Bail Pola 2022: बैल पोला का त्योहार भादों माह की अमावस्या को जिसे पिठोरी अमावस्या भी कहते है, उस दिन मनाया जाता है. यह अगस्त – सितम्बर महीने में आता है. इस वर्ष आज यानी 27 अगस्त को बैल पोला मनाया जा रहा है. महाराष्ट्र में इस त्यौहार को बड़ी धूमधाम से मनाते है, विशेष तौर पर विदर्भ क्षेत्र में इसकी बड़ी धूम रहती है. वहां यह त्यौहार दो दिनों तक मनाया जाता है. वहां बैल पोला को मोठा पोला कहते हैं एवं इसके दूसरे दिन को तनहा पोला कहा जाता है.
विष्णु भगवान जब कान्हा के रूप में धरती में आये थे, जिसे कृष्ण जन्माष्टमी के रूप मे मनाया जाता है. तब जन्म से ही उनके कंस मामा उनकी जान के दुश्मन बने हुए थे. कान्हा जब छोटे थे और वासुदेव-यशोदा के यहाँ रहते थे, तब कंस ने कई बार कई असुरों को उन्हें मारने भेजा था. एक बार कंस ने पोलासुर नामक असुर को भेजा था, इसे भी कृष्ण ने अपनी लीला के चलते मार दिया था, और सबको अचंभित कर दिया था. वह दिन भादों माह की अमावस्या का दिन था, इस दिन से इसे पोला कहा जाने लगा. यह दिन बच्चों का दिन कहा जाता है, इस दिन बच्चों को विशेष प्यार, दुलार देते है.
बैल पोला पर किसान अपने बैलों की गले से रस्सी निकालकर उनकी तेल मालिश करते हैं.इसके बाद उन्हें अच्छे से नहलाकर तैयार किया जाता है.कई स्थानों पर बैलों को रंग बिरंगे कपड़े और जेवर के साथ फूलों की माला पहनाई जाती है.इसके बाद बैलों को बाजरा से बनी खिचड़ी खिलाई जाती है.सभी एक एक स्थान पर इकट्ठा होकर बैलों का जुलूस निकालते हैं और उत्सव मनाते हैं.इस दिन घरों में विशेष तरह के पकवान जैसे पूरन पोली, गुझिया आदि चीजें बनाई जाती हैं.
वैसे तो ज्यादातर महाराष्ट्रीयन परिवारों में भादप्रद अमावश्या को ये त्योहार मनाया जाता है लेकिन बैलों से जुड़े वहां कई और त्योहार हैं. लेकिन एक बड़ी आबादी बैल पोला ही मनाती है. बैलों की पूजा से जुड़ा एक त्योहार बेंदुर होता है जो जून के महीने में बुआई के दौरान मनाया जाता है. इस त्योहार में भी ऐसे ही बैलों को हल्दी लगाई जाती है उनकी उनकी पूजा होती है.
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