सरायकेला के साप्ताहिक हाट में भी काफी भीड़ देखी गयी. कपड़ों के साथ बत्तख व मुर्गे की खूब बिक्री हुई.
सरायकेला में हाट में काफी भीड़ रही. मकर संक्रांति पर लगभग 50 लाख से अधिक के कारोबार का अनुमान है. हाट में कपड़े, मिट्टी के बर्तन की जमकर बिक्री हुई. सरायकेला के मॉल और कपड़ों की दुकानों में अच्छी खासी भीड़ देखी गयी. हाट में लोग कपड़ों के साथ गुड़, तिल तिलकुट आदि की खरीदारी करते नजर आये.
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