Basant Panchami 2021, Jharkhand News, Hazaribagh News, बड़कागांव (संजय सागर) : विद्या की देवी माता सरस्वती की पूजा देश के कोने- कोने में की जाती है. जनवरी- फरवरी माह आते ही हर गली- मोहल्ले में माता सरस्वती की पूजा की चर्चा होने लगती है. माता सरस्वती की आराधना किये जाने से लोगों को ज्ञान मिलता है.
माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है. इस साल यह पर्व देश भर में 16 फरवरी को मनाया जायेगा. इस दिन ज्ञान और सुर की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है, लेकिन बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की ही आराधना क्यों होती है? इसके पीछे एक पौराणिक कथा है.
कथाओं के अनुसार, संसार की रचना करने के बाद जब ब्रह्माजी एक बार भ्रमण पर निकले, तो उन्हें महसूस हुआ कि उनकी रचना में कोई कमी रह गयी है. उन्होंने देखा कि पूरी सृष्टि मूक है. हर तरफ एक अजीब सी खामोशी छायी हुई है.
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ब्रह्माजी ने इसके बाद अपने कमंडल से जल छिड़का, जिससे 4 भुजाओं वाली एक सुंदर स्त्री प्रकट हुई. उनके चेहरे पर एक अद्भुत तेज दिख रहा था. देवी ने बह्माजी को प्रणाम किया. इनके हाथ में एक वीणा थी. ब्रह्माजी ने उन्हें यह बजाने के लिए कहा.
देवी की इस वीणा की आवाज इतनी मधुर थी कि इससे पूरी सृष्टी में एक स्वर आ गया. इसके बाद ही समस्त जीवों को आवाज मिल पायी और वह एक दूसरे की दुख-तकलीफ और भावों को समझ पाने में सक्षम हो पाये. यह देख ब्रह्माजी ने उस देवी को सरस्वती नाम दिया. इसके बाद से ही मां सरस्वती का यह दिन ब्रह्माजी की बेटी के प्राकट्य के तौर पर बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाने लगा.
मां सरस्वती की आराधना देवता और असुर दोनों ही करते हैं. इस दिन घरों में, स्कूल और कॉलेजों में मां की प्रतिमा की स्थापना की जाती है. लोग इस दिन पीले रंग के वस्त्र पहनते हैं.
Posted By : Samir Ranjan.