Lohardaga News: समाज कल्याण कार्यालय लोहरदगा की ओर से जिले में डायन प्रथा उन्मूलन के लिए एक प्रचार रथ रवाना किया गया. उपायुक्त डॉ वाघमारे प्रसाद कृष्ण ने समाहरणालय परिसर से सभी प्रखंडों के लिए रथ को रवाना किया. यह प्रचार रथ ऑडियो के माध्यम से डायन प्रथा को लेकर लोगों को जागरूक करेगी.
यह प्रचार रथ 4 अगस्त को कुडू, 5 अगस्त को लोहरदगा, 6 अगस्त को पेशरार, 7 अगस्त को कैरो, 8 अगस्त को सेन्हा, 9 अगस्त को भंडरा और 10 अगस्त को किस्को प्रखंड में भ्रमण करेगी. जहां लोगों को डायन प्रथा उन्मूलन के प्रति जागरूक किया जाएगा. समाहरणालय परिसर में रथ को रवाना करते समय उपायुक्त के साथ उप विकास आयुक्त गरिमा सिंह, अनुमण्डल पदाधिकारी अरविंद कुमार लाल, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी मनीषा तिर्की समेत अन्य उपस्थित थे.
डायन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम, 2001 के तहत किसी महिला को ‘डायन’ के रूप में पहचान करने वाले, उस पहचान के प्रति अपने किसी भी कार्य, शब्द या रीति से कारवाई करने वाले को अधिकतम तीन महीने तक कारावास की सजा अथवा एक हजार रूपये जुर्माना अथवा दोनों सजा से दंडित करने का प्रावधान है. किसी औरत को ‘डायन’ के रूप में पहचान कर उसे शारीरिक या मानसिक यातना जानबूझकर या अन्यथा प्रताड़ित करने पर छः माह की अवधि के लिए कारावास की सजा अथवा दो हजार रुपये तक जुर्माने अथवा दोनों सजा से दंडित करने का प्रावधान है.
इस अधिनियम के मुताबिक किसी औरत को ‘डायन’ के रूप में पहचान करने के लिए साक्ष्य या अनवधता से अन्य व्यक्ति अथवा समाज के लोगों को उकसाने या षडयंत्र रचने या सहयोग करने की स्थिति में तीन महीने तक का कारावास अथवा एक हजार रूपये तक के जुर्माने अथवा दोनों सजा से दण्डित करने का प्रावधान है. ‘डायन’ के रूप में पहचान की गई औरत को शारीरिक या मानसिक हानि पहुँचाकर अथवा प्रताड़ित कर ‘झाड़-फूंक’ या ‘टोटका’ द्वारा उपचार करने वाले को एक साल तक के कारावास की सजा अथवा दो हजार रूपये तक का जुर्माना अथवा दोनो सजा से दंडित करने का प्रावधान है.