बैजनाथ सिंह की गिरफ्तारी माओवादियों के लिए बड़ा झटका, लातेहार में नक्सलियों का नहीं बचा कोई सुरक्षित ठिकाना

स्थानीय होने के कारण इसकी पैठ हर जगह तक थी. वही चंदन सिंह खरवार को जिले के कई थाना क्षेत्रों के जंगलों की अधिक जानकारी थी. चंदन सिंह खरवार रीजनल कमेटी मेंबर सुजीत जी उर्फ छोटू सिंह खरवार का काफी करीबी माना जाता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 20, 2023 5:15 AM
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लातेहार, चंद्रप्रकाश सिंह. भाकपा माओवादी का जोनल कमांडर लाख का इनामी बैजनाथ सिंह उर्फ चंदन सिंह खरवार उर्फ संजीवन की गिरफ्तारी माओवादियों के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. जिले के मनिका थाना क्षेत्र के माइल निवासी बैजनाथ सिंह उर्फ चंदन सिंह खरवार माओवादियों के लिए जनसंपर्क का काम करता था. जिले के विभिन्न थाना थाना क्षेत्र में हो रहे विकास कार्यों में लगे संवेदक, बड़े व्यवसायी व ईंट भट्ठा संचालकों से लेवी वसूल करना और लेवी की राशि को उच्च पदों पर बैठे लीडरों तक पहुंचाना था.

आईईडी ब्लास्ट व एंबुश लगाने में एक्सपर्ट है चंदन सिंह खरवार

स्थानीय होने के कारण इसकी पैठ हर जगह तक थी. वही चंदन सिंह खरवार को जिले के कई थाना क्षेत्रों के जंगलों की अधिक जानकारी थी. चंदन सिंह खरवार रीजनल कमेटी मेंबर सुजीत जी उर्फ छोटू सिंह खरवार का काफी करीबी माना जाता है. इसके अलावा बैजनाथ सिंह उर्फ चंदन सिंह खरवार आईईडी ब्लास्ट कराने तथा सुरक्षा बलों के खिलाफ एंबुश लगाने में एक्सपर्ट माना जाता है.

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पुलिस के निशाने पर अब सेंट्रल कमेटी मेंबर सौरभ यादव

इस कारण संगठन में इसकी पहुंच सेंट्रल कमेटी तक थी. इसकी गिरफ्तारी पुलिस के लिए बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है. इसकी गिरफ्तार के बाद पुलिस माओवादी रीजनल कमेटी मेंबर सुजीत जी उर्फ छोटू खरवार तथा सेंट्रल कमेटी मेंबर सौरभ यादव उर्फ मारकश बाबा को अपना अगल लक्ष्य बनाया है जो बूढ़ा पहाड़ के बाद जिले के जंगली इलाकों में अपना ठिकाना बना रखा है. हालांकि दोनों तक पहुंचने के लिए पुलिस को अलग रणनीति बनाना होगा जो काफी आसान नहीं होगा.

नहीं बचा कोई सुरक्षित ठिकाना

विगत एक वर्ष सें सुरक्षा बलों द्वारा चलाये गये ऑपरेशन डबल बुल व ऑक्टोपस के बाद नक्सलियों ने पहले तो लातेहार और लोहरदगा सीमा क्षेत्र के बुलबुल जंगल छोड़ा. इसके बाद बूढ़ा पहाड़ पर चलाये गये लगातार अभियान के बाद उसे भी खाली करना पड़ा है. कहा जाये तो सुरक्षा बलों की लगातार बढ़ती दबिश के बाद जिले के किसी इलाके में माओवादियों का कोई सुरक्षित ठिकाना नहीं बचा है.

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