बरेली कॉलेज ने रुहेलखंड में फैलाई शिक्षा की रोशनी, आजादी के लिए छात्रों ने अंग्रेज प्राचार्य की कर दी हत्या

उत्तर प्रदेश के बरेली स्थित बरेली कॉलेज की नींव अंग्रेजों ने रखी थी.अंग्रेज गवर्नर एमसी लाटुस ने इसकी स्थापना आज ही के दिन यानी 17 जुलाई, 1837 को की थी. इसका इतिहास अपने में कई कहानी और किवदंतियों के साथ साक्षरता का सूरज समेटे हुए हैं. बरेली से मुहम्मद साजिद की विशेष रिपोर्ट ...

By Prabhat Khabar News Desk | July 17, 2023 7:46 PM
an image

बरेली: उत्तर प्रदेश के बरेली में स्थित बरेली कॉलेज, बरेली की नींव अंग्रेजों ने रखी थी.अंग्रेज गवर्नर एमसी लाटुस ने स्थापना की थी.इसकी स्थापना आज ही के दिन यानी 17 जुलाई, 1837 को हुई थी.बरेली कॉलेज ने रुहेलखंड में शिक्षा की रोशनी फैलाई. हालांकि कई बार संकट के दौर से भी गुजरना पड़ा. राजा महाराजा और रजवाड़ों के सहयोग से कॉलेज को बुलंदी को छुआ.इसमें देशभर के रजवाड़ों और रईसों ने 80 हजार रुपये का आर्थिक सहयोग दिया था. इनमें लॉर्ड रिपन और एओ ह्यूम भी शामिल रहे, तब वर्ष 1884 में बरेली कॉलेज को एक बार फिर से शुरू किया गया था.शुरुआत में कॉलेज की संबद्धता कलकत्ता विश्वविद्यालय से थी. वर्ष 1884 से यह इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संबद्ध हुआ.वर्ष 1927 में आगरा विश्वविद्यालय और आखिर में रुहेलखंड विश्वविद्यालय से इसे जोड़ा गया.बरेली कॉलेज एतिहासिक विरासत को संभाले हुए है.

फारसी पढ़ाने वाले कुतुबशाह नवाब खान को मिली फांसी की सजा

देश की जंग- ए- आजादी में बरेली कॉलेज की भी मुख्य भूमिका है. यहां के शिक्षकों और छात्रों ने देश की लड़ाई में मुकाबला किया.बरेली कॉलेज इतिहास में आजादी तक की कई कहानियां दफन हैं. 1857 की क्रांति से लेकर देश को आजादी दिलाने तक में हुए हर आंदोलन में इस कालेज का योगदान रहा. कालेज की स्थापना ब्रिटिश शासनकाल में 1837 को हुई थी. मिस्टर रोजर्स यहां के पहले हेडमास्टर थे.मगर, 1857 में हुई अगस्त क्राांति के दौरान यहां के शिक्षक से लेकर छात्र तक शामिल हुए थे. जंग ए आजादी की लड़ाई में रुहेला सरदार खान बहादुर खान के नेतृत्व में क्रांतिकारी अंग्रेजों से लोहा ले रहे थे. बरेली कालेज के शिक्षक मौलवी महमूद अहसन, फारसी शिक्षक कुतुबशाह समेत तमाम राष्ट्रवादी छात्र 1857 की क्रांति में शामिल हुए.कालेज के प्राचार्य डा.कारलोस बक को भी क्रांतिकारियों ने मौत के घाट पर उतार दिया.कालेज में फारसी पढ़ाने वाले शिक्षक कुतुबशाह नवाब खान बहादुर खान के सभी आदेश और फरमान प्रेस में छापकर उन्हें लोगों में बांटते थे.अंग्रेजों ने उन्हें पकड़कर मुकदमा चलाया और उन्हें फांसी की सजा सुनाई.बाद में ये सजा काला पानी में बदल गई.उनकी अंडमान जेल में मौत हो गई.

Also Read: मंदिरों के पुजारी अब विद्युत अधिकारियों के संपर्क में रहेंगे, कांवड़ियों की सुरक्षा को हुआ खतरा तो जाएगी नौकरी
आजाद छात्रावास से चलता था जंग ए आजादी का मिशन

बरेली कालेज के आजाद छात्रावास से जंग ए आजादी का मिशन चलता था.इसकी नींव 1906 में रखी गई थी. इस हास्टल में 72 कमरे हैं. जिसमें 68 कमरे छोत्रों के लिए बने थे। इस छात्रावास ने 1929 से 1943 तक राष्ट्रीय आंदोलनों में अहम भूमिका निभाई, लेकिन वर्तमान में यह हास्टल जर्जर हो चुका है. महात्मा गांधी के अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन में भी बरेली कालेज के तमाम छात्र शामिल हुए,जबकि सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिन्द फौज के लिए भी यहां के छात्रों ने छात्र संघ कोष का सारा पैसा देने का प्रस्ताव पारित किया था. यहां के छात्र कृपानन्दन ने कालेज में तिरंगा फहराया था. शहीदे आजम भगत सिंह के चाचा अजीत सिंह ने यहां एक साल ला की पढ़ाई की और क्रान्ति में हिस्सा लिया.

नवाब रामपुर ने दी जमीन, पहले साल 57 छात्र

सरकारी अभिलेखों के मुताबिक बरेली कॉलेज की स्थापना वर्ष 1837 में नौमहला मस्जिद के पास एक सरकारी स्कूल के रूप में हुई थी. पहले वर्ष 57 विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया.रोजर्स इसके पहले हेडमास्टर रहे.मगर,1857 की क्रांति की आग बरेली कॉलेज तक पहुंच गई.इसके बाद रामपुर के नवाब ने वर्ष 1904-05 में जमीन दान दी थी.यह जमीन कर्जन शिक्षा अधिनियम के तहत बरेली कॉलेज के प्रबंध तंत्र को सरकार के आग्रह पर दी गई थी.जंग ए आजादी के क्रांतिकारियों ने बरेली कॉलेज के अंग्रेज प्राचार्य डॉ.कारलोस बक की हत्या कर दी.इससे कॉलेज बंद हो यूगया. वर्ष 1859 में कॉलेज की पुनर्स्थापना हुई. वर्ष 1877 में आर्थिक संकट के चलते कॉलेज बंद हुआ था.इसके बाद उप प्राचार्य पंडित छेदालाल के प्रयासों से जयपुर के राजा जगत सिंह की अध्यक्षता में कॉलेज के फिर से संचालन के लिए सेंट्रल कमेटी बनी थी. इसके बाद फिर कभी बंद नहीं हुआ.

रुहेलखंड में सबसे पुराना कॉलेज, छात्र गोपाल स्वरूप बने उपराष्ट्रपति

बरेली कॉलेज रुहेलखंड का सबसे पुराना कॉलेज है.यहां के छात्र कृपानंदन ने सन 1947 से पहले ही देश का तिरंगा फहरा दिया था.स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारियों का ठिकाना कॉलेज का आजाद छात्रावास था.भारत छोड़ो आंदोलन, आजाद हिंद फौज के लिए छात्रों ने धन जुटाया था.देश के चौथे उपराष्ट्रपति गोपाल स्वरूप पाठक बरेली कॉलेज के छात्र थे.इसके साथ ही प्रो. वसीम बरेलवी समेत देश के तमाम साहित्यकार शिक्षक के रूप में बरेली को सेवाएं दे चुके हैं.बरेली कॉलेज ने वर्ष 2012 में नैक मूल्यांकन में ए ग्रेड हासिल किया.

Exit mobile version