अफवाहों से बचें, सोशल मीडिया से बनायें दूरी

सुबोध चौरसिया, राजगंज : दौड़-भाग की जिंदगी में लॉकडाउन के चलते अचानक ब्रेक लगने तथा कोरोना महामारी के भय ने आम आदमी की मानसिक सेहत पर अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है. चिंता, एक अनजाना-सा डर तथा अनिश्चितता की स्थिति लोगों के मन-मस्तिष्क में घर करती जा रही है. नतीजा लोग मानसिक अवसाद से […]

By Prabhat Khabar News Desk | April 24, 2020 5:13 AM

सुबोध चौरसिया, राजगंज : दौड़-भाग की जिंदगी में लॉकडाउन के चलते अचानक ब्रेक लगने तथा कोरोना महामारी के भय ने आम आदमी की मानसिक सेहत पर अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है. चिंता, एक अनजाना-सा डर तथा अनिश्चितता की स्थिति लोगों के मन-मस्तिष्क में घर करती जा रही है. नतीजा लोग मानसिक अवसाद से दो-चार होने लगे हैं. साफ शब्दों में हम इसे तनाव कह सकते हैं. धनबाद के जाने-माने मनोरोग चिकित्सक संजय कुमार इसे स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से खतरनाक बताते हैं.

वह कहते हैं कि कोरोना का दूरगामी प्रभाव पड़ने का खतरा आम आदमी पर है, क्योंकि कोरोना नाम से ही लोग आतंकित हैं. मानसिक रूप से थोड़ा भी कमजोर व्यक्ति ज्यादा प्रभावित हो रहा है. डा संजय कहते हैं कि लॉकडाउन की अवधि में उनके पास प्रतिदिन ऐसी शिकायतें लेकर चार-पांच मरीज पहुंच रहे हैं. मरीज कोरोना का नाम लेकर डरने की बात बताते हैं. डाॅ संजय ने कहा कि डर का प्रभाव ज्यादातर शहरी क्षेत्र के लोगों में देखने को मिल रहा है. हालांकि ग्रामीण इलाकों में भी अब असर दिखने लगा है.

कैसे समझें तनाव की बात डॉ संजय की मानें तो ऐसे मामलों में समय पर इलाज नहीं कराने व जरूरी सलाह नहीं मिलने पर मरीज में गलत अवधारणा पैदा होने लगती है. लोग गलत कदम उठा सकते हैं. ऐसे मरीज डरे-सहमे रहते हैं. इन्हें नींद नहीं आती. हर समय उदासी व चिंता छायी रहती है. अवसादग्रस्त व्यक्ति सुस्त व अकेले में रहना चाहता है. …तो क्या करना चाहिएऐसे मरीज सोशल मीडिया से दूर रहें और अफवाहों से बचें.

खाली समय घर के कामकाज व मनोरंजक कार्यक्रमों से जुड़े रहें. योग और मेडिटेशन जरूर करें. साथ ही सोशल डिस्टेंस का पालन, मास्क व सेनेटाइजर का प्रयोग करना चाहिए. शक भी समस्या की जड़कोई व्यक्ति काम अथवा स्वास्थ्य संबंधी कारणों से बाहर जाता है, तो उसके लौटने पर लोग शक करने लग रहे हैं. इस व्यवहार से ऐसे लोग स्वयं को सामाजिक तौर पर बहिष्कृत समझने लगते हैं और तनाव में आ जाते हैं. गांव-देहात में अफवाह के वाकये अधिक देखने-सुनने को मिल रहे हैं. हमें इससे बचना होगा.

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