सबसे ज्यादा सीटें जीतने वाली कांग्रेस के इतने प्रत्याशियों की हुई थी जमानत जब्त, बीजेपी ने बचाई जमानत
इलेक्शन कमीशन के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2018 के छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में छह राष्ट्रीय पार्टियों एवं निर्दलियों समेत 62 दलों ने चुनाव लड़ा था. इन्होंने कुल 90 विधानसभा सीट के लिए 1,359 उम्मीदवार मैदान में उतारे थे. इनमें से 1,154 की जमानत जब्त हो गई थी.
छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव की डुगडुगी बज चुकी है. सूबे में दो चरणों में वोटिंग होगी. सात और 17 नवंबर को क्रमश: 20 और 70 विधानसभा सीटों पर दो करोड़ से अधिक मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे. सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस और मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) दोनों ही इस बार चुनाव में प्रचंड बहुमत हासिल करने का दावा कर रहीं हैं. बीजेपी को विश्वास है कि पांच साल बाद उसकी सत्ता में वापसी होगी, तो कांग्रेस को इस बात का यकीन है कि भूपेश बघेल सरकार के पांच साल के कार्यकाल में जो उसने विकास कार्य किए हैं, उसके दम पर वह इस बार वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव से ज्यादा सीटें जीतकर फिर सत्ता में वापसी करेगी. कांग्रेस का दावा है कि इस बार वह 75 सीटें जीतकर सरकार बनाएगी. ऐसे में एक बार पिछले विधानसभा चुनाव में यानी छत्तीसगढ़ इलेक्शन 2018 में पार्टियों के प्रदर्शन पर नजर डालना समीचीन होगा. निर्वाचन आयोग के आंकड़ों पर गौर करेंगे, तो पाएंगे कि प्रचंड बहुमत से सरकार बनाने वाली कांग्रेस पार्टी के कई नेताओं को अपनी जमानत गंवानी पड़ी थी. हालांकि, बीजेपी के किसी उम्मीदवार की जमानत जब्त नहीं हुई थी.
62 दलों ने लड़ा था छत्तीसगढ़ चुनाव
इलेक्शन कमीशन के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2018 के छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में छह राष्ट्रीय पार्टियों एवं निर्दलियों समेत 62 दलों ने चुनाव लड़ा था. इन्होंने कुल 90 विधानसभा सीट के लिए 1,359 उम्मीदवार मैदान में उतारे थे. इनमें से 1,154 की जमानत जब्त हो गई थी. इन 90 विधानसभा के 2,82,738 मतदाताओं ने उपरोक्त में से कोई नहीं (Non Of The Above – NOTA) का बटन दबाया था. इस बार इससे कम युवा वोटर मतदाता सूची में जुड़े हैं. जी हां. वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए जो युवा वोटर जुड़े हैं, उनकी संख्या 2,63,829 है.
237 उम्मीदवार उतरे थे मैदान में
बहरहाल, वर्ष 2018 के छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में छह राष्ट्रीय पार्टियों ने 237 उम्मीदवार उतारे थे. इनमें से सिर्फ 85 को जीत मिली थी. राष्ट्रीय पार्टियों के 52 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी. जिन उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई थी, उनमें तीन कांग्रेस पार्टी के भी थे. कांग्रेस ने सभी 90 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे. इनमें से 68 को जीत मिली और तीन की जमानत जब्त हो गई. वहीं, बीजेपी ने 90 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए. उसके सिर्फ 15 प्रत्याशी जीतकर विधानसभा पहुंच पाए. लेकिन, किसी की जमानत जब्त नहीं हुई.
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6 राष्ट्रीय दलों के 52 प्रत्याशियों की जमानत हुई थी जब्त
बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने 35 प्रत्याशियों को टिकट दिया था. इनमें से दो ने जीत दर्ज की. 28 की जमानत जब्त हो गई. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के सात में से छह उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई, जबकि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) के सभी तीन प्रत्याशी अपनी जमानत गंवा बैठे. सिर्फ सीपीएम ही नहीं, शरद पवार की पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के भी सभी 12 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई. इस तरह छह राष्ट्रीय पार्टियों के 52 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई. अच्छी बात यह रही कि इन दलों ने कुल वोट का 80.47 फीसदी यानी 1,14,88,616 वोट हासिल किया.
राज्यस्तरीय चार पार्टियों के सभी प्रत्याशी हारे, जमानत हुई जब्त
राज्य स्तरीय चार पार्टियों का प्रदर्शन भी बेहद शर्मनाक रहा. जनता दल यूनाइटेड (जदयू), शिव सेना और समाजवादी पार्टी समेत चार राज्य स्तरीय दलों ने कुल 156 उम्मीदवार उतारे थे. सभी की जमानत जब्त हो गई. इन्हें 1,88,456 (1.32 फीसदी) वोट प्राप्त हुए.
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पंजीकृत (गैर-मान्यताप्राप्त) पार्टियों को 5 सीट पर जीत मिली
पंजीकृत (गैर-मान्यताप्राप्त) पार्टियों को छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2018 में पांच सीटों पर जीत मिली. इस श्रेणी की 45 पार्टियों ने 315 उम्मीदवारों को टिकट दिया था. इनमें से पांच जीते. 300 की जमानत जब्त हो गई. इन सभी पार्टियों के प्रत्याशियों को कुल 14,77,404 (10.35 फीसदी) वोट मिले. वहीं, 561 निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में थे, सभी को जनता ने नकार दिया. सभी की जमानत जब्त हो गई. हालांकि, इन्हें 8,39,041 वोट (5.88 फीसदी) प्राप्त हुए.
चुनाव में कांग्रेस को मिले थे इतने वोट
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2018 में अगर वोटों की बात करेंगे, तो कांग्रेस पार्टी को 61,43,880 यानी 43.04 फीसदी वोट मिले थे, जबकि बीजेपी को 47,06,830 यानी 32.97 फीसदी वोट मिले थे. बीएसपी को 5,52,313 यानी 3.87 फीसदी, सीपीआई को 48,255 यानी 0.34 फीसदी, सीपीएम को 8,355 यानी 0.06 फीसदी और एनसीपी को 28,983 यानी 0.20 फीसदी वोट प्राप्त हुए थे.