20.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बप्पी लहरी: अमिताभ के पग में बांधा घुंघरू तो मिथुन को बनाया डिस्को डांसर, कभी छोड़ना चाहते थे इंडस्ट्री

बप्पी दा महज 17 साल की उम्र से ही संगीतकार बनना चाहते थे और उनकी प्रेरणा के स्रोत एसडी बर्मन थे. बप्पी दा तीन साल की उम्र से ही तबला बजाना शुरू कर दिया था. किशोरावस्था में ही बप्पी दा एसडी बर्मन के गानों को सुना करते थे.

मुंबई : बॉलीवुड के लिजेंड्री सिंगर और भारतीय संगीत में पॉप सॉन्ग लाने वाले बप्पी लहरी उर्फ ‘बप्पी दा’ का बुधवार की सुबह मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया. पश्चिम बंगाल की जलपाईगुड़ी में 27 नवंबर 1952 को जन्मे बप्पी लहरी का पूरा नाम अलोकेश लहरी था. उन्होंने अपने करीब 48 साल के करियर में 500 से अधिक फिल्मों में 5000 से अधिक गीतों में संगीत दिए. इतना ही नहीं, सदी के महानायक और बॉलीवुड के सुपर स्टार अमिताभ बच्चन के पैरों में घुंघरू बांधकर (नमक हलाल : पग घुंघरू बांध मीरा नाची थी) फिल्मी जगत में सातवें आसमान पर पहुंचा दिया तो बॉलीवुड के एक अन्य सुपर स्टार मिथुन चक्रवर्ती को ‘डिस्को डांसर’ बनाने में भी अपनी अहम भूमिका निभाई.

फिल्मी संगीत में मील का पत्थर साबित हुआ ‘पग घुंघरू’

बॉलीवुड के सुपर स्टार और सदी के महानायक अमिताभ बच्चन की फिल्म ‘नमक हलाल’ के गीत ‘पग घुंघरू बांध मीरा नाची’ को लेकर खुद बप्पी दा भी कहा करते थे कि उनके करियर में इस गाने का संगीत सबसे बेहतरीन है. तकरीबन आठ मिनट के इस गाने में उन्होंने जो संगीत दिया, वह सही मायने में बॉलीवुड के फिल्मी संगीत के क्षेत्र में एक ‘मील का पत्थर’ साबित हुआ. इस गाने में अमिताभ बच्चन की भूमिका, किशोर कुमार (किशोर दा) की आवाज और बप्पी दा के संगीत ने आज भी धूम मचाते हैं.

किशोर दा के जाने के बाद छोड़ना चाहते थे बॉलीवुड

13 अक्टूबर 1987 को जब बॉलीवुड के ‘मुनी दादा’ यानी अशोक कुमार के छोटे भाई और हरफनमौला पार्श्व गायक किशोर कुमार का निधन हुआ था, तब बप्पी लहरी काफी दुखी थे. उस समय वे बॉलीवुड ही छोड़ देना चाहते थे, क्योंकि वे किशोर कुमार को ‘किशोर मामा’ कहा करते थे और उनकी जोड़ी ने बॉलीवुड में कई सुपरहिट गाने दिए.

गीत गाने के शौकीन थे बप्पी दा

बप्पी दा खुद भी गीत गाने के शौकीन थे. मिथुन चक्रवर्ती का ‘डिस्को डांसर’ उनके फिल्मी करियर का सबसे बेहतरीन माना जाता है. जब कभी किसी प्रोग्राम में बप्पी दा से गाने के लिए कहा जाता था तो वे ‘याद आ रहा है तेरा प्यार’ और ‘आईएम एक डिस्को डांसर’ जरूर गाते थे.

17 साल की उम्र से ही संगीतकार बनना चाहते थे बप्पी दा

बप्पी दा महज 17 साल की उम्र से ही संगीतकार बनना चाहते थे और उनकी प्रेरणा के स्रोत एसडी बर्मन थे. बप्पी दा तीन साल की उम्र से ही तबला बजाना शुरू कर दिया था. किशोरावस्था में ही बप्पी दा एसडी बर्मन के गानों को सुना करते थे. सबसे बड़ी बात यह है कि वे केवल एसडी बर्मन के गानों को सुना ही नहीं करते थे, बल्कि उस पर रियाज भी किया करते थे. जिस दौर में लोग रोमांटिक गाने सुनना पसंद करते थे, उस जमाने में बप्पी दा ने बॉलीवुड में ‘डिस्को डांस’ जैसी फिल्मों में पॉप सॉन्ग को इंट्रोड्यूस किया था.

Also Read: Bappi Lahiri: संगीतकार बप्पी लहरी का निधन, मुंबई के अस्पताल में ली अंतिम सांस
बंगाली फिल्म दादू में मिला पहला मौका

बप्पी दा को अपने फिल्मी करियर में सबसे पहले एक बंगाली फिल्म, दादू (1972) और पहली हिंदी फिल्म नन्हा शिकारी (1973) में मौका मिला. इसके लिए उन्होंने संगीत दिया था. जिस फिल्म ने उन्हें बॉलीवुड में स्थापित किया, वह ताहिर हुसैन की हिंदी फिल्म जख़्मी (1975) थी. इस फिल्म में उन्होंने संगीत देने के साथ ही गाने भी गाए थे.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें