UP Election 2022: उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के मतदाताओं का सियासी मिजाज अलग है. यहां के मतदाता दागियों के साथ ही निर्दलीयों पर भी भरोसा नहीं जताते. बरेली के मतदाताओं ने नौ विधानसभाओं में 33 वर्ष से एक भी निर्दलीय प्रत्याशी को मौका नहीं दिया है. निर्दलीयों को जीत मिलना तो दूर , मुख्य मुकाबले में भी शामिल नहीं हो पाए. यहां के मतदाताओं के दलों से ही दिल मिलते हैं. सियासी पार्टियों के प्रत्याशियों को ही मतदाता वोट देकर विधानसभा तक पहुंचाते हैं. मगर, निर्दलीयों पर भरोसा नहीं करते.
बरेली की बहेड़ी और फरीदपुर विधानसभा में 1989 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी मंजूर अहमद और सियाराम सागर ने जीत दर्ज की थी. इसके बाद से निर्दलीय प्रत्याशियों के लिए बरेली में सूखा पड़ा है. हालांकि, इससे पहले 1977 में भोजीपुरा विधानसभा से हामिद रजा खां और 1980 में बहेड़ी विधानसभा से अम्बा प्रसाद ने निर्दलीय के रूप में जीत दर्ज की थी. मगर, 1989 के बाद से सात विधानसभा चुनाव यानी 1991, 1993, 1996, 2002, 2007, 2012 और 2017 हो चुके हैं, लेकिन एक भी निर्दलीय विधायक नहीं चुना गया.
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यूपी विधानसभा चुनाव-2002 में सपा प्रत्याशी इस्लाम साबिर का नामांकन पत्र कांग्रेस प्रत्याशी प्रवीण सिंह ऐरन की आपत्ति पर निरस्त हो गया था. इसके बाद निर्दलीय नामांकन कराने वाले इस्लाम साबिर के पुत्र शहजिल इस्लाम को चुनाव लड़ाया गया था. उन्हें सपा ने समर्थन दिया था. यहां से सपा ने कोई प्रत्याशी नहीं उतारा था. उनका नामांकन पत्र निर्दलीय था, लेकिन चुनाव सपा के समर्थन पर ही जीते थे. वह 2012 में भी भोजीपुरा विधानसभा से आईएमसी के समर्थन से चुनाव जीत चुके हैं.
रिपोर्ट : मुहम्मद साजिद, बरेली