Basant Panchami 2022: बसंत की देवी मां सरस्वती को माना जाता है और उनके जन्मोत्सव के साथ ही बसंत ऋतु का स्वागत किया जाता है। खेतों में पीली सरसों के फूल प्रकृति की गोद को पीली चादर से ढक देते हैं.पीला रंग ‘बसंती’ रंग के रूप में भी प्रसिद्ध है और ऊर्जा, समृद्धि, आशावाद और प्रकाश का प्रतीक है. इसलिए त्योहार से जुड़े कई व्यंजन भी पीले रंग में तैयार किए जाते हैं.
पांच फरवरी दिन शनिवार को उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र और सिद्धि योग में बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाएगा. प्रातः 7:35 बजे से 9:03 तक कुंभ लग्न में सरस्वती की मां की आराधना करें. इसके बाद में 10:29 से और 13:59 बजे तक चर लग्न मेष और स्थिर लग्न वृषभ में बहुत ही शुभ मुहूर्त हैं.
मां सरस्वती पूजा में पीली और सफेद चीजों का विशेष महत्व होता है. मां सरस्वती की पूजा में सफेद तिल का लड्डू, गन्ना, एवं गन्ने का रस, पका हुआ गुड़, मधु, श्वेद चंदन, श्वेत पुष्प, सफेद या पीले वस्त्र, श्वेत अलंकार, अदरक, मूली, शर्करा, सफेद धान के अक्षत, मोदक, धृत, पके हुए केले की फली का पिष्टक, नारियल, नारियल का जल, श्रीफल, बदरीफल, ऋतुकालोभ्दव पुष्प फल आदि होना चाहिए.
बसंत पंचमी के दिन पीले वस्त्र पहनकर मां सरस्वती की पूजा की जाती है और उन्हें पीली वस्तुओं का भोग लगाया जाता है. आप स्नान के पश्चात पीले वस्त्र धारण करें और घर में साफ-सफाई के साथ पीले मीठे चावल पकाएं. इसमें आपको केसर का प्रयोग करना चाहिए. केसर न हो तो आप चावलों को पीला करने के लिए हल्दी भी ले सकते हैं. इसके साथ ही प्रसाद में पीले लड्डू, बूंदी, बेर, केला और मालपुआ का भी प्रयोग कर सकते हैं. पूजा के बाद आपको आस-पड़ोस में प्रसाद भी बांटना चाहिए.
मां सरस्वती की पूरे विधि विधान से पूजा करने के बाद उन्हें पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं. इसमें उन्हें बूंदी अर्पित कर सकते हैं. इसके अलावा बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए उन्हें खीर और मालपुए का भोग भी लगा सकते हैं.