अतीक-अशरफ हत्याकांड: 21 पुलिसकर्मियों को आयोग का नोटिस, 15 दिन में दर्ज कराना होगा बयान, पूछे जाएंगे ये सवाल
अतीक-अशरफ हत्याकांड में पांच सदस्यीय न्यायिक आयोग जांच में जुटा है. आयोग ने दोनों की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों को अपना बयान दर्ज कराने के लिए तलब किया है. इस दौरान उन्हें कई सवालों पर जवाब देना होगा. इसके साथ ही हत्याकांड के दौरान मौजूद अन्य लोगों को भी बुलाया गया है.
Prayagraj: प्रयागराज में माफिया अतीक अहमद और उसके भाई खालिद रशीद अशरफ हत्याकांड की जांच कर रहे न्यायिक आयोग ने दोनों की सुरक्षा में लगे 21 पुलिसकर्मियों को नोटिस जारी किया है. अतीक-अशरफ हत्याकांड को एक महीना पूरा हो चुका है. दोनों की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों को हत्याकांड के समय उनकी मौजूदगी से लेकर घटना से जुड़े सभी बिंदुओं पर जवाब देना होगा.
इसमें हमलावरों से जुड़े प्रश्न भी होंगे. इसके अलावा दोनों के जान का खतरा जताने के बावजूद क्यों लापरवाही बरती गई. मेडिकल के लिए अतीक और अशरफ को ले जाने के बजाय चिकित्सकों की टीम को ही उनके पास क्यों नहीं बुलाया गया, जैसे सवाल पूछे जाएंगे.
आयोग ने इन्हें भी बयान के लिए बुलाया
इसके साथ ही न्यायिक आयोग ने अतीक अहमद और अशरफ मर्डर केस को लेकर प्रत्यक्षदर्शियों, मीडियाकर्मियों, स्वास्थ्य कर्मियों को भी बयान के लिए बुलाया है, इन्हें 15 दिन के अंदर आयोग के सामने अपना बयान देना होगा. आयोग हत्याकांड के दौरान मौजूद हर शख्स से जानकारी कर मामले की तह तक जाएगा और इसके आधार पर रिपोर्ट तैयार की जाएगी.
पांच पुलिसकर्मी किए जा चुके हैं निलंबित
इससे पहले प्रयागराज पहुंची न्यायिक आयोग की टीम ने कुछ पुलिसकर्मियों से पूछताछ की थी. अब आयोग की टीम ने पुलिसकर्मियों को लिखित बयान दर्ज कराने के लिए नोटिस जारी किया है. अतीक-अशरफ हत्याकांड को लेकर लापरवाही बरतने पर शाहगंज थाने के पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया था. इसमें शाहगंज एसओ अश्वनी कुमार सिंह के अलावा दो सब इंस्पेटर और दो कॉन्स्टेबल शामिल हैं. हत्याकांड को लेकर एसआईटी ने एसओ समेत सभी पुलिसकर्मियों से पूछताछ की थी. इसके बाद एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर सभी के खिलाफ यह कार्रवाई की गई.
अतीक और अशरफ की 15 अप्रैल को काल्विन हॉस्पिटल में गोली मारकर हत्या हुई थी. मेडिकल के लिए ले जाते समय तीन हमलावरों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर वारदात को अंजाम दिया था. तीनों हत्यारोपी लवलेश तिवारी, सनी सिंह और अरुण मौर्य इस समय प्रतापगढ़ जेल में हैं.
पांच सदस्यीय आयोग कर रहा मामले की जांच
योगी आदित्यनाथ सरकार ने मामले की जांच के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश दिलीप बाबा साहेब भोसले के नेतृत्व में पांच सदस्यीय आयोग का गठन किया है. इसमें झारखंड हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश वीरेन्द्र सिंह, इलाहाबाद हाई कोर्ट के पूर्व न्यायमूर्ति अरविंद कुमार त्रिपाठी (द्वितीय), पूर्व पुलिस महानिदेशक सुबेश कुमार सिंह व पूर्व न्यायाधीश बृजेश कुमार सोनी शामिल हैं.