Masik Shivratri 2022: शिवरात्रि शिव और शक्ति के संगम का एक पर्व है. हिंदू पंचाग के अनुसार हर महीने कृष्ण पक्ष के 14वें दिन को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है. यह पर्व न केवल उपासक को अपनी इंद्रियों को नियंत्रित करने में मदद करता है, बल्कि उसे क्रोध, ईर्ष्या, अभिमान और लालच जैसी भावनाओं को रोकने में भी मदद करता है. मासिक शिवरात्रि हर महीने मनाई जाती है. शास्त्रों के अनुसार साप्ताहिक त्योहारों में भगवान शिव को सोमवार का दिन समर्पित किया गया है.
आषाढ़ माह की शिवरात्रि कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी यानी आज 27 जून को सुबह 3 बजकर 25 मिनट पर है. ये अगले दिन 28 जून को सुबह 5 बजकर 52 मिनट पर खत्म होगा. ऐसे में उदयातिथि के आधार पर मासिक शिवरात्रि का व्रत 27 जून, दिन सोमवार को (masik shivratri 2022 date) रखा जाएगा.
शिवरात्रि के व्रत की महिमा से तो सभी भली-भांति परिचित हैं, लेकिन हर महीने आने वाली मासिक शिवरात्रि का व्रत भी बहुत ही प्रभावशाली माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि मासिक शिवरात्रि में व्रत, उपवास रखने और भगवान शिव की सच्चे मन से आराधना करने से सभी मनोमनाएं पूरी होती हैं. इस दिन व्रत करने से हर मुश्किल कार्य आसान हो जाता है और जातक की सारी समस्याएं दूर होती हैं.
मासिक शिवरात्रि के दिन की महिमा के बारे में यह भी कहा जाता है कि वो कन्याएं जो मनोवांछित वर पाना चाहती हैं इस व्रत को करने के बाद उन्हें उनकी इच्छा अनुसार वर मिलता है और उनके विवाह में आ रही रुकावटें दूर हो जाती हैं. शिव पुराण के अनुसार जो भी सच्चे मन से इस व्रत को करता है उसकी सारी इच्छाएँ पूरी हो जाती हैं.
हर महीने आने वाले इस पर्व को प्रत्येक सम्प्रदाय के हिन्दुओं द्वारा मनाया जाता है. हममें से कई लोग मासिक शिवरात्रि का व्रत भी रखते हैं. वो भक्त जो मासिक शिवरात्रि करने की इच्छा रखते हैं उन्हें मासिक शिवरात्रि का प्रारम्भ महाशिवरात्रि के दिन से करना चाहिए. इस व्रत को महिला और पुरुष दोनों कर सकते है. श्रद्धालुओं को शिवरात्रि की रात को जाग कर शिव जी की पूजा करनी चाहिए. तो आइये जानते हैं मासिक शिवरात्रि पूजा विधि के बारे में विस्तार से–
● मासिक शिवरात्रि वाले दिन आप सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि कर लें.
● अब आप किसी मंदिर में जा कर भगवान शिव और उनके परिवार (पार्वती, गणेश, कार्तिक, नंदी) की पूजा करें.
● सबसे पहले आप शिवलिंग का रुद्राभिषेक जल, शुद्ध घी, दूध, शक़्कर, शहद, दही आदि से करें. ऐसी मान्यता है कि रुद्राभिषेक करने से भोलेनाथ अत्यंत प्रसन्न हो जाते हैं.
● अब आप शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा और श्रीफल चढ़ाएं. ध्यान रहे कि बेलपत्र अच्छी तरह साफ़ किये होने चाहिए.
● अब आप भगवान शिव की धुप, दीप, फल और फूल आदि से पूजा करें.
● शिव पूजा करते समय आप शिव पुराण, शिव स्तुति, शिव अष्टक, शिव चालीसा और शिव श्लोक का पाठ करें.
● संध्या के समय आप फलहार कर सकते हैं. उपासक को अन्न ग्रहण नही करना चाहिए.
● अगले दिन भगवान शिव की पूजा करें और दान आदि करने के बाद अपना उपवास खोलें.
इस बात का ध्यान रखें कि व्रत और उसका उद्यापन विधिवत तरीके से किया जाना चाहिए. शिवरात्रि के पूजन समय मध्य रात्रि के समय होता है. भगवान् शिव की पूजा रात को 12 बजे के बाद करें और पूजा के समय श्री हनुमान चालीसा का पाठ भी करें. ऐसा करने से उपासक की आर्थिक परेशानी दूर होती हैं.
यदि कोई भी सच्चे मन और पूरी निष्ठा से भगवान की पूजा और उनका स्मरण करेगा उसे मनोवांछित फल अवश्य प्राप्त होगा. आपको बता दें कि इस दिन सफेद वस्तुओं का दान करने की अधिक महिमा होती है, जिससे आपके घर में कभी भी धन की कमी नहीं होगी. यह भी कहा जाता है कि मासिक शिवरात्रि के दिन शिव पार्वती की पूजा व्यक्ति को हर तरह के कर्जों से मुक्ति दिलाती है.
जिस तरह हर व्रत आदि के पीछे कोई न कोई कथा होती है वैसे ही मासिक शिवरात्रि करने के पीछे भी एक कथा है. आइये जानते हैं मासिक शिवरात्रि व्रत कथा के बारे में–
पौराणिक कथाओं और धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान शिव महाशिवरात्रि के दिन मध्य रात्रि के समय शिव लिंग के रूप में प्रकट हुए थे. जिसके बाद सबसे पहले भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु ने उनकी पूजा की थी. उस दिन से लेकर आज तक इस दिन को भगवान शिव जन्म दिवस के रूप में बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है. इस दिन शिव पूजन का खास महत्व है. बहुत से पुराणों में भी शिवरात्रि व्रत का ज़िक्र किया गया है. शास्त्रों के अनुसार अपने जीवन के उद्धार के लिए माता लक्ष्मीं, सरस्वती, गायत्री, सीता, पार्वती तथा रति जैसी बहुत-सी देवियों और रानियों ने भी शिवरात्रि का व्रत किया था.
मासिक शिवरात्रि जीवन में सुख और शांति प्रदान करता है और भगवान शिव की कृपा दृष्टि से उपासक के सारे बिगड़े काम बन जाते है. यह व्रत संतान प्राप्ति, रोगों से मुक्ति के लिए भी किया जाता है.
घर में सुख-समृद्धि बनाए रखने के लिए इस दिन बैल को चारा अवश्य खिलाना चाहिए. ऐसा करने से जीवन में आ रही कई परेशानियां खत्म हो जाती है.
अगर जातक की राशि में शनि दोष है, उसे शनि की ढैय्या या साढ़ेसाती के बुरे फल प्राप्त हो रहे हैं तो मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान शिव को काले तिल मिलाकर जल अर्पित करना चाहिए. साथ ही ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करें.
अगर विवाह में कोई अड़चन आ रही है तो भगवान शिव के मंदिर में पांच नारियल लेकर जाएं. भोलेनाथ का जलाभिषेक करने के बाद बाद ‘ॐ श्रीं वर प्रदाय श्री नमः’ मंत्र का 5 माला जाप करें. फिर नारियल शिव जी को अर्पित कर दें.