सिर्फ सोचें नहीं, धरातल पर उतारें
B positive : मेरे एक मित्र की वर्षों से इच्छा थी कि वो किसी फाउंडेशन से जुड़कर/बनाकर व्यवस्थित तरीके से जरूरतमंदों के लिए काम करें. जब भी मुलाकात होती थी वो इसकी चर्चा जरूर करते कि मैं समाज के लिए कुछ करना चाहता हूं, लेकिन सोचने और विमर्श में ही लगभग 3 वर्ष गुजर गये, लेकिन उनकी ये इच्छा धरातल पर नहीं उतर पा रही थी.
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B positive : मेरे एक मित्र की वर्षों से इच्छा थी कि वो किसी फाउंडेशन से जुड़कर/बनाकर व्यवस्थित तरीके से जरूरतमंदों के लिए काम करें. जब भी मुलाकात होती थी वो इसकी चर्चा जरूर करते कि मैं समाज के लिए कुछ करना चाहता हूं, लेकिन सोचने और विमर्श में ही लगभग 3 वर्ष गुजर गये, लेकिन उनकी ये इच्छा धरातल पर नहीं उतर पा रही थी.
लगभग 15 दिन पहले उनका एक व्हाट्सएप आया. जिसमें जरूरतमंदों के बीच कोविड के लिए जरूरी दवाएं और कच्चा राशन वितरण की कुछ तस्वीरें थीं और साथ में एक मैसेज था कि उन्होंने काम शुरू कर दिया है. मैंने पूछा कि अचानक से कैसे काम शुरू कर दिया. मेरे मित्र ने कहा कि मैंने सोचने में ही अपने जीवन के तीन बहुमूल्य साल बर्बाद कर दिये. अब और नहीं. इसलिए 15 दिन पहले सुबह उठते ही निर्णय लिया कि अब और नहीं सोचना है. बस काम शुरू कर देना है और शुरू कर दिया.
बात करियर की हो या निजी. मुझे लगता है कि हममें से ज्यादातर लोगों के जीवन में कुछ ऐसा ही होता है. जो हम करना चाहते हैं. उसे शुरू करने में ही लंबा वक्त गुजर जाता है या सोचते-सोचते काम शुरू ही नहीं हो पाता है. काम शुरू कर देना या नहीं कर पाना किसी भी इंसान के मंजिल की तरफ बढ़ने की पहली कड़ी है.
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ज्यादातर लोग काम शुरू इसलिए नहीं कर पाते हैं क्योंकि काम शुरू करने या नहीं करने को लेकर दुविधा रहती है. मन में उथल-पुथल चलता रहता है या आत्मविश्वास का अभाव होता है कि अगर मैंने काम शुरू किया, तो मैं इसे कर पाऊंगा या नहीं, लेकिन जो लोग सफल हैं (जिनकी संख्या कम है) वो काम शुरू करने में टालने की जगह समय तय कर जो उनके पास मौजूद है उसके साथ ही काम की शुरुआत कर देते हैं. वो मानते हैं कि अगर वो कोई नया काम कर रहे हैं तो उन्हें अनिश्चितता के मार्ग से गुजरना ही होगा.
काम शुरू करने से पहले निश्चित तौर पर ये ध्यान रखना चाहिए कि जो आप शुरू करने जा रहे हैं उसकी थोड़ी समझ जरूर हो ताकि रिस्क कम किया जा सके. इसके बावजूद आप काम के बारे में जानते हैं तो भी गलतियां होना स्वाभाविक है. गलतियां इंसान को सिखाती हैं कि जिस रास्ते में चलकर गलतियां हुई हैं वो मंजिल को पाने का रास्ता नहीं है. उसके लिए अलग रास्ते तलाश करने की जरूरत है.
कोई जरूरी नहीं है जो काम हम शुरू करना चाहते हैं उसकी शुरुआत बड़े स्तर से ही हो. छोटे स्तर से ही काम शुरू कर धीरे-धीरे बढ़ाया जा सकता है और एक छोटी सी चीज समय के साथ कब बड़ी हो जाती है इसका पता भी नहीं चलता है, बशर्ते हम लगातार ईमानदारी से अपने काम में लगे रहें.
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कहने का आशय है कि आप जो करना चाहते हैं उसके बारे में सिर्फ सोचते रहने की जगह थोड़ा रिस्क लेकर काम की शुरुआत कर दीजिए और उसे आगे बढ़ाने के लिए लगातार कोशिश जारी रखें, मंजिल जरूर मिलेगी.
Posted By : Samir Ranjan.