Loading election data...

बंगाल चुनाव 2021: हार के कारणों पर अशोक चव्हान ने सोनिया गांधी को सौंपी रिपोर्ट, लेफ्ट-आईएसएफ से गठबंधन तोड़ने को तैयार नहीं प्रदेश कांग्रेस

बंगाल में शून्य (0) पर पहुंचने के बाद भी लेफ्ट-आईएसएफ से गठबंधन तोड़ने को तैयार नहीं प्रदेश कांग्रेस

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 2, 2021 5:05 PM
an image

कोलकाता : बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 में करारी शिकस्त के बावजूद पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस के नेता वामदलों और इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) से गठबंधन तोड़ने के पक्ष में नहीं है. कांग्रेस आलाकमान सोनिया गांधी के निर्देश पर हार के कारणों की समीक्षा के लिए बनी पांच सदस्यीय कमेटी और प्रदेश कांग्रेस नेताओं के साथ हुई बैठक के बाद यह बात सामने आयी है.

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चह्वाण के नेतृत्व में बनी इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सोनिया गांधी को सौंप दी है. कमेटी में सलमान खुर्शीद, मनीष तिवारी, विंसेंट पाला और ज्योति माला जैसे नेता शामिल थे. इन लोगों ने एक के बाद एक प्रदेश कांग्रेस के नेताओं के साथ वर्चुअल मीटिंग की. इस बैठक में विस्तार से हार के कारणों पर चर्चा हुई. इस दौरान राज्य के नेताओं ने एक स्वर में कहा कि लेफ्ट-आईएसएफ के साथ गठबंधन को तोड़ना सही नहीं होगा.

बैठक में शामिल नेताओं ने कहा कि संयुक्त मोर्चा का नेतृत्व आम लोगों तक अपनी बात पहुंचाने में सफल नहीं रहा. वोटों का ध्रुवीकरण इस अंदाज में हुआ कि लोग दो खेमों में बंट गये. हिंदू वोट बैंक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गया, तो भाजपा को रोकने के लिए अल्पसंख्यक मतदाता और एक बड़ी आबादी तृणमूल कांग्रेस के साथ चली गयी. यही वजह रही कि संयुक्त मोर्चा का प्रदर्शन बेहद खराब रहा. कांग्रेस और लेफ्ट को एक भी सीट नहीं मिली.

Also Read: बंगाल चुनाव 2021: कांग्रेस ने 20 फीसदी गरीबों को 68,400 और प्रवासी श्रमिकों को 60 हजार रुपये देने का वादा

अशोक चह्वाण की अगुवाई में बनी कमेटी ने कई दौर की बातचीत की. उनकी रिपोर्ट के आधार पर ही पार्टी आगे की रणनीति तय करेगी. कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि प्रदेश कांग्रेस का एक बड़ा वर्ग लगातार इस बात पर बल दे रहा है कि पिछले 20 सालों में प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष सात बार बदले जरूर गये हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर कांग्रेस को मजबूत करने की कोई कोशिश नहीं हुई.

इसी का नतीजा है कि पार्टी के जनाधार में लगातार गिरावट आ रही है. ये लोग संगठन को नये सिरे से सजाने और संवारने की जरूरत पर बल रहे हैं. आजादी के बाद लगातार 15 साल तक सरकार चलाने वाली कांग्रेस साढ़े तीन दशक से सत्ता से बाहर है. बंगाल चुनाव 2021 में देश की सबसे पुरानी पार्टी को महज 2.93 फीसदी वोट मिले. उसे राज्य के चुनाव में पहली बार एक भी सीट पर जीत नहीं मिली.

Also Read: खून से लथपथ बंगाल: चुनाव परिणाम के बाद 37 भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्‍या हुई, दिलीप घोष का दावा
इन नेताओं के साथ केंद्रीय टीम ने की समीक्षा बैठक

हार के कारणों की समीक्षा करने वाले नेताओं ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी, सांसद प्रदीप भट्टाचार्य, अब्दुल मन्नान, डीपी राय, युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष शादाब खान, छात्र परिषद के अध्यक्ष सौरभ प्रसाद, अमिताभ चक्रवर्ती, एआईसीसी के सदस्य तपन अग्रवाल समेत तमाम नेताओं से उनकी राय ली गयी. अधिकतर नेताओं ने कहा है कि कांग्रेस और वाममोर्चा के साथ एआईएसएफ के गठबंधन को अभी तोड़ना सही नहीं होगा.

Posted By: Mithilesh Jha

Exit mobile version