बसंत पंचमी कब है 13 या 14 फरवरी, नोट कर लें सही डेट, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इस दिन का महत्व

Basant Panchami Date 2024: माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को सरस्वती पूजा की जाती है, इसी दिन से बसंत ऋतु की शुरुआत होती है. बसंत पंचमी का त्योहार 13 फरवरी को या 14 फरवरी को मनाया जाएगा. आइये जानते हैं ...

By Radheshyam Kushwaha | February 3, 2024 1:46 PM

Basant Panchami Date 2024: सनातन धर्म में बसंत पंचमी का विशेष महत्व है, इस दिन सरस्वती मां की पूजा-अर्चना की जाती है, इसलिए बसंत पंचमी को सरस्वती पूजा के नाम से भी जाना जाता हैं. बसंत पचंमी की डेट को लेकर लोगों में बहुत संशय हैं, कि बसंत पंचमी का त्योहार 13 फरवरी को मनाया जाएगा या 14 फरवरी को. आइये जानते हैं कि सरस्वती पूजा की तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व क्या है…

बसंत पंचमी की तिथि

माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को सरस्वती पूजा की जाती है, इसी दिन से बसंत ऋतु की शुरुआत होती है. बसंत पंचमी की तिथि शुरुआत 13 फरवरी 2024 दिन मंगलवार को दोपहर 2 बजकर 41 मिनट पर होगी. बसंत पंचमी तिथि 14 फरवरी दिन बुधवार को 12 बजकर 09 मिनट पर समाप्त हो जाएगी. बसंत पंचमी का दिन ज्ञान, कला और संगीत की देवी माता सरस्वती जी को समर्पित है. बसंत पंचमी के दिन को अबूझ मुहूर्त के नाम से जाना जाता है. इस दिन विवाह और किसी भी नए काम की शुरुवात कर सकते हैं.

सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त

  • पंचमी तिथि: प्रातः 6 बजकर 28 मिनट से शाम 5 बजकर 52 मिनट तक

  • लाभ व अमृत मुहूर्त: प्रातः 6 बजकर 28 मिनट से सुबह 9 बजकर 15 मिनट तक

  • शुभ योग मुहूर्त: सुबह 10 बजकर 40 मिनट से दोपहर 12 बजकर 04 मिनट तक

  • अभिजीत मुहूर्त: 11 बजकर 41 मिनट से दोपहर 12 बजकर 26 मिनट तक

  • चर मुहूर्त: शाम 2 बजकर 52 मिनट से 4 बजकर 17 मिनट तक

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बसंत पंचमी पूजा विधि

  • बसंती पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें.

  • उसके बाद माता सरस्वती की मूर्ति साफ चौकी पर स्थापित करें.

  • इस दिन पीले वस्त्र धारण कर के ही पूजा करना चाहिए.

  • माता सरस्वती की वंदना करें और भोग लगाएं.

  • अंत में माता सरस्वती की आरती करें और प्रसाद वितरित करें.

बसंत पंचमी का पर्व क्यों मनाया जाता है?

जिस दिन देवी सरस्वती जी प्रकट हुई उस दिन माघ शुक्ल पंचमी तिथि थी, इसलिए बसंत पंचमी के दिन घर में मां सरस्वती की विशेष पूजा की जाती है. मां सरस्वती ने अपनी वीणा से बसंत राग छेड़ा, इसके फलस्वरूप सृष्टि को वाणी और संगीत की प्राप्ति हुई. देवी ने वाणी के साथ-साथ विद्या और बुद्धि दी, जिससे संसार को ज्ञान का प्रकाश मिला. सरस्वती पूजा करने के लिए सबसे पहले मां सरस्वती की मूर्ति को एक आसन पर रखें. आसन के नीचे पीला, नारंगी या सफेद रंग का कपड़ा रखें. देवी सरस्वती को पीले या नारंगी रंग के फूल चढ़ाएं. फिर एक दीया जलाएं और सरस्वती माता की आरती करें.

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