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नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री की होती है पूजा
नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है. मां पार्वती माता शैलपुत्री का ही रूप हैं और हिमालय राज की पुत्री हैं. माता नंदी की सवारी करती हैं. इनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बायें हाथ में कमल का फूल है. नवरात्रि के पहले दिन लाल रंग का महत्व होता है. यह रंग साहस, शक्ति और कर्म का प्रतीक है. नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना पूजा का भी विधान है.
नवरात्रि का दूसरे दिन की जाती है मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
नवरात्रि का दूसरा दिन माता ब्रह्मचारिणी को समर्पित होता है. माता ब्रह्मचारिणी मां दुर्गा का दूसरा रूप हैं. ऐसा कहा जाता है कि जब माता पार्वती अविवाहित थीं तब उनको ब्रह्मचारिणी के रूप में जाना जाता था. यदि माँ के इस रूप का वर्णन करें तो वे श्वेत वस्त्र धारण किए हुए हैं और उनके एक हाथ में कमण्डल और दूसरे हाथ में जपमाला है. देवी का स्वरूप अत्यंत तेज और ज्योतिर्मय है. जो भक्त माता के इस रूप की आराधना करते हैं उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस दिन का विशेष रंग नीला है जो शांति और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है.
नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघण्टा की होती है पूजा
नवरात्र के तीसरे दिन माता चंद्रघण्टा की पूजा की जाती है. पौराणिक कथा के अनुसार ऐसा माना जाता है कि मां पार्वती और भगवान शिव के विवाह के दौरान उनका यह नाम पड़ा था. शिव के माथे पर आधा चंद्रमा इस बात का साक्षी है. नवरात्र के तीसरे दिन पीले रंग का महत्व होता है. यह रंग साहस का प्रतीक माना जाता है.
नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्माण्डा की होती है आराधना
नवरात्रि के चौथे दिन माता कुष्माडा की आराधना होती है. शास्त्रों में मां के रूप का वर्णन करते हुए यह बताया गया है कि माता कुष्माण्डा शेर की सवारी करती हैं और उनकी आठ भुजाएं हैं. पृथ्वी पर होने वाली हरियाली मां के इसी रूप के कारण हैं. इसलिए इस दिन हरे रंग का महत्व होता है.
नवरात्रि का पांचवां दिन होती है स्कंदमाता की पूजा
नवरात्र के पांचवें दिन मां स्कंदमाता का पूजा होता है. पौराणिक शास्त्रों के अनुसार भगवान कार्तिकेय का एक नाम स्कंद भी है. स्कंद की माता होने के कारण मां का यह नाम पड़ा है. उनकी चार भुजाएं हैं. माता अपने पुत्र को लेकर शेर की सवारी करती है. इस दिन धूसर (ग्रे) रंग का महत्व होता है.
नवरात्रि के छठवें दिन मां कात्यायिनी की होती है पूजा
मां कात्यायिनी दुर्गा जी का उग्र रूप है और नवरात्रि के छठे दिन मां के इस रूप को पूजा जाता है. मां कात्यायिनी साहस का प्रतीक हैं. वे शेर पर सवार होती हैं और उनकी चार भुजाएं हैं. इस दिन केसरिया रंग का महत्व होता है.
नवरात्रि के सातवें दिन करते हैं मां कालरात्रि की पूजा
नवरात्र के सातवें दिन मां के उग्र रूप मां कालरात्रि की आराधना होती है. पौराणिक कथा के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि जब मां पार्वती ने शुंभ-निशुंभ नामक दो राक्षसों का वध किया था तब उनका रंग काला हो गया था. हालांकि इस दिन सफेद रंग का महत्व होता है.
नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की होती है आराधना
महागौरी की पूजा नवरात्रि के आठवें दिन होती है. माता का यह रूप शांति और ज्ञान की देवी का प्रतीक है. इस दिन गुलाबी रंग का महत्व होता है जो जीवन में सकारात्मकता का प्रतीक होता है.
नवरात्रि का अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री की होती है पूजा
नवरात्रि के आखिरी दिन मां सिद्धिदात्री की आराधना होती है. ऐसा कहा जाता है कि जो कोई मां के इस रूप की आराधना सच्चे मन से करता है उसे हर प्रकार की सिद्धि प्राप्त होती है. मां सिद्धिदात्री कमल के फूल पर विराजमान हैं और उनकी चार भुजाएं हैं.
नवरात्रि के लिए पूजा सामग्री
मां दुर्गा की प्रतिमा अथवा चित्र, लाल चुनरी, आम की पत्तियां, चावल, दुर्गा सप्तशती की किताब, लाल कलावा, गंगा जल, चंदन, नारियल, कपूर, जौ के बीच, मिट्टी का बर्तन, गुलाल, सुपारी, पान के पत्ते, लौंग, इलायची पूजा थाली में जरूर रखें.
नवरात्रि में नौ रंगों का महत्व
नवरात्रि के समय हर दिन का एक रंग तय होता है. मान्यता है कि इन रंगों का उपयोग करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
प्रतिपदा- पीला
द्वितीया- हरा
तृतीया- भूरा
चतुर्थी- नारंगी
पंचमी- सफेद
षष्टी- लाल
सप्तमी- नीला
अष्टमी- गुलाबी
नवमी- बैंगनी
कैसे करें कलश स्थापना व देवी आराधना
शारदीय नवरात्रि शक्ति पर्व है. हिन्दू धर्म में इस पर्व को विशेष महत्व बताया गया है. 17 अक्टूबर को सुबह 7 बजकर 45 मिनट के बाद शुभ मुहूर्त में कलश स्थापित करें. नौ दिनों तक अलग-अलग माताओं की विभिन्न पूजा उपचारों से पूजन, अखंड दीप साधना, व्रत उपवास, दुर्गा सप्तशती व नवार्ण मंत्र का जाप करें. अष्टमी को हवन व नवमी को नौ कन्याओं का पूजन करें.
घट स्थापना की विधि
नवरात्रि के प्रथम दिन ही घटस्थापना की जाती है, इसे कलश स्थापना भी कहा जाता है. इसके लिए कुछ सामग्रियों की आवश्यकता होती है. आइए जानते है घटस्थापना के समय किन सामग्रियों की जरूरत पड़ेगी.
- जल से भरा हुआ पीतल
- चांदी, तांबा या मिट्टी का कलश
- पानी वाला नारियल
- रोली या कुमकुम, आम के 5 पत्ते
- नारियल पर लपेटने के लिए लाल कपडा या चुनरी
- लाल सूत्र/मौली
- साबुत सुपारी, साबुत चावल और सिक्के
जानें किस दिन कौन सी देवी की होगी पूजा
17 अक्टूबर- मां शैलपुत्री पूजा घटस्थापना
18 अक्टूबर- मां ब्रह्मचारिणी पूजा
19 अक्टूबर- मां चंद्रघंटा पूजा
20 अक्टूबर- मां कुष्मांडा पूजा
21 अक्टूबर- मां स्कंदमाता पूजा
22 अक्टूबर- षष्ठी मां कात्यायनी पूजा
23 अक्टूबर- मां कालरात्रि पूजा
24 अक्टूबर- मां महागौरी दुर्गा पूजा
25 अक्टूबर- मां सिद्धिदात्री पूजा
मां के 9 स्वरूपों की होती है पूजा
नवरात्रि में शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धदात्री की पूजा की जाती है. ये सभी मां के नौ स्वरूप माना जो हैं. प्रथम दिन घटस्थापना होती है. शैलपुत्री को प्रथम देवी के रूप में पूजा जाता है. 9 दिनों तक चलने वाले इस पर्व में व्रत और पूजा का विशेष महत्व बताया गया है.
घट स्थापना का शुभ मुहूर्त
नवरात्रि का पर्व 17 अक्टूबर से शुरू हो रहा है. पंचांग के अनुसार इस दिन आश्चिन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि रहेगी. इस दिन घट स्थापना मुहूर्त का समय सुबह 06 बजकर 27 मिनट से 10 बजकर 13 मिनट तक रहेगा. घटस्थापना के लिए अभिजित मुहूर्त सुबह 11बजकर 44 मिनट से 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगा.
जानें कौन-कौन वाहन से आती हैं माता
अगर नवरात्रि का आरंभ सोमवार या रविवार के दिन होता है तब इसका अर्थ होता है माता हाथी पर सवार होकर आएंगी. शनिवार और मंगलवार के दिन नवरात्रि का पहला दिन होता है तो माता घोड़े पर सवार होकर आती हैं. वहीं गुरुवार या शुक्रवार के दिन नवरात्रि आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि पर मां का आगमन होता तो माता डोली की सवारी करते हुए भक्तों को आशीर्वाद देने आती हैं. बुधवार के दिन नवरात्रि का पहला दिन होने पर माता नाव की सवारी करते हुए धरती पर आती हैं.
जानें मां दुर्गा के धरती पर आगमन का विशेष महत्व
नवरात्रि पर मां दुर्गा के धरती पर आगमन का विशेष महत्व होता है. देवीभागवत पुराण के अनुसार नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा का आगमन भविष्य में होने वाली घटनाओं के संकेत के रूप में भी देखा जाता है. हर वर्ष नवरात्रि में देवी दुर्गा का आगमन अलग-अलग वाहनों में सवार होकर आती हैं और उसका अलग-अलग महत्व होता है
इस बार घोड़े पर सवार होकर आएंगी मां
इस वर्ष शारदीय नवरात्रि करीब एक महीने की देरी से शनिवार 17 अक्टूबर से आरंभ हो रहे हैं. शनिवार के दिन नवरात्रि का पहला दिन होने के कारण इस दिन मां दुर्गा घोड़े की सवारी करते हुए पृथ्वी पर आएंगी. देवी भागवत पुराण के अनुसार जब माता दुर्गा नवरात्रि पर घोड़े की सवारी करते हुए आती हैं तब पड़ोसी से युद्ध, गृह युद्ध, आंधी-तूफान और सत्ता में उथल-पुथल जैसी गतिविधियां बढ़ने की संभावना रहती है.
News posted by : Radheshyam kushwaha