Dhanbad News: कागज पर 41 वर्ष पूर्व यानी वर्ष 1981 से बंद कोयला खदान में अवैध खनन चल रहा है. खदान का मुहाना नहीं बंद किया गया. माइंस क्लोजर प्लान का किसी तरह पालन नहीं किया गया. कागज पर ही छह वर्ष पूर्व इलाके को एबेंडन घोषित भी कर दिया गया. पर वहां न तो फेंसिंग की गयी और न ही सीसीटीवी लगाया गया. ये बातें एनजीटी द्वारा गठित जांच टीम की रिपोर्ट में सामने आयी है.
एनजीटी कोलकाता बेंच के समक्ष पेश जांच रिपोर्ट में 20 मई को स्पॉट जांच में पाये गये तथ्यों को रखा गया है. एक हलफनामा भी दायर किया गया है. टीम ने पाया कि बीसीसीएल के चांच विक्टोरिया एरिया के तीन एवं चार नंबर पिट के मुहाने बंद नहीं थे, जबकि बीसीसीएल प्रबंधन ने वर्ष 1981 में ही इस खदान को बंद करने का निर्णय लिया था. वहां कोयले का आधिकारिक उत्पादन भी ठप है. टीम ने बीसीसीएल के सीवी एरिया के प्रबंधन पर सवाल उठाया कहा है. कहा है कि प्रोजेक्ट अधिकारी, सुरक्षा अधिकारियों की सरासर लापरवाही है. कंपनी ने 24.10.2016 को डीजीएमएस को पत्र भेज कर इस एरिया को एंबेंडन घोषित करने की भी सूचना दी थी. पर जांच के दौरान पाया गया कि मुहाना खुला हुआ था. वहां पेड़-पौधे भी उगे हुए थे. हालंकि, टीम की जांच के दौरान वहां अवैध खनन करते हुए कोई नहीं मिला, लेकिन टीम ने वहां अवैध खनन की संभावना से इनकार नहीं किया है.
जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि मुहाना खुला रहने से बंद खदान के अंदर ऑक्सीजन जाने की संभावना प्रबल है. इससे वहां कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. आग लग सकती है. बड़े पैमाने पर भू-धंसान हो सकता है. इससे पूरे क्षेत्र के लिए बड़ा खतरा हो सकता है. जान-माल के नुकसान की भी संभावनाएं है. टीम ने बीसीसीएल प्रबंधन को सीवी एरिया की बंद खदानों के मुहाने को तत्काल बंद कर डोजरिंग कराने को कहा. ताकि वहां किसी तरह का अवैध खनन नहीं हो.
जांच टीम ने पाया कि बंद खदान में डीजीएमएस एवं बीसीसीएल के मानक कोल माइंस क्लोजर प्लान की प्रक्रिया पूरी नहीं की गयी है. टीम ने बीसीसीएल प्रबंधन को इस प्लान को पूरी तरह से लागू कराने का निर्देश दिया. इस तरह का निर्देश इसीएल प्रबंधन को भी दिया गया. बीसीसीएल एवं इसीएल प्रबंधन की तरफ से एनजीटी टीम को बंद खदानों तथा एंबेंडन घोषित क्षेत्रों की सूची भी सौंपी. इसकी एक प्रति डीजीएमएस के डीजी सह मुख्य इंस्पेक्टर (खान) को भी दी गयी है.
जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि अगर बीसीसीएल एवं इसीएल प्रबंधन ने माइंस क्लोजर प्लान को सही तरीका से लागू किया रहता, तो निरसा के गोपीनाथडीह कोलियरी में पिछले दिनों हुए हादसे को टाला जा सकता था. माइंस क्लोजर प्लान में स्पष्ट है कि किसी भी खदान में उत्पादन स्थायी रूप से बंद होने के बाद मुहाने को सील किया जाना है. उसकी डोजरिंग करनी है. हर संभावित इंट्री प्वाइंट पर सीसीटीवी कैमरा भी लगाना है. साथ ही रेनवाटर हार्वेस्टिंग, ग्राउंड वाटर रिचार्ज करने का भी प्रावधान करना है. टीम ने राज्य सरकार के संबंधित विभाग के अधिकारियों को भी ऐसे स्थानों का नियमित रूप से निरीक्षण करने को कहा है. ताकि अगर कहीं भी मुहाना खुला मिले, तो उसको बंद करवाया जा सके. बंद खदानों की चारों तरफ घेराबंदी भी कराने को कहा गया है. ड्रोन कैमरा से भी निगरानी की अनुशंसा की गयी है.