Atal Bihari Vajpayee : पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने जब चाव से खाया था रोटी-दाल व बांस करील का अचार
Atal Bihari Vajpayee : पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी 1982 में लातेहार के गारू आए थे. वनवासी कल्याण केंद्र के क्षेत्रीय कार्यालय में उन्होंने सभी प्रकल्पों की जानकारी ली थी. उन्होंने बारेसाढ़ वन विश्रामागार में रोटी व दाल के साथ उन्होंने बांस करील का अचार बड़े चाव से खाया था.
Atal Bihari Vajpayee : पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी 1982 में लातेहार के गारू आए थे. वनवासी कल्याण केंद्र के क्षेत्रीय कार्यालय में उन्होंने सभी प्रकल्पों की जानकारी ली थी. इस दौरान वे कुजरूम जंगल गए थे, जहां विचरण करते हाथियों का झुंड देखा था. हाथी-हिरण देखकर वे काफी रोमांचित हुए थे. इस क्रम में उन्होंने बारेसाढ़ वन विश्रामागार में भोजन किया था. रोटी व दाल के साथ उन्होंने बांस करील का अचार बड़े चाव से खाया था और उसकी प्रशंसा की थी.
वनवासी कल्याण केंद्र के क्षेत्रीय कार्यालय में बिताया वक्त
देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी 1982 में पहली बार लातेहार के गारू में आए थे. गारू आगमन के दौरान उन्होंने मुख्यालय स्थित वनवासी कल्याण केंद्र के क्षेत्रीय कार्यालय में दो घंटे बिताये थे. इस दौरान वे तत्कालीन वनवासी कल्याण के प्रभारी डॉ शिवनारायण पाठक से मिले और उस वक्त चल रहे सभी प्रकल्पों की जानकारी ली. इससे पूर्व अटल बिहारी वाजपेयी का श्री पाठक समेत गणमान्य लोगों ने गर्मजोशी से स्वागत किया था. अटल बिहारी वाजपेयी वहां उपस्थित कुछ बच्चों से मिले एवं जानकारी ली थी. वनवासी कल्याण केंद्र में चल रहे चिकित्सकीय कार्य का अवलोकन किया था. इसके बाद वे कुजरूम जंगल गए थे.
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हाथी-हिरण देखकर हुए रोमांचित
लातेहार के कुजरूम जंगल में उन्होंने विचरण करते हाथियों का झुंड देखा. इससे पूर्व उन्होंने अपने सहपाठियों के साथ बारेसाढ़ वन विश्रामागार में भोजन किया था. स्थानीय लोगों में शामिल बारेसाढ़ के तत्कालीन उपप्रमुख कृष्णा प्रसाद ने रोटी दाल के साथ बांस करील का अचार खिलाया था. करील का अचार चाव से खाते हुए करील अचार के बारे में उन्होंने जानकारी ली थी. कुजरूम में उन्होंने वन विभाग के गेस्ट हाउस में कुछ पल बिताया था एवं जंगल से घिरे कुजरूम की काफी प्रशंसा की थी. वहां की विजिटिंग रजिस्टर में दर्ज किया गया था. वहां हाथी-हिरण देखकर वे काफी रोमांचित हुए थे.
रिपोर्ट : कृष्णा प्रसाद गुप्ता, गारू, लातेहार