भारत में राजाओं और नवाबों की संपत्ति का हिसाब लगाया जाए तो कई दिन बीत जाएं और संपत्ति का हिसाब भी न लगे. एक जमाना हुआ करता था, जब राजघरानों की रियासत पर अधिकार के लिए युद्ध हुआ करते थे, दरअसल, एक ऐसा ही ताजा मामला रामपुर नवाब खानदान की संपत्ति को लेकर सामने आया है, इस संपत्ति के बंटवारे के लिए युद्ध तो नहीं हुआ लेकिन नवाब के वारिसों ने 49 साल तक कानूनी लड़ाई जरूरी लड़ी, इस युद्ध विराम के घोषणा सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हो गई है. हम बात कर रहे हैं रामपुर नवाब खानदान की 26 सौ करोड़ से ज्यादा की संपत्ति के बारे में, जिसके बंटवारे का विवाद अब कहीं जाकर खत्म हुआ है.
नवाब खानदान की रियासत के बंटवारे को लेकर लगभग 49 साल से चल रही कानूनी लड़ाई अब कहीं जाकर खत्म हुई है. रामपुर के अंतिम शासक नवाब रजा अली खां की 26 सौ करोड़ से अधिक की संपत्ति के बंटवारे पर अंतिम मुहर लग गई है.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बुधवार को बड़ा फैसला सुनाया. साथ ही जिला जज की ओर से एडवोकेट कमिश्नर से नवाबों की संपत्ति का सर्वे कराकर सूचीबद्ध किया गया. कोर्ट के फैसले के बाद रियासत की संपत्ति सभी 16 वारिसों में के बीच बराबर बांटी जाएगी. संपत्ति का बंटवारा स्वर्गीय मुर्तजा अली खां के बेटे मुराद मियां और बेटी निखत बी, और दूसरे पक्ष के स्वर्गीय मिक्की मियां की पत्नी पूर्व सांसद बेगम नूरबानो, उनके बेटे और बेटियों समेत कुल 16 लोगों के बीच होना है. इनमें कुछ लोग देश में हैं, तो कुछ विदेश में रह रहे हैं.
संपत्ति के बंटवारे को लेकर खास बात ये है कि संपत्ति इस्लामी शरीयत के हिसाब से सभी के बीच बराबर बांटी जाएगी. बता दें कि रामपुर के अंतिम शासक नवाब रज़ा अली खां की 2600 करोड़ से ज़्यादा की संपत्ति के लिए सभी 16 हिस्सेदार 49 साल से कानूनी लड़ाई लड़ रहे थे. जिसका फैसला सुप्रीम कोर्ट में 31 जुलाई 2019 को हुई सुनवाई के दौरान हुआ. अंतिम शासक नवाब रज़ा अली खां के पौत्र और पूर्व मंत्री नवाब काज़मि अली खां उर्फ नवेद मियां ने कोर्ट के फैसले पर संतुष्टि व्यक्त की है.