Ashadha Gupt Navratri 2023: आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गुप्त नवरात्रि मनाई जाएगी. इस नवरात्रि में तंत्र साधना की जाती है. इस दौरान 9 दिन में देवी के 9 रूपों की पूजा होती है. आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 19 जून से शुरू हो रही है. जो 28 जून को समाप्त होगी. इस दौरान माता रानी की विधि पूर्वक पूजा करने के लिए भक्तों को कुछ पूजन सामग्री की जरूरत होती है.
इन नौ दिनों में मां दुर्गा के 10 दिव्य स्वरूपों की पूजा-उपासना की जाती है। मां दुर्गा के नौ रूप शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री माता हैं। वहीं, दस महाविद्या तारा, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, काली, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी हैं। गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की पूजा-उपासना की जाती है. तंत्र मंत्र सीखने वाले साधकों के लिए गुप्त नवरात्रि का विशेष महत्व है.
नवरात्रि में सबसे जरूरी चीज है मां दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर। साथ ही लाल रंग मां दुर्गा का सबसे खास रंग माना जाता है. इसलिए पूजा में आसन के तौर पर लाल रंग के कपड़े का इस्तेमाल करें.
अन्य सामग्री में फूल, फूल माला, आम के पत्ते, बंदनवार, पान, सुपारी, लौंग, बताशा, हल्दी की गांठ, थोड़ी पिसी हुई हल्दी, मौली, रोली, कमलगट्टा, शहद, शक्कर, पंचमेवा, गंगाजल, नैवेध, जावित्री, नारियल जटा वाला, सूखा नारियल, नवग्रह पूजन के लिए सभी रंग या फिर चावलों को रंग लें, दूध, वस्त्र, दही, पूजा की थाली, दीपक, घी, अगरबत्ती आदि सामान पहले से ही एकत्रित करके रख लें.
घटस्थापना नवरात्रि के महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक है. यह नौ दिनों की दुर्गा पूजा की शुरुआत का प्रतीक है. हमारे शास्त्रों में नवरात्रि की शुरुआत में एक निश्चित अवधि के दौरान घटस्थापना करने के लिए विधि-विधान और दिशानिर्देश तय हैं. घटस्थापना देवी शक्ति का आह्वान है और इसे गलत समय पर करने से, जैसा कि हमारे शास्त्रों में कहा गया है, देवी शक्ति का प्रकोप हो सकता है.
हम लग्न पर भी विचार करते हैं और द्वि-स्वभाव लग्न (द्वि स्वभाव लग्न) को परिकलित मुहूर्त में शामिल करने का प्रयास करते हैं. शारदीय नवरात्रि के दौरान द्वि-स्वभाव लग्न कन्या सूर्योदय के समय प्रबल होती है और यदि उपयुक्त हो तो हम इसे घटस्थापना मुहूर्त के लिए लेते हैं.