Dhanbad News: बीसीसीएल की खदानों से अब कम खर्च में कोयले का उत्पादन होगा. बगैर ब्लास्टिंग, घर व आबादी को हटाए कोयले का उत्पादन सुनिश्चित हो सकेगा. इसके लिए बीसीसीएल प्रबंधन हाइवाल माइनिंग टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल पर जोर दे रही है. बीसीसीएल में पहली बार कंपनी के ब्लॉक-टू एरिया में स्थित एबी ओसीपी माइंस में हाइवाल माइनिंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर कोयले का उत्पादन होगा. कोयला उत्पादन का कार्य आउटसोर्सिंग कंपनी मेसर्स डेको-जीसीपीएल (जेवी) को मिला है. इस आलोक में बीसीसीएल के सीएमडी ने डिपार्टमेंट की ओर से लेटर ऑफ एक्सेप्टेंस (एलओए) भी जारी कर दिया गया है. जिसके मुताबिक आउटसोर्सिंग कंपनी से 24 जनवरी 2023 से पहले चार करोड़ रुपये की बैंक गारंटी जमा करने को कहा गया है.
एलओए के मुताबिक आउटसोर्सिंग कंपनी को अगले सात वर्षों में एबी ओसीपी माइंस में हाइवाल माइनिंग टेक्नोलॉजी व हाइवाल मशीन का इस्तेमाल कर तीन मिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. वहीं उत्पादन के दौरान कोयला रिजर्व की स्थिति व माइंस के भविष्य को देखते हुए कार्य अवधि बढ़ाई जा सकती है. बता दें कि वर्तमान में हाइवाल माइनिंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल सिर्फ कोल इंडिया की सहायक कंपनी एसइसीएल में हो रहा है, जबकि इसीएल में वर्क ऑर्डर जारी हुआ है. परंतु उत्पादन शुरू नहीं हो सका है. वहीं बीसीसीएल कोल इंडिया की तीसरी सहायक कंपनी होगी, जहां उक्त टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर कोयले का उत्पादन होगा.
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बीसीसीएल की ब्लॉक-टू एबी ओसीपी माइंस झारखंड की दूसरी माइंस होगी, जहां हाइवाल टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर कोयले का उत्पादन होगा. वर्तमान में सिर्फ टाटा की वेस्ट बोकारो माइंस में ही उक्त टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर कोयले का उत्पादन हो रहा है.
हाइवाल माइनिंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर ब्लॉक-टू एबी ओसीपी से कोयला उत्पादन से बीसीसीएल को प्रतिटन 1000 रुपया से अधिक राशि की मुनाफा होने की उम्मीद है. यहां कोयला उत्पादन से लेकर माइन डेवलप करने, मशीन सहित अन्य संसाधन लगाने की जिम्मेदारी आउटसोर्सिंग कंपनी की होगी. जबकि बीसीसीएल कोयला उत्पादन कर संबंधित डंप व वाशरी तक पहुंचाने पर आउटसोर्सिंग कंपनी को प्रतिटन 1423 व 1468 रुपया का भुगतान करेगी. यानी कोयला उत्पादन पर बीसीसीएल का प्रतिटन करीब 1423 रुपया ही खर्च होगा.
हाइवाल मशीन से सुरक्षित कोयले का उत्पादन सुनिश्चित हो सकेगा. कारण उक्त मशीन का इस्तेमाल रिमोट के जरिए होगा. एक ऑपरेटर के जरिये 250-300 मीटर डेप्थ से कोयले की कटिंग कर कनवेयर बेल्ट से निकासी हो सकेगा. उत्पादन के लिए ब्लास्टिंग की भी जरूरत नहीं होगी, जो पर्यावरण के दृष्टिकोण से भी सुरक्षित है. बता दें कि वर्तमान में जमीन की कमी व लैंड एक्यूजिशन नहीं होने से बीसीसीएल की कई परियोजनाओं का विस्तारीकरण नहीं हो पा रहा है. परंतु हाइवाल मशीन के जरिए बिना जमीन व घर खाली कराये जमीन के नीचे से कोयला का उत्पादन सुनिश्चित हो सकेगा. इसलिए बीसीसीएल स्टडी कर रहा है कि ब्लॉक-टू के अलावा और कहां कहां से उक्त तकनीकी का इस्तेमाल कर कोयला उत्पादन किया जा सकेगा.