कानपुर. सर्दी की शुरुआत होते ही चिड़ियाघरों के जानवरों को सुरक्षित रखने की जुगत शुरू हो गई है. इसके लिए उनकी खुराक में बड़ा बदलाव किया गया है. एक तरह जहां मांसाहारी जानवरों की खुराक बढ़ाई जाएगी. वहीं, सरीसृपों के भोजन में कटौती की जाएगी. बाड़ों में ब्लोअर लगाने की तैयारी भी हो गई है. वन रेंजर नवेद इकराम ने बताया कि शेर, बाघ और तेंदुए जैसे मांसाहारी जानवरों की खुराक में चर्बीयुक्त भोजन और प्रोटीन की मात्रा बढ़ा दी गई है. उनकी खुराक भी बढ़ा दी गई है. भालू को फलों के साथ शहद भी दिया जाएगा. बंदर और हिरनों को भोजन के साथ गुड़ भी दिया जाएगा. गैंडे को रोज मिलने वाले भोजन के साथ अब गन्ना, शकरकंद भी दिया जाएगा.
गर्मी व बरसात में सांप ज्यादा विचरण करते हैं, इसलिए चिड़ियाघर के सांपों को सप्ताह में एक बार चूहा और अजगर को खरगोश दिया जाता रहा. ठंड में इनके शरीर का तापमान कम हो जाता है, यह कम चलते-फिरते हैं. इसलिए इन्हें 20 से 25 दिन में एक बार ही भोजन दिया जाएग. वहीं, मगरमच्छ व घड़ियाल भी ठंड में कम विचरण करते हैं. इसलिए सप्ताह में दो बार मिलने वाली मछलियां ठंड के समय 20 दिन में एक बार दी जाएंगी.
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दुधवा से पकड़कर लाई गई खूंखार बाघिन अब पूरी तरह स्वस्थ है. उसे चिड़ियाघर के अस्पताल में रखा गया है. डॉक्टरों की निगरानी में वह पूरी तरह से स्वस्थ है. वन रेंजर ने बताया कि उसका स्वभाव अभी भी पहले की तरह खूंखार ही है. वह भरपूर खुराक ले रही है. दिनभर में आठ से 10 किलो भैंसे का मांस उसे खाने को दिया जा रहा है.
शेर, बाघ आदि के बाड़े में लकड़ी के पटरे बिछाए गए हैं. अगले हफ्ते से उनके बाड़ों में ब्लोअर भी लगाया जाएगा. चिड़ियाघर में 30 से 35 ब्लोअर लगाए जाएंगे. वन रेंजर के अनुसार अगर जरूरत पड़ी तो और ब्लोअर मंगवाए जाएंगे. इसके साथ ही पक्षियों को सर्दी से बचाने के लिए उनके पिजरे ढक दिए जाएंगे. पिंजड़े पर तिरपाल और पर्दा डालकर ठंडी हवाएं रोकी जा रही हैं.