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बालासोर रेल हादसा : जिंदा बचकर भी इस परेशानी से जूझ रहे हैं कई लोग

ओडिशा के बालासोर में बीते दिनों हुए रेल हादसे में कई लोगों की जान गयी और करीब 12 सौ लोग इस घटना में घायल भी हुए. इस घटना के हुए एक हफ्ता हो चुका है, लेकिन इस घटना में घायल लोगों का दर्द कम नहीं बढ़ रहा है. अब आफत ही उनके आजीविका पर.

बालासोर रेल हादसा : ओडिशा के बालासोर में बीते दिनों हुए रेल हादसे में कई लोगों की जान गयी और करीब 12 सौ लोग इस घटना में घायल भी हुए. इस घटना के हुए एक हफ्ता हो चुका है, लेकिन इस घटना में घायल लोगों का दर्द कम नहीं बढ़ रहा है. अब आफत ही उनके आजीविका पर. इस दर्दनाक हादसे में कई घायल लोग ऐसे है जिनकी जान तो बच गयी लेकिन किसी के हाथ काटने पड़े तो किसी के पैर, कोई शारीरिक रूप के पूरी तरह अपंग हो गया तो किसी ने हादसे में सब कुछ खो दिया. ऐसे ही कुछ लोगों के बारे में आइए हम बात करते है विस्तार से…

जिंदा बच गया लेकिन गंवा दिया पैर

बिहार के गोपालगंज जिले के पाथरा गांव के 22 वर्षीय प्रवासी मजदूर प्रकाश राम इस बात के लिए खुश है कि वह इस घटना में जिंदा बच गया लेकिन अब उसे डर है कि उसकी एक टांग कट जाने से उसकी रोजी-रोटी कट गई है. प्रकाश पिछले दो साल से आंध्र प्रदेश में एक सिरेमिक टाइल कारखाने में काम करता था और यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस से अपने घर जा रहा था, तभी यह हादसा हुआ. अस्पताल में भर्ती प्रकाश राम यह सोच रहा है कि उसके लिए भविष्य क्या है. वह अपने परिवार का इकलौता कमाऊ सदस्य था. ऐसे में अब वह एक कटे हुए पैर के साथ क्या करेगा? यह उसका सबसे बड़ा सवाल है.

‘यह अपंगता जीवन भर के लिए’

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद के एक 25 वर्षीय राजमिस्त्री और पिछले 10 वर्षों से केरल के कोल्लम में काम करने वाले रेजाउल बाफदार के दाहिने हाथ में गहरे घाव के साथ-साथ हड्डी टूट गई है. उसे कम-से-कम एक साल तक बिना काम के रहना पड़ेगा. वह कोरोमंडल एक्सप्रेस में था जब दुर्घटना हुई. वह कोमा में था और जब तक वह होश में नहीं आया, तब तक वह गहन चिकित्सा इकाई में चार दिन रहा. घर से वापस अपने काम पर रेजाउल जा रहा था, और ये भी अपने घर का अकेला कमाऊ सदस्य है. उसका कहना है कि सरकार ने दो लाख रुपये दिए जरूर है लेकिन, यह अपंगता मुझे जीवन भर के लिए मिल गयी है.

एक दिन में मिलते थे 500, अब परिवार का गुजारा करना मुश्किल

आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में काम करने वाले पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले के बगानन के 23 वर्षीय राजमिस्त्री श्रीस्तीधर साबक का भी बाएं पैर में फ्रैक्चर हो गया था. वह कोरोमंडल एक्सप्रेस में सवार था और जब हादसा हुआ वह हवा में उछल गया. उसका कहना है कि मेरे इस दर्द से ज्यादा बड़ा दर्द ये है कि अब मैं काम कर पाऊँगा या नहीं. उसने बताया कि विजयवाड़ा में, मुझे एक दिन में ₹500 मिलते थे. लेकिन अगर मैं ड्यूटी ज्वाइन नहीं करता हूं, तो मेरे परिवार का गुजारा करना मुश्किल हो जाएगा.

रेल हादसे में आयी गंभीर चोटें

बिहार के मधुबनी जिले के 45 वर्षीय फूलगन कामत पिछले छह वर्षों से चेन्नई के एक होटल में रसोई सहायक के रूप में काम करता था. इस रेल हादसे में उसे गंभीर चोटें आयी थी. उसकी दाहिनी जांघ में स्टील की रॉड घुस गयी है और उसके कंधे पर गहरा घाव आया है जो बहुत परेशान करता है. हादसे के दिन वह कोरोमंडल एक्सप्रेस से अपने कार्यस्थल पर वापस जा रहे थे. उसका कहना है कि मैं अगले एक साल तक फिर से होटल में काम नहीं कर पाऊंगा. घर पर पांच बेटियों और एक बेटे के साथ मुझे अपने पैरों पर वापस आने की जरूरत है.

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