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आदिम जनजाति कोरवा महिला का आयुर्वेदिक डॉक्टर ने कराया प्रसव, जच्चा-बच्चा की मौत, आरोपी डॉक्टर ने बताया साजिश

गढ़वा : आदिम जनजाति समुदाय कोरवा की एक महिला व उसके नवजात बच्चे की कथित मौत का मामला सामने आया है. इसमें जच्चा-बच्चा की मौत हो गयी है. बताया जाता है कि आयुर्वेदिक चिकित्सक द्वारा महिला का प्रसव ऑपरेशन द्वारा किया गया है. इस संबंध में महिला के पति डंडई थाना के रारो गांव निवासी विनोद कोरवा ने सिविल सर्जन को आवेदन देकर डंडई के चिकित्सक डॉ कुमुद रंजन पर कार्रवाई की मांग की है.

By Panchayatnama | May 25, 2020 12:57 PM

गढ़वा : प्रसव के दौरान आदिम जनजाति समुदाय कोरवा की एक महिला व उसके नवजात बच्चे की कथित मौत का मामला सामने आया है. इसमें जच्चा-बच्चा की मौत हो गयी है. बताया जाता है कि महिला का ऑपरेशन आयुर्वेदिक चिकित्सक द्वारा किया गया है. इस संबंध में महिला के पति डंडई थाना के रारो गांव निवासी विनोद कोरवा ने सिविल सर्जन को आवेदन देकर डंडई के चिकित्सक डॉ कुमुद रंजन पर कार्रवाई की मांग की है.

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बड़े ऑपरेशन से प्रसव करा कर वसूले 26 हजार

विनोद कोरवा ने बताया कि उसकी पत्नी को प्रसव पीड़ा होने के बाद उसने 15 मई को डंडई के सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया था. विनोद कोरवा ने आरोप लगाया कि सरकारी अस्पताल से धोखा देकर डॉ कुमुद रंजन उन्हें प्रगति अस्पताल डंडई ले गये और बड़ा ऑपरेशन कर दिया. इसके एवज में उससे 26 हजार रूपये लिये गये. ऑपरेशन के दौरान ही बच्चे की मौत हो गयी, जबकि उसकी पत्नी की स्थिति भी दिनों-दिन बिगड़ती चली गयी. विनोद कोरवा ने बताया कि बच्चे की मौत के बाद पत्नी की भी खराब स्थिति को देखते हुए उसने डॉक्टर से कहा कि उसके कागजात दे दें, ताकि वह अपनी पत्नी का दूसरे अस्पताल में ठीक से इलाज करा सके, लेकिन उसे कागजात नहीं दिये गये. 22 मई को उसने अपनी पत्नी को वहां से लाकर गढ़वा सदर अस्पताल में भर्ती कराया. यहां इलाज के दौरान उसकी पत्नी की मौत रविवार की सुबह हो गयी.

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जांच कर दोषी के खिलाफ होगी कार्रवाई : सिविल सर्जन

सिविल सर्जन डॉ एनके रजक ने कहा कि उन्हें इस संदर्भ में आवेदन मिला है. इस आवेदन के आलोक में जांच कराकर दोषी चिकित्सक के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी.

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ऑपरेशन नहीं करता, आयुर्वेद से करता हूं इलाज : डॉ कुमुद रंजन

डंडई स्थित सरकारी अस्पताल के चिकित्सक डॉ कुमुद रंजन ने कहा कि वे कई दिनों से नामधारी कॉलेज में प्रवासी मजदूरों की जांच को लेकर प्रतिनियुक्त ड्यूटी पर कार्यरत हैं. कोरोना संक्रमण को लेकर उनका निजी क्लिनिक बंद है. उन्होंने कहा कि वैसे भी वे सर्जन नहीं हैं, इसलिए ऑपरेशन नहीं करते. वे आयुर्वेदिक दवाओं से ही मरीज का इलाज करते हैं. उन्होंने कहा कि एक साजिश के तहत उन्हें बदनाम किया जा रहा है.

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