आशा पारेख की इस वजह से नहीं हो पाई शादी, सालों बाद एक्ट्रेस ने खुद किया ये खुलासा

दिग्गज अभिनेत्री आशा पारेख ने हाल ही में अपनी निजी जिंदगी के बारे में खुलासा किया. एक मैगजीन कवर पर छपी अभिनेत्री ने एक इंटरव्यू में साझा किया.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 14, 2022 6:15 PM
an image

दिग्गज अभिनेत्री आशा पारेख ने हाल ही में अपनी निजी जिंदगी के बारे में खुलासा किया. एक मैगजीन कवर पर छपी अभिनेत्री ने एक इंटरव्यू में साझा किया कि वह शादी करना पसंद करतीं लेकिन उन्हें कोई पछतावा नहीं है कि वह ऐसा नहीं कर सकीं. भारतीय सिनेमा की ‘हिट गर्ल’ के रूप में जानी जाने वाली आशा पारेख ने अपने पूरे करियर में कई व्यावसायिक रूप से सफल फिल्मों में काम किया है. लेकिन उन्होंने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में सफलता के शिखर पर पहुंचने के बाद अविवाहित रहने का फैसला किया.

मेरी शादी होना तय नहीं था

79 वर्षीय आइकन ने हार्पर बाजार इंडिया को बताया, “मुझे लगता है कि मेरी शादी होना तय नहीं था. ईमानदारी से कहूं तो मैं शादी करना और बच्चे पैदा करना पसंद करती, लेकिन ऐसा नहीं होना था. हालांकि, मेरे पास बिल्कुल है कोई पछतावा नहीं.” अपने इंटरव्यू के दौरान आशा ने कहा है कि उनकी प्रतिष्ठा ने लोगों को शादी में उनका हाथ मांगने में संकोच किया. उन्होंने पहले से ही एक विवाहित फिल्म निर्माता के प्यार में पड़ने की बात स्वीकार की थी, लेकिन उन्होंने उनसे शादी नहीं की क्योंकि वह एक गृहिणी नहीं बनना चाहती थी.

सबसे ज्यादा फीस पाने वाली एक्ट्रेस

आशा पारेख अपने समय की सबसे अधिक भुगतान पाने वाली अभिनेत्री (महिला) थीं और 1960 और 1970 के दशक की सबसे सफल अभिनेताओं (महिला) में से एक थीं. हिंदी सिनेमा की सबसे प्रभावशाली अभिनेत्रियों में से एक मानी जाती हैं. आशा ने कहा, “मैंने हमेशा विश्वास किया है – और विश्वास करना जारी रखती हूं – कि सुंदरता इंसान के अंदर रहती है. अगर आप खुश हैं, तो आप चमकेंगे … और अगर आप दुखी हैं, तो यह आपके चेहरे पर दिखाई देगा.”

Also Read: Happy Birthday Aamir Khan: आमिर खान ने अपने जन्मदिन पर बताया क्या है उनकी ख्वाहिश, फैंस के लिए ये खास बात
ये है एक्ट्रेस की चर्चित फिल्में

आशा पारेख की सबसे प्रतिष्ठित फिल्मों में ‘जब प्यार किसी से होता है’ (1961), ‘फिर वही दिल लाया हूं’ (1963), ‘तीसरी मंजिल’ (1966), ‘बहारों के सपने’ (1967), ‘प्यार का मौसम’ (1969), ‘कटी पतंग’ (1970) और कारवां (1971) शामिल हैं. साल 1992 में उन्हें सिनेमा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा पद्म श्री से सम्मानित किया गया था.

Exit mobile version