वाराणसी के बाबा काशी विश्वनाथ के दर्शन के लिए लोग देश के कोने-कोने से आते हैं. उन श्रद्धालुओं को दर्शन के लिए लंबी जद्दोजहद का सामना करनी पड़ती है. लेकिन, जुगाड़ के दम पर 1.70 लाख सामान्य श्रद्धालुओं ने बीते एक वर्ष में वीआईपी श्रेणी में दर्शन किए हैं. इनमें 50 हजार से ज्यादा श्रद्धालु ऐसे हैं, जिन्होंने बिना प्रोटोकॉल पर्ची के बाबा के स्पर्श दर्शन किया है. प्रोटोकॉल व्यवस्था की जांच में हुए खुलासे के बाद मंदिर प्रशासन सुरक्षा के लिए बनाई हाई पॉवर कमेटी के तय नियमों के अनुसार ही सुगम दर्शन की व्यवस्था को लागू करने में जुट गया है. काशी विश्वनाथ धाम के नव्य, भव्य और दिव्य धाम बनने के बाद देश और दुनिया भर के श्रद्धालु काशी आ रहे हैं. पिछले दो वर्षों में ही 13 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं. इसमें वीआईपी के लिए सुगम दर्शन की तर्ज पर ही प्रोटोकॉल व्यवस्था के तहत दर्शन पूजन का लाभ दिया जा रहा है. मंदिर में लागू एकीकृत प्रोटोकॉल व्यवस्था में अलग-अलग सरकारी विभागों के कर्मचारियों व अधिकारियों ने सेंधमारी कर आम भक्तों को भी वीआईपी बनवा दिया. एक जनवरी 2023 से 31 दिसंबर 2023 तक करीब 1.70 लाख ऐसे श्रद्धालुओं की पहचान की गई, जिन्हें बिना कारण ही प्रोटोकॉल देकर दर्शन पूजन करवा दिया गया. इसमें प्रशासन और पुलिस के साथ ही अलग अलग विभागों के स्तर पर प्रतिदिन प्रोटोकॉल व्यवस्था में सेंधमारी कर मनमाने तरीके से दर्शन पूजन कराया गया है. मंदिर प्रशासन की जांच में प्रतिमाह करीब 15 हजार वीआईपी ऐसे मिले हैं जिन्हें बिना कारण ही प्रोटोकॉल दिया गया है.
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बता दें कि मंदिर प्रशासन की ओर से सुगम दर्शन की व्यवस्था लागू की है. इसमें 300 रुपए के शुल्क पर एक शास्त्री के साथ बाबा के दर्शन की सुविधा है. इसी तर्ज पर वीआईपी के लिए प्रोटोकॉल व्यवस्था भी लागू है, इसमें सक्षम अधिकारी भक्तों को सुगम दर्शन का लाभ निशुल्क प्रदान करते हैं. यहां बता दें कि नए वर्ष के पहले दिन 5.90 लाख श्रद्धालुओं ने दर्शन कर नया रिकॉर्ड बनाया था. प्रोटोकॉल व्यवस्था में सेंधमारी की वजह से काशी विश्वनाथ के खजाने में 4.5 करोड़ रुपए की चपत लगी है. प्रतिदिन 500 श्रद्धालुओं ने सुगम दर्शन की बजाय प्रोटोकॉल के तहत दर्शन पूजन किया. इस लिहाज से करीब पौने दो लाख श्रद्धालुओं ने सुगम दर्शन टिकट नहीं लिया. यदि इन भक्तों ने सुगम दर्शन टिकट से दर्शन पूजन किया होता तो महादेव के खाते में 4.5 करोड़ रुपये पहुंच सकता था.
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वहीं मंदिर की प्रबंध समिति से जुड़े कई ऐसे लोगों की पहचान की गई है, जो अपना मूल काम छोड़कर मंदिर में ही पूरा समय बिता रहे हैं. करीब एक साल पहले प्रशासन ने सभी विभागाध्यक्षों को पत्र जारी कर मंदिर में समय बिताने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों को चेतावनी जारी करने के लिए कहा था. थोड़े समय तक व्यवस्था में सुधार रहा, मगर समय बीतने के साथ ही फिर से सरकारी विभागों से जुड़े लोग मूल काम छोड़कर मंदिर में ही समय बिता रहे हैं. प्रशासन ने सभी विभागों को दोबारा पत्र जारी किया है. वहीं वाराणसी कमिश्नर कौशल राज शर्मा ने कहा कि प्रोटोकॉल व्यवस्था के लिए प्रशासन, पुलिस और सीआईएसएफ की संयुक्त टीम गठित है. इसकी समीक्षा कराई गई है. बड़ी संख्या में प्रोटोकॉल के तहत अयोग्य लोगों के दर्शन पूजन का मामला सामने आया है. इसके बाद से ही प्रोटोकॉल की नई व्यवस्था लागू की गई है.