Azadi Ka Amrit Mahotsav: रुहेलखंड के इस शेर ने अपनी धरती को ब्रिटिश हुकूमत की गुलामी से रखा था महफूज
Azadi Ka Amrit Mahotsav: बरेली शहर के संदल खां की बजरिया में वर्ष 1723 में जन्म लेने वाले हाफिज रहमत खां ने ब्रिटिश हुकूमत की फौज को घुसने ही नहीं दिया. उनकी बहादुरी के कारण रुहेलखंड की सरजमी लंबे समय तक ब्रिटिश हुकूमत की गुलामी से महफूज रही.
Azadi Ka Amrit Mahotsav: : ब्रिटिश हुकूमत देश के अधिकांश हिस्सों पर कब्जा कर चुकी थी. मगर, रुहेला सरदार हाफिज रहमत खां ने रुहेलखंड में अंग्रेजों की फौज नहीं घुसने दी. जिसके चलते रुहेला सरदार हाफिज रहमत खां की मौजूदगी में रुहेलखंड की सरजमीं ब्रिटिश फौज की गुलामी से लंबे समय तक महफूज रही. ब्रिटिश फौज काफी समय तक रुहेलखंड में घुसने की कोशिश करती रही, लेकिन उसको घुसने नहीं दिया. अंग्रेजों ने हाफिज रहमत खान पर धोखे से हमला कराने के लिए बदमाशों को भी कोठी में भेजा. मगर, वह कुछ नहीं कर पाए. इसके बाद उनकी कोठी पर ब्रिटिश फौज के बम से हमला किया. इससे कोठी बदहाल हो गई थी.
वर्ष 1857 की क्रांति से पहले अंग्रेजो के खिलाफ देशभर में विरोध चल रहा था. मगर, अंग्रेज रुहेलखंड यानी बरेली, पीलीभीत बदायूं, शाहजहांपुर, रामपुर, मुरादाबाद, बिजनौर, संभल और अमरोहा आदि जिलों पर कब्जा करने की कोशिश में थे. मगर रुहेला सरदार 1720 में बरेली को रूहेलखंड की राजधानी बना चुके थे. इसकी हिफाजत का जिम्मा हाफिज रहमत खां पर था. बरेली शहर के संदल खां की बजरिया में वर्ष 1723 में जन्म लेने वाले हाफिज रहमत खां ने ब्रिटिश हुकूमत की फौज को घुसने ही नहीं दिया. उनकी बहादुरी के कारण रुहेलखंड की सरजमी लंबे समय तक ब्रिटिश हुकूमत की गुलामी से महफूज रही. हाफिज रहमत खां ने 1761 में पानीपत की तीसरी लड़ाई में भी मुख्य भूमिका निभाई थी.
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ताजमहल का चांदी का गेट कराया वापस
1764 में मुगल सेना को हराकर आगरा में स्थित आगरा किले पर कब्जा करने वाले सूरजमल ने ताजमहल का चांदी का दरवाजा लूट लिया. मुगलों ने हाफिज रहमत खां को ताजमहल की सुरक्षा का जिम्मा दिया. इसके बाद हाफिज रहमत खां ने बहादुरी के साथ सूरजमल से जंग लड़ी. इसके बाद चांदी का दरवाजा वापस लेकर आए. सूरजमल को आगरा छोड़कर भागना पड़ा.
शहर के खिला इलाके में स्थित हाफिज रहमत खां की कोठी पर ब्रिटिश फौज ने बम से हमला किया था.बमों की बारिश से कोठी बदहाल हो गई थी. हालांकि, इससे पहले हाफिज रहमत खां की जाने लेने को बदमाश भेजे गए.यह बदमाश कोठी में हाफिज रहमत खां पर हमला करना चाहते थे. मगर, इससे पहले ही संदल खां ने पकड़ा लिया.उसको संदल खां ने कठोर सजा देते बदमाश की आंखें निकलवा लीं. इस फैसले से हाफिज रहमत खां नाराज हो गए. उन्होंने उसकी आंखें सही कराने को काफी कोशिश की.इसी बीच शुजा उद दौला ने वारेन युद्ध में मदद को आर्थिक मदद की मांग की. हाफिज रहमत खां ने मदद से इंकार कर दिया.जिसके चलते शुजा उद दौला ब्रिटिश गवर्नर वारेन हेस्टिंग्स के साथ मिलकर हमला कर दिया.वर्ष 1774 में शाहजहांपुर के मीरानपुर कटरा में युद्ध के दौरान हाफिज रहमत खां शहीद (इंतकाल) हो गए. इसके बाद रुहेलखंड पर ईस्ट इंडिया ने कब्जा कर लिया.
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प्रिंस मिर्जा जवान बख्त के थे गुरु
रुहेला सरदार हाफिज रहमत खां ने रुहेलखंड के पीलीभीत जिले की सरजमीं पर जामा मस्जिद का निर्माण कराया था. यह जामा मस्जिद दिल्ली की जामा मस्जिद की तर्ज पर बनी थी.
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प्रिंस मिर्जा जवान बख्त के थे गुरु
हाफिज रहमत खां ने मुगल सम्राट अहमद शाह बहादुर,आलमगीर द्वितीय और शाह आलम द्वितीय के शासनकाल में सम्मानजनक सेवा की.वह प्रिंस मिर्जा जवान बख्त के गुरु थे.
रिपोर्ट : मुहम्मद साजिद