चांडिल: झारखंड के सरायकेला खरसावां जिले के चांडिल अनुमंडल में शुक्रवार को धूमधाम से सरहुल पर्व मनाया गया. शनिवार को सेंदरा यात्रा निकाली गयी. सेंदरा यात्रा में आदिवासी समन्वय समिति, पातकोम दिशोम माझी परगना महाल, झारखंड दिशोम बाहा (सरहुल) कमेटी व संयुक्त ग्राम सभा के सदस्य व ग्रामीण शामिल हुए. प्रकृति प्रेमियों ने सेंदरा वीरों का पैर धोया. जंगल में सूअर का शिकार किया.
बाहा सेंदरा यात्रा का शुभारंभ
ईचागढ़ के पुराना हाईस्कूल मैदान से विशाल बाहा सेंदरा यात्रा का शुभारंभ हुआ. सेंदरा यात्रा खुदियडीह, चौका होते हुए चांडिल गोलचक्कर पहुंची. गोलचक्कर स्थित सिदो-कान्हो की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया. इसके बाद सभी आदिवासी संगठन एकत्रित होकर चांडिल बस स्टैंड होते हुए चांडिल बाजार, स्टेशन होते हुए गांगुडीह दिशोम जाहेर गाढ़ पहुंचे. यहां पर आदिवासी परंपराओं के अनुसार सेंदरा वीरों का पैर धोया गया. सेंदरा यात्रा में शामिल लोग पारंपरिक वेशभूषा में थे. हाथों में सरना झंडा, सखुआ डाली, तीर-धनुष, तलवार और पारंपरिक वाद्य यंत्र लिए थे.
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जाहेरस्थल पर हथियार की पूजा हुई
चांडिल बाजार में सेंदरा प्रदर्शन करते हुए वापस सेंदरा यात्रा पातकोम दिशोम जाहेरगाड़ गांगुडीह पहुंची. यहां परंपरा के अनुसार हथियारों की पूजा की गयी. इसके साथ सभी ने ढोल, मांदर और नगाड़ों की थाप पर एक साथ मिलकर सरहुल नृत्य किया. इस अवसर पर गुरुचरण किस्कू, चारुचंद किस्कू, सुखराम हेंब्रम, गुरुपद मार्डी, श्यामल मार्डी, सुधीर किस्कू, प्रकाश मार्डी, भदरू सिंह सरदार, सुचांद उरांव, डोमन बास्के, ज्योतिलाल बेसरा, शक्तिपद हांसदा, महावीर हांसदा, बुद्धेश्वर माझी, गुरुपद हांसदा आदि उपस्थित थे.
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सिंगरई नृत्य और गीतों से सामाजिक शिक्षा दी
पातकोम दिशोम जाहेरगाड़ में समाज ने सिंगरई नृत्य किया. मौके पर ओडिशा से आये सोनाराम बेसरा और उनके सहयोगियों ने लोगों को नृत्य और गीतों से सामाजिक शिक्षा दी. सेंदरा वीरों ने जंगल में एक सूअर का शिकार किया. सरहुल नृत्य के दौरान शिकार लेकर सेंदरा वीर जाहेरगाड़ पहुंचे, जहां सभी ने सेंदरा वीरों का हौसला बढ़ाया. इसके साथ तीन दिवसीय सरहुल पर्व का विधिवत समापन हुआ. सेंदरा यात्रा में पूरे अनुमंडल क्षेत्र से बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए.