Jharkhand News: गिरिडीह के बगोदर सहित आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों में सोहराय सह बंदना पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. खासकर आदिवासी बाहुल ग्रामीण क्षेत्रों में कार्तिक मास में मनाया जाने वाला सोहराय पर्व में मुख्यतः पशुधन की पूजा की जाती है. इस दौरान बेहतर कृषि और फसलों के अच्छी पैदावार की कामना भी की जाती है.
सोहराय पर्व को लेकर घर के दीवारों पर उकेरी जाती है पशुओं के चित्र
सोहराय पर्व को लेकर 15 दिन पहले से ही घरों की निपाई-पोताई होती है. घर के दिवारों पर सोहराय से संबंधित भीतिकला चित्र बनाया जाता है. वहीं, जानवरों के रहने वाले स्थानों के गोहाल में मिट्टी को भरा जाता है. जिससे पशुओं को बैठने में आराम मिल सके. गोवर्धन पूजा में पशुओ के सींग में हर शाम कोड़ी का तेल लगाया जाता है और गोहाल पूजा के एक दिन पहले रात में जगरना किया जाता है. जिसमें पशुधनों को सोहराय चांचर गीत संगीत और नृत्य के साथ पूरा गांव का सांस्कृतिक भ्रमण किया जाता है.
खेतों में बेहतर पैदावार के लिए पशुधन की होती है पूजा
गोहाल पूजा के दिन घर-आंगन को चॉक पुराई किया जाता है. इस दिन पशुओं के सर पर धान की बाली एवं फूल की मेडूवार फूलवार बंधा जाता है. वहीं, पशुधनों को चुमाया भी जाता है. इतना ही नहीं, काला -पीला सरसों से नजर उतार कर जानवरों के खुले में चरने के लिए छोड़ा जाता है. इसके दूसरे दिन गांव के एक स्थान पर बरदखूंटा के साथ सोहराय सह बंधना पर्व संपन्न होता है. पर्व को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में काफी उल्लास होता है. वहीं, ग्रामीण महिलाए अपने बेहतर खेती के लिए पशुधन की पूजा करती है.
रिपोर्ट : कुमार गौरव, बगोदर, गिरिडीह.