राजस्थान में कोटा जिले के प्राधिकारियों ने कई छात्रों की आत्महत्या के मद्देनजर कोचिंग संस्थानों से अगले दो महीने तक नीट और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों के नियमित टेस्ट नहीं कराने को कहा है. एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, कोटा के जिला कलेक्टर द्वारा जारी एक नोटिस के अनुसार, कोचिंग सेंटरों को परीक्षण रोकने के लिए कहा गया है.
कोटा में इस साल कुल 22 छात्रों की आत्महत्या से मौत
पुलिस ने कहा कि इस साल कोटा में कुल 22 छात्रों की आत्महत्या से मौत हो गई है. रविवार को 17 वर्षीय अविष्कार शंबाजी कासले ने दोपहर करीब 3.15 बजे जवाहर नगर में अपने कोचिंग संस्थान की इमारत की छठी मंजिल से छलांग लगा दी. विज्ञान नगर सर्कल अधिकारी (सीओ) धर्मवीर सिंह ने कहा कि संस्थान के कर्मचारी उसे अस्पताल ले गए लेकिन रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया.
Rajasthan | Tests/Examinations at coaching centres in Kota stayed for two months in continuation of "providing mental support and security" pic.twitter.com/RjykseWxiJ
— ANI MP/CG/Rajasthan (@ANI_MP_CG_RJ) August 28, 2023
चार घंटे के भीतर, एक अन्य छात्र ने की खुदकुशी
पुलिस ने कहा कि अविष्कार की मौत के चार घंटे के भीतर, एक अन्य कोचिंग सेंटर के 18 वर्षीय छात्र आदर्श राज ने शाम करीब 7 बजे अपने किराए के फ्लैट में फांसी लगा ली. जब उसकी बहन और चचेरा भाई शाम करीब 7.30 बजे फ्लैट पर पहुंचे, तो उन्होंने उसके बंद कमरे को तोड़ा और आदर्श को छत से लटका हुआ पाया. पुलिस ने बताया कि अस्पताल ले जाते समय उसने भी दम तोड़ दिया.
#WATCH एक छात्र NEET की तैयारी कर रहा था। आज उसने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। आज उसकी परीक्षा थी और उसकी बहन का कहना है कि उसके नंबर कम आ रहे थे। इससे पहले भी एक और आत्महत्या के मामले की सूचना मिली थी। इस छात्र की भी परीक्षा थी। टेस्ट देने के बाद उसने बिल्डिंग की छठी मंजिल से… pic.twitter.com/n3RkvZXdlX
— ANI_HindiNews (@AHindinews) August 28, 2023
इन परीक्षाओं के लिए छात्र आते हैं कोटा
पुलिस ने बताया कि दोनों शवों का पोस्टमार्टम आज उनके माता-पिता के आने के बाद किया जाएगा. देश के कोचिंग हब में पिछले साल कम से कम 15 कोचिंग छात्रों की आत्महत्या से मौत हो गई. शहर के विभिन्न संस्थानों में नीट, जेईई मेन, यूपीएससी समेत विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए कई छात्र कोटा जाते हैं.
हर साल दो लाख छात्र-छात्राएं कोटा आते
इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिले के लिए आयोजित संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) और मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के वास्ते होने वाली राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (नीट) जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए देशभर से हर साल दो लाख छात्र-छात्राएं कोटा आते हैं.
अंक पाने के कारण छात्रों ने किया आत्महत्या
दोनों छात्रों के आत्महत्या जैसा कठोर कदम उठाने के पीछे की वजह कोचिंग संस्थानों द्वारा लिए जाने वाले नियमित टेस्ट के दौरान कम अंक पाने के कारण अभ्यर्थियों का दबाव में होना बताया जा रहा है.
नियमित टेस्ट पर रोक
कोटा के जिलाधीश ओ पी बंकर ने रविवार रात जारी एक आदेश में कोचिंग संस्थानों से अगले दो महीने के लिए नियमित टेस्ट पर रोक लगाने के लिए कहा. उन्होंने कहा कि छात्रों को ‘‘मानसिक सहयोग’’ देने के लिए यह निर्देश जारी किया गया है.
कोटा बड़े पैमाने पर छात्र लेते हैं एडमिशन
जिला प्रशासन के अधिकारियों के अनुसार, कोटा भारत के परीक्षण-तैयारी व्यवसाय का केंद्र है, जिसका अनुमानित मूल्य सालाना ₹10,000 करोड़ है. दसवीं कक्षा पूरी करने के बाद देश भर से छात्र बड़ी संख्या में यहां पहुंचते हैं, और आवासीय परीक्षण-तैयारी संस्थानों में पंजीकरण कराते हैं. वे स्कूलों में भी दाखिला लेते हैं, जिनमें से अधिकांश बड़े पैमाने पर प्रमाणन के उद्देश्य से होते हैं. छात्र केवल परीक्षण-तैयारी संस्थानों में कक्षाओं में भाग लेते हैं, जो उन्हें बारहवीं कक्षा की परीक्षा के लिए तैयार करते हैं, लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि एनईईटी और जेईई जैसी प्रवेश परीक्षाओं के लिए. कुछ छात्रों को यह काम तनावपूर्ण लगता है, खासकर इसलिए क्योंकि वे अपने परिवार से दूर हैं.
इन आंकड़ों पर डालें एक नजर
पुलिस आंकड़ों के मुताबिक, कोटा में 2022 में 15, 2019 में 18, 2018 में 20, 2017 में सात, 2016 में 17 और 2015 में 18 छात्रों की मौत हुई. 2020 और 2021 में कोई आत्महत्या नहीं हुई.
एक भी बच्चे की मौत दुर्भाग्यपूर्ण है- मुख्यमंत्री अशोक गहलोत
18 अगस्त को, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कोटा जिले में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के बीच आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं पर चिंता व्यक्त की थी और अधिकारियों को ऐसे मामलों पर नज़र रखने के उपाय सुझाने के लिए एक समिति बनाने का निर्देश दिया था. उन्होंने कहा थी कि “ऐसे (आत्महत्या) मामलों में और वृद्धि नहीं होनी चाहिए… सुधार का समय आ गया है. हम युवा छात्रों को आत्महत्या करते नहीं देख सकते… यहां तक कि एक भी बच्चे की मौत दुर्भाग्यपूर्ण है और माता-पिता के लिए बहुत बड़ी क्षति है. कोटा जिला प्रशासन ने 17 अगस्त को सभी छात्रावासों और पीजी आवासों को “छात्रों को मानसिक सहायता और सुरक्षा प्रदान करने के लिए” सभी कमरों में स्प्रिंग-लोडेड पंखे लगाने का आदेश दिया.