Baisakhi (Vaisakhi) 2020, History: बैसाखी इस बार 13 अप्रैल यानी सोमवार के दिन पड़ रही है.किसानों का पर्व कहा जाने वाला बैसाखी पूरे भारत में काफी धूमधाम से बनाया जाता है. इस पर्व की खासियत यह है कि इसमें सभी धर्मों के लोग शामिल होकर प्रकृति को अच्छी फसल के लिए धन्यवाद देते है.यह पर्व हर साल 13 या 14 अप्रैल को बनाया जाता है लेकिन इस बार 13 अप्रैल यानी सोमवार को मनाया जा रहा है.
इस दिन सभी लोग अनाज की पूजा करते है और प्रार्थना करते हैं कि सभी घरों में धन धान्य से भरा रहे, प्रकृति को धन्यवाद देने वाले इस पर्व के प्रारम्भ होने का संबध पांडावों से भी है.
बता दें, पौराणिक कथाओं के अनुसार पांडव जब वनवास काट रहे थे तो इसी दौरान वह यात्रा करते हुए पंजाब के कटराज ताल के पास पहुंचे. वहां पहुचने के बाद पांडवों को प्यास लगी तो युधिष्ठिर को छोड़ कर चारों भाईयों की सरोवर को जल पीते ही मृत्यु हो गयी जब काफी देर तक उनका इंतजार करने के बाद युधिष्ठिर ने सोचा की वह जाकर देखें उनके भाई कहां रह गए है.
लेकिन जैसे ही वह आगे हुए तो उन्होंने देखा की उनके भाई तो मृत पड़े है.उसी दौरान वहां पर युधिष्ठिर को देख कर यक्ष आए और बताया कि किस प्रकार उनके मना करने के बाद भी उनके भाईयों ने इस सरोवर का जल पान किया. यक्ष ने युधिष्ठिर से कहा कि यदि वह अपने भाईयों को जीवित अवस्था में देखने चाहते हैं तो कुछ सवालों के जवाब देने होंगे.
एक भाई को जीवित करने को लेकर जब यक्ष ने युधिष्ठिर को कहा तो उन्होंने अपने सौतेले भाई को जीवित करने की बात कहीं बस इसी बात से प्रभावित होकर यक्ष ने उनके चारों भाईयों को जीवनदान दे दिया .मान्यता है कि जब से ही बैसाखी की पर्व की उत्पत्ति हुई.
ज्योतिषियों ने बताया है कि बैसाखी पर दान पुण्य का मुहूर्त 13 अप्रैल को दोपहर 1 बजकर 59 मिनट पर शुरू हो जाएगा. यह मुहूर्त 14 अप्रैल सुर्यादय तक रहेगा. लॉकडाउन के चलते आप गंगा में तो स्नान नहीं लेकिन घर में गंगा जल से स्नान कर सकते है.
इस दिन मान्यता है कि बैसाखी के दिन ही गुरू गोविंद सिंह जी ने आनंदपुर साहिब में खालसा पंथ की स्थापना की थी. इस दिन ही उन्होंने अपने प्यारों को अमृत पान कराकर खालसा बनाया.सिख इस पर्व को सामूहिक जन्मदिवस के रूप में भी मनाते हैं.