धनबाद : बीसीसीएल के गोविंदपुर, कतरास और सिजुआ एरिया की विभिन्न कोलियरियों में कई कांटा घर और लोडिंग प्वाइंट हैं. यहां पर कांटा बाबू व लोडिंग बाबू पदस्थापित हैं. विभिन्न कोलियरियों व कार्यालयों में हाजिरी बाबू भी हैं. तीनों पद संवेदनशील हैं. यहां पोस्टिंग के लिए बीसीसीएल कर्मी पैरवी करते हैं.
इसके लिए पैसा भी खर्च करते हैं. कांटा बाबू को ट्रक कांटा और लोडिंग बाबू को कोयला लोडिंग में हेरा-फेरी से तथा हाजिरी बाबुओं को हाजिरी बनाने में गड़बड़ी करने पर एक बंधी-बंधाई मोटी रकम मिलती है. इस रकम का अन्य कर्मियों-व्यवस्थापकों के बीच बंटवारा होता है. इन पैसों में अधिकारी,नेता, पुलिस, सीआइएसएफ, रंगदार व पत्रकार भी हिस्सेदार होते हैं. बीसीसीएल के सतर्कता विभाग के नियम-निर्देश के मुताबिक हर तीन वर्ष पर इन बाबुओं का तबादला होना है. परंतु अधिकांश जगहों पर बाबुओं का तबादला दिखावा मात्र होता है.
कोयला डिस्पैच में कई तरह की गड़बड़ियां कांटा बाबू और लोडिंग बाबू की मिलीभगत से ही होती है. मिसाल के तौर पर आरओ का अलॉटमेंट होता है और लोड स्टीम कोयला कर दिया जाता है. नीचे स्टीम कोयला डाल कर ऊपर आरओ कोयला डाल दिया जाता है. इसके एवज में सिंडिकेट से एकमुश्त रकम मिलती है. गत वर्ष ब्लॉक फोर कोलियरी में ऐसा ही एक मामला उजागर हुआ था.
सुविधा शुल्क के नाम पर बीसीसीएल के कांटा बाबू व कांटा घर के कर्मी प्रति ट्रक 500 से 600 रुपये की वसूली करते हैं. डीओ के नाम पर आवंटित कोयले के उठाव में डीओ होल्डर का हस्ताक्षर चाहिए होता है. इसके लिए कंपनी मुख्यालय द्वारा संबंधित डीओ होल्डर का फोटो व हस्ताक्षर कांटा घर में भेजा जाता है. जबकि सुविधा शुल्क देकर अलॉटमेंट का कोयला दूसरी पार्टी द्वारा हस्ताक्षर कर उठा लिया जाता है.
वजन में हेराफेरी भी की जाती है. हालांकि मुख्यालय की ओर से सभी कांटा घरों में सीसीटीवी कैमरा लगाया गया है. लेकिन इसका भी काट है. कांटा कर्मी खाली ट्रक का वजन करते समय चार या पांच की संख्या में गैलन या बाल्टी में पानी भर कर रख देते हैं. बड़े-बड़े पत्थर भी लाद देते हैं. वजन होने के बाद उसे ट्रक से हटा दिया जाता है.
इससे होता यह है कि पानी और पत्थर के वजन के बराबर ज्यादा कोयला लगभग एक टन अतिरिक्त लोड हो जाता है. इसके लिए कांटा बाबू का रेट प्रति टन 500 रुपये है. इसके अलावा आवंटित वजन की जगह कोलियरी से अधिक कोयला ट्रक में लोड कर कांटा घर में वजन करने के लिए भेज दिया जाता है. यहां कांटा करने वाले प्लेट में ट्रक का टायर सटा देने पर दो से तीन टन कोयले का वजन कम हो जाता है.
इससे भी बीसीसीएल को नुकसान पहुंचता है. इसके लिए भी कांटा कर्मी प्रति टन 500 से 1000 रुपया के हिसाब से लेते हैं. पैसे का भुगतान सिंडिकेट द्वारा किया जाता है. क्षेत्रीय प्रबंधन के साथ-साथ स्थानीय प्रबंधन, सीआइएसएफ के नाम पर भी वसूली की जाती है. स्थानीय पुलिस के नाम पर कांटा घर से 40 से 50 रुपया तथा सीआइएसएफ के नाम पर 50 रुपये प्रति ट्रक लिये जाते हैं.
बाघमारा क्षेत्र में बीआरके लोडिंग पर प्रति ट्रक 190 रुपया की वसूली लोडिंग बाबूू करते हैं. प्रबंधक के नाम पर 30 रुपये व पीओ के नाम पर 50 रुपये प्रति ट्रक का भुगतान लोडिंग बाबू को दिया जाता है. वहीं कोकिंग कोयला की लोडिंग पर प्रति ट्रक 100 रुपया संबंधित लोडिंग बाबू को दिया जाता है. संवेदनशील पदों पर क्षेत्रीय प्रबंधन समय रहते कांटा इंचार्ज, लोडिंग क्लर्क आदि को दूसरी मलाईदार जगह ट्रांसफर कर देता है. बाद में पुनः उसी जगह पर तैनात कर देता है. सिनीडीह कांटा में कांटा इंचार्ज मंटू यादव डेढ़ वर्ष पहले पदस्थापित किये गये, जबकि ऑपरेटर अंजनी सिंह व बिरंची गोप भी डेढ़ व दो साल से पदस्थापित हैं.
Posted by : Sameer Oraon