कोलकाताः सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने पश्चिम बंगाल के नदिया जिला में बांग्लादेश से लगी सीमा पर दो बांग्लादेशी मूल के मानव तस्करों को धर दबोचा. इनके नाम इसराफिल हुसैन (26) व अब्दुल रहीम (32) बताये गये हैं. इसराफिल हुसैन देश की खुफिया एजेंसियों की वांछित सूची में है. वह बांग्लादेश के जीवननगर और अब्दुल महेशपुर का निवासी है.
शुक्रवार को बीएसएफ खुफिया शाखा और एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट की साझा सूचना के आधार पर बीएसएफ की आठवीं बटालियन के जवानों ने सीमा चौकी महेंद्रा इलाके में विशेष अभियान चलाया. इस दौरान दोनों तस्करों को दबोचा गया. उनके कब्जे से दो किलो गांजा, फेंसिडिल की 22 व देसी दारू से भरी 48 बोतलें जब्त की गयीं.
बीएसएफ के एक अधिकारी ने बताया कि पूछताछ में हुसैन ने माना है कि वह सीमा पर होने वाले अपराधों में लिप्त है. हालांकि, वह मुख्य रूप से मानव तस्करी करता है. वह नदिया के सुकांतपल्ली गांव के रहने वाले मानव तस्कर और दलाल सागर विश्वास व बांग्लादेश के रहने वाले नयन के लिए काम करता है.
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आरोपी ने बताया कि वह ढाका से महिलाओं को भारत लाता है और यहां उन्हें मानव तस्कर विश्वास को सौंप देता है. फिर महिलाओं को देश की दूसरी जगहों पर भेज दिया जाता है. हुसैन ने यह भी बताया है कि नदिया के खानतुरा के निवासी अभिजीत घोष, रंजीत, वसीम व बांग्लादेशी तस्कर अलामीन हुसैन अली, रियाज, अब्दुल रहीम व रतन भी उसके साथी हैं.
ये सभी लोग ड्रग्स व अन्य निषिद्ध सामान खरीदकर नदिया के भजनघाट गांव के पास केलाबागान में जुटाकर रखते हैं. मौका मिलते ही सामान को गैरकानूनी तरीके से बांग्लादेश में भेज देते हैं. शुक्रवार को भी वह और उसका एक साथी गांजा, फेंसिडिल व शराब को बांग्लादेश के बेनीपुर ले जा रहा था, पर सीमा पार करने से पहले ही बीएसएफ के जवानों ने इन्हें पकड़ लिया.
हुसैन ने बताया कि वह बांग्लादेश से छह महिलाओं को भारतीय दलाल सागर विश्वास के पास भेजने वाला था. बांग्लादेश में लॉकडाउन की वजह से वह ऐसा कर नहीं पाया. महिलाओं की तस्करी के लिए उसने सागर से 90 हजार रुपये भी लिये थे. दोनों आरोपियों को हांसखाली थाने के हवाले कर दिया गया है.
बीएसएफ के डीआइजी (कृष्णानगर सेक्टर) अमरीश कुमार आर्य ने कहा कि भारत-बांग्लादेश सीमावर्ती इलाकों में तस्करी घटनाओं पर अंकुश के लिए बीएसएफ तत्पर है, पर तस्करों के नये-नये हथकंडे चुनौतीपूर्ण हैं. उन्होंने कहा कि सीमावर्ती इलाकों में पकड़े जाने वाले तस्करों से मिली जानकारी पुलिस से साझा की जाती है, ताकि तस्करों के गिरोह के अन्य सदस्य भी पकड़े जा सकें.
Posted By: Mithilesh Jha