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Astrology: इन ग्रहों के अशुभ प्रभाव से जीवन में झेलनी पड़ती हैं तकलीफें, जानें लक्षण और ज्योतिषीय उपाय

Astrology: ज्योतिष के अनुसार, जन्म कुंडली में सूर्य ग्रह के अशुभ होने पर व्यक्ति का अपने पिता के साथ झगड़ा होने लगता है और वह अपने ही पिता का विरोध करना शुरू कर देता है.

Astrology: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी भी व्यक्ति की कुंडली के 12 भावों में स्थित नवग्रह उस पर आजीवन असर डालते हैं. ग्रहों की बदलती स्थिति के चलते उनके शुभ या अशुभ प्रभाव कभी भी किसी पर पड़ सकता हैं. व्यक्ति के जीवन में किसी भी प्रकार की घटना घटित होता है, उसे इन 12 भावों के माध्यम से ही जोड़ कर देखा जाता हैं. किसी भी व्यक्ति के बुरे दिन कभी भी किसी से पूछकर नहीं आते हैं, लेकिन किस ग्रह के कारण आपको तकलीफें झेलनी पड़ रही हैं उसके बारे में ज्योतिष शास्त्र के द्वारा आप जरूर पता लगा सकते हैं. उसे जानकर उस ग्रह से संबंधित उपाय भी कर सकते हैं, जिससे आपके जीवन की सारी समस्याएं समाप्त हो जाएगी और आपका जीवन सुखमय हो जायेगा, जब किसी व्यक्ति पर ग्रहों की खराब दशा आती है तो अरबपति आदमी भी खाकपति हो जाता है. अच्छा खासा पहलवान व्यक्ति कमजोर हो जाता है. बरहाल किसी भी ग्रह विशेष से संबंधित खराब दशा को तमाम संकेतों से जान सकते हैं. ऐसे आइए ग्रहों की अशुभता के लक्षण के बारे में जानते हैं.

सूर्य की अशुभता के लक्षण

ज्योतिष के अनुसार, जन्म कुंडली में सूर्य ग्रह के अशुभ होने पर व्यक्ति का अपने पिता के साथ झगड़ा होने लगता है और वह अपने ही पिता का विरोध करना शुरू कर देता है. सूर्य की अशुभता के चलते पिता को कष्ट होता है. व्यक्ति के भीतर आत्मविश्वास में कमी आती है, मानहानि, सत्तापक्ष से कष्ट, हृदय रोग, पित्त रोग, नेत्र पीड़ा, चर्मरोग, अस्थि रोग आदि समस्याएं होती हैं. इसके लिए जातको को सूर्य ग्रह के शुभ करने का उपाय करना चाहिए. सूर्य की शांति के लिए प्रात: स्नान करने के बाद सूर्यदेव को जल अर्पित किया जाता है. इसके बाद सूर्य से संबंधित वस्तुओं का दान, जप, होम मंत्र धारण व सूर्य की वस्तुओं से जल स्नान करना भी सूर्य के उपायों में आता है. रविवार को उड़द, गेहूं, तांबा, माणिक्य रत्न, लाल पुष्प, खस, मैनसिल आदि का दान करना चाहिए. इसके अलावा सूर्य ग्रह के लिए रूबी माणिक्य धारण करना करना चाहिए.

चंद्रमा की अशुभता के लक्षण

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, किसी भी जातक के कुंडली में चंद्रमा के अशुभ या फिर कहें कमजोर होने पर व्यक्ति मानसिक से रूप से परेशान रहता है. उसे तमाम तरह की चिंताएं घेरे रहती हैं. व्यक्ति को निद्रा रोग, रक्त विकार, कफ की बीमारी, सर्दी-जुकाम, चिंता, श्वसन संबंधी दिक्कतें, मतिभ्रम आदि दिक्कत बनी रहती है. यदि आपकी मां की तबीयत हमेशा खराब रहे तो यह आपकी कुंडली में अशुभ चंद्रमा की निशानी है. इसके साथ ही प्रेम विवाह में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं. चन्द्रमा को शुभ करने के लिए आप भगवान शिव की उपासना तथा आराधना कर सकते है. इसके साथ ही सोमवार को व्रत रखने से भी चन्द्र की अशुभता दूर हो जाती हैं.

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मंगल की अशुभता के लक्षण

वैदिक ज्योतिष के अनुसार, किसी भी जातक की जन्म कुंडली में मंगल के अशुभ या कमजोर होने पर उसे अपने भाइयों से विरोध झेलना पड़ता है. उसे अचल संपत्ति, जमीन आदि से जुड़े विवाद को झेलना पड़ता है. अशुभ मंगल ग्रह के कारण संपत्ति को आग या चोर से भय बना रहता है. मंगल के अशुभ प्रभाव के कारण व्यक्ति अभिमान और क्रोध की अधिकता रहती है. अस्थि मज्जा की बीमारियां, शरीर में जलन, अल्सर, फोड़े फुन्सी आदि रोग होते हैं. अगर आपके कुंडली में मंगल ग्रह शुभ नहीं हैं तो आप मंगलवार के दिन व्रत करें और हनुमान जी की पूजा करें एवं इस दिन हनुमान चालीसा का पाठ अवश्य करें. मंगलवार के दिन हनुमान जी को सिंदूर और चमेली का तेल अर्पित करें, इसके साथ ही मंगलवार के दिन तांबा, लाल वस्त्र, लाल चंदन, लाल फूल या मसूर की दाल का दान करने से भी मंगल के अशुभ प्रभावों को कम किया जा सकता हैं.

बुध की अशुभता के लक्षण

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, बुध के अशुभ होने पर व्यक्ति को वाणी दोष होता है. कुंडली में बुध की अशुभता करियर-कारोबार में मनचाही सफलता में व्यवधान लाती है. व्यापार में घाटा होने लगता है. व्यक्ति को चर्मरोग की शिकायत रहने लगती है और उसकी तर्क शक्ति क्षीण हो जाती है. अशुभ बुध पक्षाघात, दाद, खुजली, नपुंसकता, गूंगापन, गले में खराबी, आदि लेकर आता है. अगर आपके कुंडली में भी बुध की स्थिति शुभ नहीं हैं तो आप भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की नियमित पूजा कर सकते हैं. बुधवार के दिन व्रत रहें और कांस्य के बर्तन, हरे रंग के कपड़े का दान कर सकते हैं.

बृहस्पति की अशुभता के लक्षण

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, बृहस्पति के अशुभ होने पर कन्या के विवाह में दिक्कतें आती हैं. उसके मान-सम्माम में कमी आती है. कमजोर एवं पीड़ित बृहस्पति के कारण सौभाग्य और सेहत प्रभावित होता है. व्यक्ति को पाचन तन्त्र में खराबी, पीलिया, गुर्दा आदि से सम्बन्धित बीमारी होती है. उसे अपयश, कलंक, असफलता, वियोग, आदि झेलना पड़ता है. बृहस्पति ग्रह को शुभ करने के लिए आप गुरुवार का व्रत कर सकते हैं, जिसके कारन आपका बृहस्पति मजबूत हो जायेगा. इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनना और भगवान को पीले रंग से प्रसाद चढ़ाना बहुत शुभ होता है. आप ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम: मंत्र का 3, 5 या 16 माला जाप कर सकते हैं.

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शुक्र की अशुभता के लक्षण

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शुक्र के अशुभ होने पर व्यक्ति के वैवाहिक जीवन में कष्ट होता है. उसे प्रेम संबंधों में असफलता का सामना करना पड़ता है या फिर प्रेम संबंधों में तमाम तरह की बाधाएं आती हैं. व्यक्ति को जननेन्द्रियों से जुड़े रोग होते हैं. शुक्र की अशुभता के चलते व्यक्ति का शरीर कान्ति हीन हो जाता है. शुक्र के दोष के कारण व्यक्ति व्यभिचारी होता है. इसी प्रकार स्त्रियां परपुरुष संग संबंध बनाती हैं. शुक्र ग्रह को शांत करने के लिए आप माँ लक्ष्मी की उपासना, सफेद वस्त्र का दान, भोजन का कुछ हिस्सा गाय, कौवे, और कुत्ते को खिलाना, शुक्रवार का व्रत एवं ॐ शुं शुक्राय नम: मंत्र का नियमित जाप कर सकते हैं.

शनि की अशुभता के लक्षण

कुंडली में शनि संबंधी दोष होने पर व्यक्ति को पेट में गैस से संबंधित समस्याएं होने लगती हैं. उसे हर समय पेट संबंधी कोई न कोई दिक्कत बनी रहती है. शनिदोष के चलते जातक को तमाम तरह के शारीरिक कष्ट, पारिवारिक कलह, सम्पत्ति नाश, रोग व्याधि, अपमान, राजकीय कोप, आदि का सामना करना पड़ता है. व्यक्ति में आलस्य आता है और वह गलत कार्यों में लिप्त होने लगता है. इसके लिए आप प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करने से शनि देव के गुस्से से बचा जा सकता है. शनि देव की कृपा पाने के लिए चिड़िया, मछली और पशुओं को दाना, पानी या चारा खिला सकते हैं, इसके साथ ही शनि देव के बुरे प्रभाव से बचने के लिए हर शनिवार के दिन सरसों के तेल के दीपक में काला तिल मिलाकर शनि मंदिर में जलाएं और शनि स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं.

राहु की अशुभता के लक्षण

शास्त्रों के अनुसार, जब कुंडली में राहु अशुभ फल देने लगता है तो व्यक्ति को कार्यों में असफलता मिलने लगती है. उसका मन न तो किसी कार्य में और न ही पूजा-पाठ में लगता है. उसे तमाम तरह की चिंताएं और लोगों से धोखा खाने की चिंता घेरने लगती हैं. व्यक्ति को सन्तानहीनता, राजदण्ड, कारावास, शत्रु, चोर, चोट-चपेट आदि का भय बना रहता है. इसके लिए आपको कम से कम 18 शनिवार तक राहु का व्रत रखना चाहिए. ऐसा करने से अशुभ प्रभाव दूर होते हैं. राहु दोष से मुक्ति पाने के लिए शनिवार के दिन काला वस्त्र धारण करना चाहिए और ऊँ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम: मंत्र का जाप करना चाहिए. इन उपायों से आप राहु को शांत कर सकते हैं.

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केतु की अशुभता के लक्षण

केतु के अशुभ होने पर व्यक्ति शारीरिक क्षति होती है. व्यक्ति की लोगों से अचानक झगड़े, दुश्मनी आदि होने लगती है. केतु के दोष के कारण व्यक्ति को अपने नौकरों से ही कष्ट होने और शत्रुओं से खतरा बना रहता है. व्यक्ति गलत कार्यों के प्रति लिप्त होने लगता है. उसे जननेंद्रिय रोग घेरने लगते हैं. अगर आपके जन्म कुंडली में केतु शुभ नहीं है तो आपको अपने घर में भगवान श्रीकृष्ण की ऐसी तस्वीर रखें, जिसमें वे शेषनाग के ऊपर नृत्य कर रहे हों. इस तस्वीर की प्रतिदिन पूजा करें और ‘ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम:’ मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें. इस उपाय से भी उग्र केतु भी शांत होते हैं.

ज्योतिष संबंधित चुनिंदा सवालों के जवाब प्रकाशित किए जाएंगे

ज्योतिष शास्त्र में कई ऐसे उपाय बताए गए हैं, जिन्हें करने से जीवन की हर परेशानी दूर की जा सकती है. ये उपाय करियर, नौकरी, व्यापार, पारिवारिक कलह सहित कई अन्य कार्यों में भी सफलता दिलाते हैं. नीचे दिए गए विभिन्न समस्याओं के निवारण के लिए आप एक बार ज्योतिषीय सलाह जरूर ले सकते है. यदि आपकी कोई ज्योतिषीय, आध्यात्मिक या गूढ़ जिज्ञासा हो, तो अपनी जन्म तिथि, जन्म समय व जन्म स्थान के साथ कम शब्दों में अपना प्रश्न radheshyam.kushwaha@prabhatkhabar.in या WhatsApp No- 8109683217 पर भेजें. सब्जेक्ट लाइन में ‘प्रभात खबर डिजीटल’ जरूर लिखें. चुनिंदा सवालों के जवाब प्रभात खबर डिजीटल के धर्म सेक्शन में प्रकाशित किये जाएंगे.

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