सभी ग्रह अपनी गति के अनुसार समय-समय पर राशियां बदलते हैं. किसी व्यक्ति के जीवन में ग्रहों के गोचर का बहुत प्रभाव पड़ता है. सूर्य से लेकर केतु तक सभी ग्रहों के राशि परिवर्तन का अवधि अलग-अलग होती है. आइए जानते है कि कौन से ग्रह किस राशि के स्वामी है और कुंडली के किसा भाव में शुभ और अशुभ फल प्रदान करते है.
सूर्य सिंह राशि के स्वामी है. सूर्य देव आत्मा का कारक है. सूर्य गोचर का गोचर लग्न राशि से तीसरे, छठे, दसवें और ग्यारहवें भाव में शुभ फल प्रदान करते है. बाकी बचे भावों में सूर्य गोचर का अशुभ फल प्राप्त होता है.
चंद्रमा कर्क राशि के स्वामी है. चंद्रमा मन का कारक ग्रह है. चंद्रमा का गोचर कुंडली में लग्न राशि से पहले, तीसरे, सातवें, दसवें, और ग्यारहवें भाव में शुभ फल प्रदान करता है. वहीं चंद्रमा का गोचर कुंडली के चौथे, आठवें और बारहवें भाव में अशुभ परिणाम प्राप्त होता है.
मंगल मेष और वृश्चिक राशि के स्वामी है. मंगल ऊर्जा, साहस और बल के कारक ग्रह है. मंगल गोचर का शुभ फल कुंडली में लग्न राशि से तीसरे, छठे और ग्यारहवें भाव में मिलता है. वहीं बाकी बचे भावों में अशुभ फल प्रदान करते हैं.
बुध ग्रह मिथुन और कन्या राशि के स्वामी है. बुध बुद्धि, तर्कशास्त्र और संवाद का कारक है. बुध गोचर का शुभ फल कुंडली में लग्न राशि से दूसरे, चौथे, छठे, आठवें, दसवें और ग्यारहवें भाव में मिलता है. वहीं शेष भावों में बुध गोचर का परिणाम ठीक नहीं मिलता है.
गुरु धनु और मीन राशि का स्वामी है. देव गुरु ज्ञान, संतान और परिवार का कारक ग्रह है. देव गुरु के गोचर का शुभ फल दूसरे, पांचवें, सातवें, नौवें और ग्यारहवें भाव में प्राप्त होते हैं. वहीं बाकी भाव में गुरु गोचर का अशुभ फल प्राप्त होता है.
शुक्र ग्रह वृषभ और तुला राशि का स्वामी है. शुक्र प्रेम, रोमांस, सुंदरता और कला का कारक ग्रह है. शुक्र गोचर का शुभ फल पहले, दूसरे, तीसरे, चौथे, पांचवें, आठवें, नौवें, ग्यारहवें और बारहवें भाव में प्राप्त होता है. वहीं बाकी भाव में अशुभ फल मिलता है.
शनि देव मकर और कुंभ राशि का स्वामी है. शनि देव कर्म का कारक ग्रह है. शनि गोचर का शुभ फल कुंडली के तीसरे, छठे और ग्यारहवें भाव में मिलता है. कुंडली के बाकी भावों में शनि गोचर का अशुभ फल प्राप्त होता है.
राहु छाया ग्रह है. राहु किसी राशि का स्वामी नहीं है. हालांकि राहु चतुरता, तकनीकी और राजनीति का कारक ग्रह है. राहु गोचर का शुभ फल कुंडली के तीसरे, छठे और ग्यारहवें भाव में शुभ फल देता है. वहीं बाकी भाव में अशुभ फल प्रदान होगा.
केतु छाया ग्रह है. केतु किसी भी राशि का स्वामी नहीं है. हालांकि केतु वैराग्य, आध्यात्म और मोक्ष का कारक ग्रह है. केतु गोचर का शुभ फल लग्न राशि से पहले, दूसरे, तीसरे, चौथे, पांचवें, सातवें, नौवें और ग्यारहवें भाव में मिलता है. वहीं बाकी भाव में केतु गोचर का अशुभ फल प्राप्त होता है.
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