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अटका नरसंहार : जब नक्सलियों ने अंधाधुंध फायरिंग कर ले ली थी 10 लोगों की जान, आश्रितों को आज भी नौकरी नहीं

Jharkhand News: 7 जुलाई 1998 को हथियार से लैस होकर पुलिस वर्दी में आए उग्रवादियों ने गिरिडीह के बगोदर के अटका में पंचायती कर रहे लोगों पर गोलियां बरसायी थीं. तत्कालीन मुखिया मथुरा मंडल समेत दस लोगों ने दम तोड़ दिया था. आज भी आश्रितों को नौकरी नहीं मिल सकी है. बरसी पर आज इन्हें श्रद्धांजलि दी जायेगी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 7, 2022 10:59 AM
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Jharkhand News: 24 साल पूर्व बगोदर प्रखंड के अटका के दमउवा टांड़ में आज ही के दिन हुए नरसंहार की घटना को याद कर लोग सिहर उठते हैं. ये उस समय की बड़ी घटना थी. 7 जुलाई 1998 को हथियार से लैस होकर पुलिस वर्दी में आए उग्रवादियों ने पंचायती कर रहे लोगों पर गोलियां बरसायी थीं. इस घटना में तत्कालीन मुखिया मथुरा मंडल समेत दस लोगों ने दम तोड़ दिया था. 23 साल बाद भी आश्रितों को नौकरी नहीं मिल सकी है. 24वीं बरसी पर आज इन्हें श्रद्धांजलि दी जायेगी.

नक्सलियों ने बरसायी थीं गोलियां

बताया जाता है कि सामाजिक कार्यों में अग्रणी भूमिका निभाने वाले राजद के नेता सह मुखिया मथुरा प्रसाद मंडल की अगुवाई में 7 जुलाई 1998 को बगोदर के अटका के दामऊवा मैदान में जमीन विवाद से संबंधित पंचायत चल रही थी. इसमें कई लोग शामिल थे. जमीन विवाद में उलझे दोनों पक्षों के बीच पंचायत की गयी थी. इसी बीच हथियार से लैस उग्रवादी पुलिस की वर्दी में पहुचते हैं और लोग कुछ समझ पाते कि मुखिया मथुरा प्रसाद मंडल समेत पंचायत के अन्य लोगों पर गोलियां बरसाने लगते हैं. इससे वहां भगदड़ सी मच जाती है और इस हृदय विदारक घटना में मुखिया मथुरा प्रसाद मंडल, धूपाली महतो, बिहारी महतो, दशरथ महतो, सरजू महतो, वीरेन पासवान, तुलसी मंडल, जगरानी महतो, सीताराम मंडल तथा सरकारी शिक्षक रघु मंडल की घटना स्थल पर ही मौत हो गई. घटना की सूचना आग की तरह इलाके में फैल गयी थी और पूरे इलाके में भय का माहौल था.

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आवास व मुआवजा मिला, लेकिन नहीं मिली नौकरी

इस वारदात की सूचना पर उस समय एकीकृत बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री राबड़ी देवी तथा लालू प्रसाद यादव घटनास्थल पर पहुंचे. अटका गांव में मृतक के आश्रितों के घर पहुंचकर लोगों को सांत्वना दी थी. मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने सभी मृतक के परिजनों को सरकारी नौकरी, इंदिरा आवास और एक-एक लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की थी. जहां मुआवजा के तौर पर इंदिरा आवास और रुपए तो मिल गए, लेकिन सरकारी नौकरी की आस में आज भी मृतक के परिजन आस लगाए हुए हैं. इस लोमहर्षक घटना के दो दशक बीत जाने के बाद भी घटना के बाद भी सरकारी नौकरी के लिए परिवार दर- दर भटक रहे हैं. राज्य अलग होने के बाद इन परिवारों को बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी द्वारा दिया गया आश्वासन पूरा नहीं हो पाया.

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आज दी जायेगी श्रद्धांजलि

शहीद मुखिया मथुरा प्रसाद मंडल के पुत्र दीपू उर्फ प्रदीप मंडल ने बताया कि तत्कालीन मुख्यममंत्री राबड़ी देवी ने मृतक के आश्रितों को सरकारी नौकरी देने की घोषणा की थी. इसके लिए पीड़ित परिवार आज भी सरकारी नौकरी की बाट जोह रहे हैं. आज सात जुलाई को मुखिया मथुरा मंडल समेत अन्य दस लोगों को श्रद्धांजलि दी जायेगी. इसमें बगोदर पूर्व विधायक नागेंद्र महतो, बगोदर के पूर्व विधायक सह राजद नेता गौतम सागर राणा समेत अन्य लोग शामिल होंगे. 

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रिपोर्ट : कुमार गौरव, बगोदर, गिरिडीह

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