झारखंड : लातेहार में चमगादड़ का धड़ल्ले से हो रहा शिकार, नहीं लग रहा अंकुश
लातेहार जिले के महुआडांड़ प्रखंड वन प्रक्षेत्र में इन दिनों चमगादड़ का शिकार धड़ल्ले से हो रहा है. लिप्टस पेड़ों में हजारों की संख्या में निवास कर रहे चमगादड़ों का दर्जनों शिकारी गुलेल सहित अन्य सामान से शिकार कर रहे हैं. वन्य जीव विशेषज्ञ की मानें, तो इसके शिकार को रोका जा सकता है.
महुआडांड़ (लातेहार), वसीम अख्तर : लातेहार जिले के महुआडांड़ प्रखंड वन प्रक्षेत्र में स्तनधारी वन्यजीव गादुर (चमगादड़) का इन दिनों शिकार धड़ल्ले से हो रहा है. महुआडांड़-मेदिनीनगर मुख्य मार्ग के एनएच-नौ के किनारे लिप्टस पेड़ों का एक बड़ा बगान निजी भूमि पर है. यहा सैकड़ों लिप्टस के पेड़ हैं. लिप्टस पेड़ों में हजारों की संख्या में गादुर (चमगादड़) का तीन दशक से निवास स्थल है. लेकिन, इन दिनों इसका धड़ल्ले से शिकार हो रहा है.
दर्जनों शिकारी करते हैं शिकार
इन्हें मारने के लिए दिनभर दर्जनों की संख्या में शिकारी गुलेल लेकर शिकार करते हैं और बोरी एवं छोला में भर-भर कर ले जाते हैं. पूछे जाने पर यह स्थानीय शिकारी कहते हैं कि इनका दवा बना कर बेचते हैं. साथ ही गांव में इसका मीट भी लोग खाने के लिए खरीदते हैं. हालांकि, वन विभाग के रेंजर वृंदा पांडेय कहते हैं कि चमगादड़, चूहा और कौंवा यह पिड़क (सिडूल फाइव) जंतु में आता है. इसके शिकार पर रोक नहीं है और इस पर वाइल्ड लाइफ कानून भी नहीं लागू होता है.
वाइल्ड लाइफ एक्ट शेड्यूल फोर में संरक्षित है चमगादड़
इस संबंध में वन्यजीव विशेषज्ञ डॉ डीएस श्रीवास्तव ने कहा कि चमगादड़ वाइल्ड लाइफ एक्ट शेड्यूल फोर में इसका संरक्षण है. हालांकि, यह कम प्रोटेक्शन वाला सीरियल है, लेकिन वाइल्ड लाइफ क्षेत्र होने के कारण इसके शिकार को रोका जा सकता है. उन्होंने कहा कि चूंकि जंगल तेजी से कट रहे हैं जिसकी वजह से चमगादड़ जैसे तमाम वन्य जीव तेजी से या तो खत्म हो रहे हैं या फिर मनुष्यों के संपर्क में आ रहे हैं.
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किसानों का दोस्त है चमगादड़
डॉ श्रीवास्तव ने कहा कि चमगादड़ ही एकमात्र स्तनधारी जीव है जो उड़ने में सबसे सक्षमता के साथ सबसे तेज उड़ने वाला जीव है. रात्रिचर स्वभाव होने के कारण रात में फलने और फूलने वाले लगभग 528 प्रजातियों के पेड़ों के परागकण एवं बीज को अलग-अलग प्राकृतिक वास में ये फैलाते हैं. जिससे जंगल को प्राकृतिक रूप से स्थापित होने में मदद मिलती है. इनको प्राकृतिक जंगल को स्थापित करने वाले के साथ-साथ जंगल का रक्षक भी कहा जाता है. उन्होंने कहा कि चमगादड़ मनुष्य का शत्रु नहीं मित्र है. चमगादड़ खेती को नुकसान पहुंचाने वाले जीवों का सफाया भी करता है जिसके कारण विज्ञान भी इसका ऋणी है. रडार जैसे यंत्रों का आविष्कार इसके कारण संभव हुआ है. उन्होंने कहा कि यह सीजन चमगादड़ के प्रजनन काल है ऐसे में इनका शिकार चिंताजनक है.