रांची : एक जून तक झारखंड में कोरोना सैंपल का बैकलॉग लगातार बढ़ता जा रहा था. स्थिति यह थी कि 13,631 सैंपल बैकलॉग में थे, लेकिन महज सात दिनों में ही बैकलॉग कम कर दिया गया है. 25-26 मई से लंबित सैंपल की भी जांच हो गयी. 10 जून की सुबह 10 बजे तक राज्य में बैकलॉग सैंपल 2195 ही बचे थे. स्वास्थ्य विभाग ने इसे मुहिम के तौर पर लिया और सारे सैंपल की जांच करा दी. अब सरकार के पास जितने सैंपल लंबित हैं, उतनी की रोजाना जांच हो सकेगी.
राज्य के 24 जिलों में ट्रूनेट मशीन लग गयी है. इस मशीन से एक दिन में 30 के करीब सैंपल की जांच हो जाती है. वहीं राज्य के चारों लैब में 2,200-2,300 सैंपल की जांच हो जाती है. यानी पूरे राज्य में एक दिन में अब 3,000 से अधिक सैंपल की जांच हो सकती है. प्रधान सचिव ने बताया कि अब बैकलॉग में सैंपल कम हैं. जितने सैंपल हैं, उतने की एक ही दिन में जांच संभव है. यानी अब प्रतिदिन सैंपल लिये जायेंगे और जांच होती जायेगी. अगले दिन रिपोर्ट भी आ जायेगी.
एक जून तक 13,631 सैंपल बैकलॉग में थे, महज आठ दिनों में बैकलॉग खत्म
थायरोकेयर और पाथकाइंड ने सरकारी दर से भी कम दर में चार हजार सैंपल की जांच की
राज्य में एक दिन में अब 3,000 से अधिक सैंपल की जांच हो सकती है
प्रधान सचिव ने कहा : अब प्रतिदिन सैंपल लिये जायेंगे और जांच होगी अगले दिन रिपोर्ट आ जायेगी
जिला एक जून
बोकारो 191
चतरा 190
देवघर 166
दुमका 140
गढ़वा 282
रांची 209
लोहरदगा 1287
गुमला 1227
सिमडेगा 1940
खूंटी 284
पलामू 401
लातेहार 1824
हजारीबाग 48
गिरिडीह 157
कोडरमा 183
रामगढ़ 618
जामताड़ा 128
गोड्डा 62
पाकुड़ 82
साहिबगंज 575
प सिंहभूम 1449
सरायकेला 42
पूर्वी सिंहभूम 983
फैक्ट फाइल
13,631 एक जून को बैकलॉग सैंपल
3015 छह जून को कुल जांच
92 पॉजिटिव
राज्य सरकार द्वारा करायी जानेवाली जांच में एक व्यक्ति की जांच पर 2,350 रुपये खर्च होते हैं. वहीं, निजी दोनों लैब ने 2,250 रुपये प्रति सैंपल की दर से जांच की. दोनों लैब को दो-दो हजार सैंपल भेजे गये. इसकी रिपोर्ट छह, सात और आठ जून को आने लगी. इस कारण ही एकमुश्त सैंपल की जांच हो सकी.
स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव डॉ नितिन कुलकर्णी ने बताया कि मई में राज्य में बड़ी संख्या में प्रवासी आये थे. जिसके कारण सैंपल की संख्या बढ़ती जा रही थी, जबकि लैब की क्षमता कम थी. राज्य के दो लैब पीएमसीएच और इटकी आरोग्यशाला में बैकलॉग बढ़ता जा रहा था. पीएमसीएच, एमजीएम जमशेदपुर और इटकी आरोग्यशाला में तीन-तीन शिफ्ट में जांच हो रही थी.
वहीं, रोजाना सैंपल भी डेढ़ हजार से अधिक लिये जा रहे थे. इस कारण बैकलॉग बढ़ता जा रहा था. सरकार के चारों लैब में हर दिन 2200 से 2300 सैंपल की जांच ही हो पा रही थी. सरकार ने निजी लैब से रेट मंगाया. पाथकाइंड और थायरोकेयर लैब सरकारी दर से भी कम कीमत पर जांच के लिए तैयार हो गये.
Posted by : Pritish Sahay